चंडीगढ़। आखिरकार विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल गया। भाजपा ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया और अब ब्राह्मण समुदाय से आने वाले बड़े चेहरे मोहन लाल बडोली को पार्टी का नया प्रदेश मुखिया नियुक्त किया है।
बडौली की तैनाती के जरिए सत्ताधारी भगवा पार्टी ने एक साथ कई निशाने साधने की कोशिश की है। मोहनलाल बडोली जो कि फिलहाल राईसे विधायक हैं, ने गलत लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के सतपाल ब्रह्मचारी को कड़ी टक्कर दी थी। हालांकि, चुनाव तो नहीं जीत सके लेकिन हार जीत का अंतर बेहद कम था।
बडौली लंबे समय से आरएसएस में सक्रिय है वह आरएसएस से 1989 से जुड़े हैं और इसके अलावा पार्टी में कई पदों पर रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्रीअटल बिहारी वाजपेयी के समय वह जिला परिषद के सदस्य रह चुके हैं तो वहीं साल 2020 में उनको सोनीपत जिले का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।
इसके बाद उनको हरियाणा भाजपा में संगठन में प्रदेश महामंत्री की जिम्मेदारी दी गई। मोहनलाल बडौली को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करने में सबसे अहम फैक्टर जातीय समीकरण रहे।
इसके अलावा बडौली को यह जिम्मेदारी देकर पार्टी ने भूपेंद्र हुड्डा के गढ़ रोहतक, सोनीपत और झज्जर में खुद को मजबूत करने की कोशिश की है।
हालांकि यह माना जा रहा था कि लोकसभा चुनाव के नतीजे को देखते हुए पार्टी किसी जाट या एससी चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है क्योंकि जाट और एससी समुदाय की नाराजगी लोकसभा चुनाव में भाजपा को झेलना पड़ी और पार्टी को पांच सीट गंवानी पड़ी।
ऐसे में माना जा रहा था कि पार्टी दोनों समुदाय में से किसी एक से संबंध रखने वाले चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर उनको साधने का काम करेगी लेकिन पार्टी ने एक बार फिर से यह दिखाया कि वह गैर जाट की राजनीति की डगर पर ही चलेगी, नफा-नुकसान चाहे कुछ भी हो।
ऐसे में आप मोहनलाल बडौली के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी आ गई है क्योंकि आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस में सीधी टक्कर है।
इसके अलावा यह भी बता दे कि यहां से पार्टी के पूर्व सांसद रमेश चंद्र कौशिक के लिए बड़े झटके से काम नहीं है और एक तरह से भाजपा में उनकी राजनीति एक पड़ाव पर आकर रुक गई है।