अम्बाला  – हाल ही में  अम्बाला नगर निगम के तीन निर्वाचित  नगर निगम सदस्य (जिसे आम भाषा में पार्षद भी कहते हैं हालांकि   हरियाणा नगर निगम कानून में यह  शब्द नहीं है) हरियाणा जनचेतना पार्टी (वी) को छोड़कर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गये. इनमें वार्ड 5 से राजेश मेहता, जो गत डेढ़ वर्ष से अम्बाला नगर निगम के डिप्टी मेयर भी हैं, वार्ड 1 (अनुसूचित जाति आरक्षित)  से जसबीर सिंह एवं वार्ड 19 से राकेश कुमार शामिल हैं.
रोचक बात यह है कि डिप्टी मेयर राजेश मेहता 30 दिसम्बर, 2020 को अम्बाला न.नि. आम चुनाव में  हालांकि  कांग्रेस पार्टी के टिकट पर ही वार्ड 5 से नगर निगम सदस्य के तौर पर   निर्वाचित हुए थे परन्तु 14 जनवरी 2021 को शपथ ग्रहण के दिन ही वह सीधी निर्वाचित  मेयर शक्ति रानी शर्मा की पार्टी  हजपा (वी ) में दल-बदल कर शामिल हो गये थे. इस प्रकार देखा जाए तो राजेश मेहता की  कांग्रेस में घर वापसी ही हुई है..
गत वर्ष 2023 में नगर निगम के वार्ड  12  (महिला आरक्षित )  से दिसंबर, 2020 में हजपा  (वी ) के टिकट पर चुनाव जीती  अमनदीप कौर पाला बदलकर भाजपा में शामिल हो गयी थी. उससे पूर्व वार्ड  4 (बीसी आरक्षि ) से निर्मल सिंह-चित्रा  सरवारा की तत्कालीन   हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट (एचडीएफ ) के टिकट पर निर्वाचित विजय कुमार और एचडीएफ के ही टिकट पर वार्ड 14 (अनुसूचित जाति महिला आरक्षित) निर्वाचित रूबी सौदा  भी भाजपा में शामिल हो गयी थी.

इसी बीच शहर निवासी पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि  बहरहाल, ताज़ा  दल-बदल से अम्बाला नगर निगम सदन में मेयर को छोड़कर  हजपा (वी ) की सदस्य संख्या 7 से घटकर 4 रह गयी है जबकि कांग्रेस की 2 से बढ़कर 5 हो गयी हैं. वहीं भाजपा की सदस्य संख्या 11 कायम  है.

हेमंत ने बताया कि भारत के संविधान की दसवीं अनुसूची में जो  दल बदल विरोधी  कानून हैं, वह केवल सांसदों और विधायकों पर ही  लागू होता है, शहरी स्थानीय निकाय (म्युनिसिपल ) संस्थानों जैसे नगर निगमों/परिषदों/ पालिकाओं पर नहीं इसलिए  नगर निगम  सदस्य कभी भी एक दूसरे के दल/पार्टी में  शामिल हो सकते है और इस प्रकार वह बेरोकटोक दल-बदल करने के लिए स्वतंत्र हैं.
 हालांकि  अगर राज्य सरकार चाहे   तो   हरियाणा नगर निगम कानून में तत्काल संशोधन  करवाकर इन सदस्यों  द्वारा  दल-बदल करने पर अंकुश लगा सकती है  जैसे  वर्ष 2021 में हिमाचल प्रदेश  में किया गया  जिसके बाद दल-बदल करने पर सम्बंधित निगम सदस्य  की नगर निगम सदस्यता ही समाप्त  की जा सकती है.

हेमंत ने बताया कि ताज़ा दल बदल घटनाक्रम के बाद अम्बाला   नगर निगम  सदन में मेयर शक्ति रानी शर्मा की पार्टी  हजपा (वी ) में उन्हें मिलाकर   कुल 5 सदस्य बनते है. इस प्रकार  21 सदस्यी ( मेयर सहित)  नगर निगम सदन में मेयर की पार्टी हजपा (वी ) को अपना एजेंडा पारित करवाने के लिए   विपक्षी  भाजपा के 11 और कांग्रेस के 5 सदस्यों के समर्थन पर  निर्भर रहना पड़ेगा.  वर्ष 2020 में हुए कानूनी संशोधन के बाद  हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 में धारा 37 बी डालकर यह  प्रावधान किया गया है कि मतदाताओं द्वारा प्रत्यक्ष  रूप से  निर्वाचित नगर निगम  मेयर   के विरूद्ध  निगम के   कम से कम आधे निर्वाचित सदस्यों  द्वारा हस्ताक्षरित अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है  एवं ऐसा प्रस्ताव इस आशय में सम्बंधित मंडल आयुक्त (डिविजनल कमिश्नर ) द्वारा  बुलाई गयी बैठक में निर्वाचित सदस्यों  के  तीन -चौथाई बहुमत (अम्बाला नगर निगम में यह संख्या 16  बनती है ) से ही  पारित हो सकेगा जिसके बाद इसकी सूचना राज्य सरकार को भेजी जाएगी जहाँ से इसे आगे  राज्य निर्वाचन आयोग को भेजा जाएगा जिसके पश्चात उस मेयर का  नाम   डी-नोटिफाई कर  और उसके स्थान पर नए मेयर के निर्वाचन की कवायद आयोग प्रारम्भ की जायेगी.

हालांकि अगर उक्त बैठक में मेयर के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित नहीं हो पाता या निर्धारित कोरम के आधार में बैठक नहीं हो पाती, तो इसके अगले  छः माह तक सदस्यों  द्वारा ताज़ा अविश्वास  प्रस्ताव नहीं लाया  जा सकेगा. लिखने योग्य है कि उक्त कवायद  के लिए  निर्वाचित सदस्यों की संख्या में  सीधे निर्वाचित मेयर को भी शामिल किया जाएगा. इस सम्बन्ध में होने वाली  नगर निगम बैठक में न तो मनोनीत  स्थानीय  विधायक/सांसद  और न ही   मनोनीत सदस्य  उपस्थित हो सकेंगे और न ही वोट कर सकेंगे.

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