कुरूक्षेत्र लोकसभा प्रत्याशीयों की हार-जीत को लेकर लगने लगे है दांव
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हर पार्टी के समर्थक अपने अपने प्रत्याशीयों के कर रहे जीत के दावे
बाबैन, राकेश शर्मा
लोकसभा कुरूक्षेत्र में चुनाव के मतदान पश्चात ईवीएम मशीनें स्ट्रांग रूम में रखे जाने के बाद समर्थकों में जीत हार को लेकर कयासबाजी का दौर शुरू हो गया है। बाबैन क्षेत्र में रविवार सुबह से लेकर सारा दिन चुनावी चर्चाओंं का माहौल गर्म रहा। चाय पान की दुकानें हो या कार्यालय, सभी जगह सुबह से लेकर शाम तक लोग जीत हार के लिये गणित लगाते हुए देखे गये। शनिवार को लोकसभा चुनाव का छटा चरण निपट जाने के बाद रविवार को सुबह से ही गली कूचे, चौराहों और चाय पान की दुकानों पर पार्टी प्रत्याशी और समर्थक जीत हार के लिये गणित लगाते रहे। अब मतदान के बाद लोग जीत हार को लेकर माथा पच्ची करने में जुटे हुए हैं। हालांकि सभी प्रमुख राजनैतिक दलों के समर्थक अपने-अपने प्रत्याशी के जीत के दावे कर रहे हैं। किस प्रत्याशी के पक्ष में हवा चली, कौन जीत सकता है, इन चर्चाओं का माहौल खासा गर्म रहा। लोग चुनावी जानकारी पाने के लिये इतना उतावले दिखाई दिये कि कामकाज छोडक़र पार्टी कार्यालयों में पहुंचकर जीत हार के लिये गुणा भाग करते रहे।
पार्टी के नेताओं के कार्यालयों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में भी लोग कामकाज करने के बजाय चुनाव प्रतिशत किसके पक्ष में अच्छा रहा, कौन जीत सकता है, इन मुद्दों पर चर्चाएं करते रहे। इस दफा के चुनाव में मतदाताओं द्वारा जोश और उत्साह के साथ की गई वोटिंग के बाद अब वह चुनाव नतीजे जानने के लिये बेचैन हैं।
वहीं विभिन्न दलों के पार्टी कार्यालयों में सन्नाटा पसरा है।
चुनाव बाद प्रत्याशियों के घर गुलजार- लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद पार्टी कार्यालयों में सन्नाटा पसरा गया है, लेकिन अब प्रत्याशियों के घर गुलजार हो गये हैं। समर्थक और चुनाव में दिन रात मेहनत करने वाले मतदाताओं का प्रत्याशियों के घरों पर जमावड़ा लग रहा है। समर्थक और पार्टी कार्यकर्ता अब अपने-अपने प्रत्याशियों के जीत के दावे करते हुये थक नहीं रहे हैं। चुनाव कार्यालयों में तालाबंदी के बाद अब समर्थक घरों में चाय नाश्ता चट कर रहे है।
हार-जीत को लेकर लगने लगे है दांव
चुनाव के इस दौर में हार-जीत के लिए अब छोटे से लेकर बड़े स्तर तक बाजियों का भी दौर शुरू हो गया है। 100 रुपए से लेकर लाखों रुपये तक की दांव लगने लगी है। जीत व हार के मंथन के बीच दावों को लेकर लोगों की तकरारें भी बढ़ गई है और बातों ही बातों में लोगों के सुर भी तेज होते जा रहे हैं। जीत पर अड़े रहने के कारण दावे को लेकर तल्खियां भी बढ़ गई है। गांव से लेकर शहर तक अमूमन यही स्थिति है कि चुनाव के बाद हार-जीत के मामले को लेकर हो रही बहसें विवाद का रूप भी लेनी लगी हैं।
4 जून को खुलेंगी मत पेटियां
लोकसभा चुनाव में भारी मतदान से राजनीतिक गलियारों की चर्चाएं तो गर्म है हीं। वहीं, जोड़-घटाओ लगाने वाले राजनीतिक पंडित भी पशो पेश में हैं। हालांकि, राजनीति का यह ऊंट किस करवट बैठेगा, यह तो चार जून को ही पता चलेगा। लेकिन, इतना तय है कि 62 फीसदी पड़े वोट से मतदान से कईयों के समीकरण बनने बिगडऩे लगे हैं। अपने-अपने दावे व प्रतिदावों के बीच दोनों ही राजनीतिक दल भारी मतदान को अपने पक्ष में बता रहे हैं। जहां देश की प्रमुख भाजपा पार्टी सरकार की योजनाओं व विकास कार्यो से जोड़ कर देख रही हैं, तो वही इडिय़ा गठबंधन पार्टी इसे बदलाव का संकेत मान रही है।
पार्टी के नेताओं के कार्यालयों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में भी लोग कामकाज करने के बजाय चुनाव प्रतिशत किसके पक्ष में अच्छा रहा, कौन जीत सकता है, इन मुद्दों पर चर्चाएं करते रहे। इस दफा के चुनाव में मतदाताओं द्वारा जोश और उत्साह के साथ की गई वोटिंग के बाद अब वह चुनाव नतीजे जानने के लिये बेचैन हैं।
वहीं विभिन्न दलों के पार्टी कार्यालयों में सन्नाटा पसरा है।
चुनाव बाद प्रत्याशियों के घर गुलजार- लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद पार्टी कार्यालयों में सन्नाटा पसरा गया है, लेकिन अब प्रत्याशियों के घर गुलजार हो गये हैं। समर्थक और चुनाव में दिन रात मेहनत करने वाले मतदाताओं का प्रत्याशियों के घरों पर जमावड़ा लग रहा है। समर्थक और पार्टी कार्यकर्ता अब अपने-अपने प्रत्याशियों के जीत के दावे करते हुये थक नहीं रहे हैं। चुनाव कार्यालयों में तालाबंदी के बाद अब समर्थक घरों में चाय नाश्ता चट कर रहे है।
हार-जीत को लेकर लगने लगे है दांव
चुनाव के इस दौर में हार-जीत के लिए अब छोटे से लेकर बड़े स्तर तक बाजियों का भी दौर शुरू हो गया है। 100 रुपए से लेकर लाखों रुपये तक की दांव लगने लगी है। जीत व हार के मंथन के बीच दावों को लेकर लोगों की तकरारें भी बढ़ गई है और बातों ही बातों में लोगों के सुर भी तेज होते जा रहे हैं। जीत पर अड़े रहने के कारण दावे को लेकर तल्खियां भी बढ़ गई है। गांव से लेकर शहर तक अमूमन यही स्थिति है कि चुनाव के बाद हार-जीत के मामले को लेकर हो रही बहसें विवाद का रूप भी लेनी लगी हैं।
4 जून को खुलेंगी मत पेटियां
लोकसभा चुनाव में भारी मतदान से राजनीतिक गलियारों की चर्चाएं तो गर्म है हीं। वहीं, जोड़-घटाओ लगाने वाले राजनीतिक पंडित भी पशो पेश में हैं। हालांकि, राजनीति का यह ऊंट किस करवट बैठेगा, यह तो चार जून को ही पता चलेगा। लेकिन, इतना तय है कि 62 फीसदी पड़े वोट से मतदान से कईयों के समीकरण बनने बिगडऩे लगे हैं। अपने-अपने दावे व प्रतिदावों के बीच दोनों ही राजनीतिक दल भारी मतदान को अपने पक्ष में बता रहे हैं। जहां देश की प्रमुख भाजपा पार्टी सरकार की योजनाओं व विकास कार्यो से जोड़ कर देख रही हैं, तो वही इडिय़ा गठबंधन पार्टी इसे बदलाव का संकेत मान रही है।