गुरुकुल में प्रान्तीय आर्यवीर दल शिविर का शुभारम्भ
कुरुक्षेत्र, 01 जून 2024 – गुरुकुल कुरुक्षेत्र में विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी प्रान्तीय आर्य वीर दल शिविर का आज शुभारम्भ हुआ जिसमें आर्य प्रतिनिधि सभा हरियाणा के प्रधान सेठ राधाकृष्ण आर्य, गुरुकुल के प्रधान राजकुमार गर्ग, व्यवस्थापक रामनिवास आर्य, आचार्य दयाशंकर शास्त्री मुख्य रूप से मौजूद रहे। मंच का सफल संचालन मुख्य संरक्षक एवं शिविर के संयोजक संजीव आर्य द्वारा किया गया।
सर्वप्रथम सभा प्रधान द्वारा ‘ओ३म् पताका’ फहराई गई, तदुपरान्त राष्ट्रीय प्रार्थना और अतिथियों का मंच पर आगमन हुआ जहां पर प्रचार प्रमुख विशाल आर्य द्वारा सभी अतिथियों का ओ३म् के अंगवस्त्र से स्वागत किया गया। संजीव आर्य द्वारा अतिथियों एवं व्यायाम शिक्षकों का परिचय और शिविर में होने वाली विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि पांच दिवसीय इस शिविर में कुरुक्षेत्र, कैथल, करनाल, पानीपत, जींद, हिसार आदि जिलों से लगभग 600 आर्यवीरों को योगासन, सर्वांगसुन्दर व्यायाम, सूर्य नमस्कार, भूमि नमस्कार, स्तूप निर्माण आदि शारीरिक प्रशिक्षण के साथ-साथ प्राणायाम और वैदिक संस्कृति एवं आर्य सिद्धान्तों की पूरी जानकारी दी जाएगी जिससे वे भविष्य में सभ्य नागरिक बनकर देश की उन्नति में सहयोगी बनें।
सभा प्रधान राधाकृष्ण आर्य ने कहा कि आज सबसे अधिक आवश्यकता युवाओं को संस्कारवान् बनाने की है क्योंकि संस्कारों के अभाव में आज का युवा पथभ्रमित होकर अपनी ऊर्जा को गलत कार्यों में लगाकर व्यर्थ गवां रहा है। उन्होंने कहा कि आर्य वीर दल और आर्य समाज ही ऐसी भट्टी है जहां पर तपकर युवा पीढ़ी न केवल संस्कारवान् बनेगी बल्कि देश को उन्नति के शिखर पर ले जाएगी। गुरुकुल के प्रधान राजकुमार गर्ग ने शिविर में आए हुए आर्यवीरांे से समाज से नशाखोरी जैसी कुप्रथा को समाप्त करने का आह्वान किया। साथ ही उन्होंने कहा कि गुजरात के महामहिम राज्यपाल आचार्य श्री देवव्रत जी ने किसानों को समृद्ध बनाने के लिए प्राकृतिक खेती अभियान चलाया हुआ है जिसमें एक देशी गाय के गोबर-गोमूत्र से बिना केमिकल, बिना यूरिया और बिना पेस्टीसाइड के खेती करके किसान 30 एकड़ भूमि पर खेती कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को आचार्यश्री की इस मुहिम से जुडकर जल, जंगल, जमीन और जीवन की रक्षा करनी चाहिए।
इससे पूर्व प्रसिद्ध भजनोपदेशक महाशय जयपाल आर्य एवं जसविन्द्र आर्य ने मधुर गीतों के माध्यम से युवाओं को समाज में फैली बुराइयों को दूर करने तथा आर्य वीर दल के शिविर में मिले प्रशिक्षण को अपने जीवन में धारण करने का आह्वान किया। जसविन्द्र आर्य ने गीत‘ सुन ललना और लला….’ सुनाकर खूब तालियां बटोरीं।