99वर्षों से सतत चल रहा संघ का कार्य: डा.प्रीतम सिंह
कुरुक्षेत्र। श्रीमद्भगवद् गीता वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के प्रांगण में शनिवार से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का संघ शिक्षा वर्ग हवन यज्ञ के साथ शुरू हुआ। वर्ग में 251 शिक्षार्थियों की वर्ग के साथ-साथ 31 शिक्षक और 20 प्रबंधक शामिल हैं। इस अवसर पर वर्ग के सर्वाधिकारी कृष्ण सिंह, वर्ग पालक डॉ. प्रीतम सिंह, वर्ग कार्यवाह डॉ. देवेंद्र सिंह उपस्थित रहे। पंद्रह दिवसीय यह वर्ग 24 जून तक चलेगा।
संघ के सह प्रांत कार्यवाह व वर्ग पालक डा.प्रीतम सिंह ने कहा कि संघ का कार्य गत 99वर्षों से सतत चल रहा है। देशभर में प्रतिदिन चलने वाली 61 हजार शाखाओं में लाखों स्वयंसेवक अभ्यास के लिए आते हैं। प्रत्येक वर्ष इन दिनों में संघ के प्रशिक्षण शिविर लगाए जाते हैं। इस वर्ष भी देश के सभी राज्यों में वर्ग लगाए गए हैं। इन संघ शिक्षा वर्गों का उद्देश्य व्यक्ति निर्माण करना है। संघ के संस्थापक डॉ. केशव राव बलिराम हेडगेवार का मानना था कि अगर व्यक्ति ठीक होगा तो देश भी ठीक होगा।
उन्होंने एक उदाहरण देते हुए बताया कि एक बार स्कूल के कुछ विद्यार्थी विनोबा जी के पवनार आश्रम में गए तो उन्होंने विद्यार्थियों से पूछा कि क्या आपने कभी भारत का मानचित्र देखा है। विनोबा जी ने भारत के मानचित्र के टुकड़े विद्यार्थियों को देते हुए उन्हें जोडऩे के लिए कहा। विद्यार्थियों के काफी परिश्रम के बाद भी जब उनसे मानचित्र नहीं जुड़ा तो उन्होंने बताया कि मानचित्र के पीछे एक व्यक्ति का चित्र है उन टुकड़ों को जोड़िए तो विद्यार्थियों ने बड़े आराम से वो टुकड़े जोड़ दिए। बाद में जब उस चित्र को पलट कर देखा तो उसके पीछे भारत का चित्र बना हुआ था। विनोबा जी ने विद्यार्थियों को बताया कि जिस तरह आपने एक व्यक्ति के चित्र से भारत का मानचित्र बनाया है ठीक उसी तरह यदि भारत का निर्माण करना है तो व्यक्तियों का निर्माण करना होगा। जो बात विनोबा जी ने उस समय कही थी ठीक वही बात डॉ. हेडगेवार जी ने 1925 में कही। संघ आज भी व्यक्ति निर्माण और व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण के कार्य में ही लगा हुआ है।
इस तरह के संघ शिक्षा वर्गों से निर्मित स्वयंसेवक समाज के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर समाज निर्माण और राष्ट्रीय जीवन को सुखी बनाने का काम करते हैं। जैसे श्रमिकों के क्षेत्र में भारतीय मजदूर संघ, कृषि क्षेत्र में भारतीय किसान संघ, विद्यार्थियों के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, शिक्षा के क्षेत्र में विद्या भारती, धार्मिक क्षेत्र में विश्व हिंदू परिषद, सामाजिक समरसता में भारत विकास परिषद, वनवासी कल्याण आश्रम आदि इस प्रकार से 30 ऐसे अखिल भारतीय संगठन समाज के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब-जब भी समाज पर कोई आपदा या संकट आते हैं तो संघ के स्वयंसेवक मदद के लिए अग्रिम पंक्ति में खड़े हुए हैं। जैसे 1947 में विभाजन के समय लाखों हिंदू परिवारों को सुरक्षित बचा कर भारत लेकर आए। उनकी सहायता के लिए पंजाब रिलीफ कमेटी बनाकर उनके रहने, खाने व दवाइयों का इंतजाम किया। आंध्रप्रदेश में तूफान आया तो वहां भी स्वयंसेवकों ने सेवा कार्य किए। तूफान में मारे गए हजारों लोगों की लाशें वहां पड़ी थी, उन सभी का अंतिम संस्कार किया।
इसी प्रकार गुजरात के भूकंप के दौरान भी सेवा कार्यों के लिए सबसे पहले स्वयंसेवक ही आगे आए थे। 1975 में उस समय की सरकार ने देश में आपातकाल लगाकर तानाशाही थौंपने का प्रयास किया था। उस समय भी स्वयंसेवकों ने जन जागरण व सत्याग्रह दोनों काम किए और देश में फिर से प्रजातंत्र बहाल करवाने का कार्य किया। पंजाब में आतंकवाद के दौरान स्वयंसेवकों ने देश की एकता व अखंडता के लिए अनेक बलिदान दिए और आपसी भाईचारा बना कर रखा। कश्मीर में आतंकवाद हुआ, वहां भी कश्मीरी हिंदुओं की सहायता की। तुरंत प्रभाव से जम्मू-कश्मीर समिति का गठन कर पीडि़तों की सहायता की। 1995 में हरियाणा के डबवाली में अग्नि कांड हुआ तो वहां भी स्वयंसेवकों ने अपने प्राणों की आहुति देकर भी आग में फंसे हुए बच्चों को बचाया।
उन्होंने बताया कि इस प्रकार देशभर में स्वयंसेवकों द्वारा सवा लाख सेवा कार्य चल रहे हैं। इसके अतिरिक्त प्रांतों में भी अपने सेवा कार्य चला रहे हैं। इसके साथ-साथ संघ के स्वयंसेवकों द्वारा धर्म जागरण, ग्राम विकास, गौसेवा, परिवार प्रबोधन, सामाजिक समरस्ता और पर्यावरण 6 प्रकार की गतिविधियां भी चलाई जा रही हैं। इन सभी गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्रीय जीवन को सुखी बनाने का कार्य चल रहा है।