अम्बाला, 26 मई।  अम्बाला के डीसी डॉ. शालीन ने तापमान में हो रही बढ़ौतरी के चलते नागरिकों से हीट-वेव यानि लू के प्रकोप से बचाव के लिए विशेष सावधानी बरतने की अपील की है। उन्होंने नागरिकों से आह्वान किया है कि वे लू से बचाव के लिए जरूरी प्रबंध रखें। छोटे बच्चों व बुजुर्गों की विशेष देखभाल जरूरी है।

डीसी डॉ. शालीन ने कहा कि मौसम विभाग ने आने वाले कुछ दिन और अत्याधिक गर्मी होने व लू के चलने की संभावना जताई है। ऐसे में नागरिकों को विशेष सावधानी व बचाव करने की जरूरत है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी एडवाईजरी के अनुरूप तापमान अधिक होने की स्थिति में कड़ी मेहनत का कार्य न करें। इसके अलावा शरीर में पानी की कमी करने वाले चाय, कॉफी और कार्बोनेटिड शीतल पेय जैसे पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए। उच्च प्रोटीन युक्त व बासी भोजन न खाएं। कमजोरी, चक्कर आना, सिर दर्द, दौरे जैसे हीट स्ट्रोक, हीट रैश के संकेतों को पहचाने। यदि आप बेहोशी या बीमार महसूस करें तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

पीयें पर्याप्त पानी
डीसी डॉ. शालीन ने कहा कि लू से बचाव के लिए पर्याप्त पानी पीयें, भले ही प्यास न लगी हो। हल्के रंग के व ढीले और छिद्रयुक्त सूती कपड़े पहनें। धूप में बाहर जाते समय सुरक्षात्मक चश्मे, छाता/टोपी, जूते या चप्पल का प्रयोग करें। जब बाहर का तापमान अधिक हो तो कड़ी मेहनत की गतिविधियों से बचें। बिना कार्य के तपती दोपहरी में घर से बाहर निकलने से बचें। यात्रा करते समय पानी अपने साथ रखें। यदि आप बाहर काम करते हैं, तो टोपी या छाते का उपयोग करें और अपने सिर, गर्दन, चेहरे और अंगों पर एक नम कपड़े का उपयोग करें।
यदि आप बेहोशी या बीमार महसूस करते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। ओआरएस, घर पर बने पेय जैसे लस्सी, तोरानी (चावल का पानी), नींबू पानी, छाछ आदि का उपयोग करें जो शरीर को फिर से हाइड्रेट करने में मदद करता है। घर को ठंडा रखें, पर्दे, शटर या सनशेड का उपयोग करें और रात में खिड़कियां खोलें, पंखे का प्रयोग करें।

जानवरों को छाया में रखें
डीसी डॉ. शालीन ने कहा कि पार्क किए गए वाहनों में बच्चों या पालतू जानवरों को न छोड़ें। जानवरों को छाया में रखें और उन्हें पीने के लिए भरपूर पानी दें। नागरिक स्वयं के साथ-साथ बेजुबान पशु और पक्षियों का भी ध्यान रखें। जहां पर अक्सर पक्षी आते हैं, वहां पर पानी का उचित प्रबंध करें ताकि प्यास लगने पर पक्षी पानी पी सकें। अत्याधिक गर्मी के चलते पक्षियों को बार-बार प्यास लगना स्वाभाविक है।

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