-श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य समिति द्वारा चतुर्थ हिंदु राष्ट्र अधिवेशन आयोजित
-अधिवेशन में हुई धर्म परिवर्तन, लव जेहाद, धार्मिक असहिष्णुता, धर्म की अज्ञानता और गोहत्या पर वार्ता
कुरुक्षेत्र, 1 दिसंबर : श्रीमज्जगद्गुरु पुरी शंकराचार्य स्वागत समिति कुरुक्षेत्र द्वारा बुधवार देर सांय सैनी समाज भवन में चतुर्थ हिंदु राष्ट्र अधिवेशन संपन्न हुआ। कार्यक्रम संयोजक धर्मपाल टाया और सह-संयोजक राम सिंह कौल ने बताया कि इस अधिवेशन में धर्म परिवर्तन, लव जेहाद, धार्मिक असहिष्णुता, धर्म की अज्ञानता और गोहत्या पर वार्ता की गई। इन दिनों हिंदु महिलाओं पर विधर्मीयों द्वारा किए जा रहे अत्याचारों और टारगेट किए जाने को लेकर अधिवेशन में कुछ महिलाओं ने शंकराचार्य से प्रश्न किए जिनके उत्तर में शंकराचार्य ने कहा कि हिंदु समाज की कन्याओं को बाल्यकाल से ही रानी लक्ष्मीबाई जैसा प्रशिक्षण देना अनिवार्य है जिससे वो आत्मरक्षा कर सके। पुरी पीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती के अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम प्रभारी एवं आदित्य वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेमचंद झा ने सभी पिछले अधिवेशनों सहित आगामी कार्यक्रमों की जानकारी दी। कार्यक्रम में शहर की कई धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने शंकराचार्य जी का शंखनाद, स्वस्तिवाचन और फूलमालाओं से स्वागत एवं अभिनंदन किया। अधिवेशन के मंच पर शंकराचार्य सहित अक्षरधाम मंदिर से स्वामी ज्ञानमुनी, स्वामी उत्तम मुनी, गुरु ब्रह्मानंद आश्रम से संत दर्शना देवी, देवी लक्ष्मी, देवी अभिलाषा, रोड़ क्षत्रिय महापंचायत से धौलपौष रामदास रोड़, संत जनार्दन दास, संत रघुबीर दास त्यागी, महंत विशाल मणि दास, नंगली कुटली से स्वामी महात्मा दिव्यानंद और स्वामी रोशन पुरी सहित संत एवं ब्राह्मण समाज उपस्थित रहा। हिंदू राष्ट्र अधिवेशन में शंकराचार्य जी निश्चलानंद सरस्वती द्वारा महाभारत युद्ध का समय अवगत कराया गया जिसे सुनिश्चित करने के लिए आदि शंकराचार्य ने सबसे पहले वृंदावन में घोषणा की थी कि मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी ही महाभारत के युद्ध की तिथि थी। महाभारत के युद्ध में कितनी सेना थी कितने अस्त्र-शस्त्र, हाथी और घोड़े थे, का का संपूर्ण विवरण एवं वास्तविक चित्रण शंकराचार्य द्वारा लिखित पुस्तक भीष्म संक्रांति गीता में अंकित किया गया है। अधिवेशन में शंकराचार्य ने स्पष्ट किया कि भारत राष्ट्र रहने वाले सभी 36 समुदायों को एक साथ रहकर भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना चाहिए। श्रीमद भगवद गीता पर अपना व्याख्यान देते हुए शंकराचार्य बोले कि श्रीमद् भगवद गीता विश्व के अति महत्वपूर्ण ग्रंथों में अपना विशेष स्थान रखती है। इसे सर्वशास्त्रमयी ग्रंथ कहा गया है क्योंकि सभी शास्त्रों में मंथन करके अमृतमयी गीता का प्रकटीकरण हुआ है। इसका दिव्य संदेश किसी विशेष संप्रदाय के लिए नहीं अपितु संपूर्ण मानव जाति के लिए है जो सर्वभौम है। कार्यक्रम में लखनऊ से आए कवि कमल आग्नेय ने राष्ट्रभक्ति से ओत प्रोत कविता पाठ किया। अधिवेशन में कार्यक्रम संयोजक धर्मपाल टाया, सहसंयोजक राम सिंह कौल, रामचंद्र सैनी, हर्ष सिंगला, विश्व हिंदू परिषद् से राकेश मैहता, प्रेमनारायण अवस्थी व राजेश अरोड़ा, कथावाचक अनिल शास्त्री, राष्ट्रीय हिंदु संगठन कुरुक्षेत्र के जिला विस्तारक मनोज भारद्वाज, प्रचार प्रसार प्रमुख विपिन धीमान, बंसी वत्स, गुरनाम सैनी, आर डी शर्मा, अलकेश मौदगिल, रघुवीर सिंह कादयान, अजमेर कालखा, हाकम चौधरी, लाल चंद वाल्मीकि, जागीर सिंह, अनिल गजवानी अभिनव टाया, मनीष पाबला, रामचंद्र सैनी, नरेंद्र चौधरी, राज अरोड़ा, सचिन गाबा और शेखर अरोड़ा सहित कई राज्यों से आए प्रतिनिधि शामिल रहे।