एडमिशन के लिए ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 10 जून
करनाल
महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय करनाल में बीएससी (ऑनर्स) हॉर्टिकल्चर ओर एमएससी (ऑनर्स) हॉर्टिकल्चर में एडमिशन लेने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी हैं। बीएससी (ऑनर्स) हॉर्टिकल्चर ओर एमएससी (ऑनर्स) हॉर्टिकल्चर में एडमिशन लिखित परीक्षा में मैरिट के आधार पर होंगे। आवेदन करने की अंतिम तिथि 10 जून हैं।
यह जानकारी देते हुए महाराणा प्रताप उद्यान विश्विविद्यालय करनाल के माननीय कुलपति डॉ. सुरेश कुमार मल्होत्रा ने बताया कि बीएससी (ऑनर्स) हॉर्टिकल्चर की 120 सीट, एमएससी (ऑनर्स) हॉर्टिकल्चर की 10 सीटों के लिए इच्छुक विद्यार्थी 10 जून तक ऑनलाइन आवेदन कर सकता है। 4 वर्षीय बीएससी (ऑनर्स) हॉर्टिकल्चर में एडमिशन लेने के लिए विद्यार्थियों की योग्यता 12 वीं कक्षा में सामान्य श्रेणी के अभ्यार्थियों के लिए 50 प्रतिशत ओर एससी ओर पीडब्ल्यूडी श्रेणी के अभ्यार्थियों के लिए 47.5 प्रतिशत अंक होने अनिवार्य हैं।
माननीय कुलपति ने बताया कि इसी तरह एमएससी (ऑनर्स) हॉर्टिकल्चर में दाखिले के इच्छुक अभ्यार्थियों को बीएससी (ऑनर्स) हॉर्टिकल्चर पास होना चाहिए। विद्यार्थी (3) विषयों एमएससी फ्रूट साइंस (4) एमएससी फ्लोरिकल्चर एंड लैड स्केपिंग 2, एमएससी वैजिटेबल साइंस (4) सीटों पर एडमिशन के लिए भी 10 जून 2024 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। उन्होंने जो विद्यार्थी आवेदन कर रहे हैं ओर वे चाहते है कि वे महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय में एडमिशन लेना चाहते हैं तो उन्हें ऑनलाइन आवेदन के साथ ही एक ओर एप्लीकेशन ऑनलाइन करना होगा। जिसके लिए सामान्य श्रेणी के अभ्यार्थियों को 500 रुपए व एससी,बीसी, ईडब्ल्यूएस, पीडब्ल्यूडी श्रेणी के अभ्यार्थियों को 125 रुपए की फीस देनी होगी।
कुलपति ने बताया कि लिखित परीक्षा चौ.चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार द्वारा आयोजित की जाएगी। दाखिला प्रक्रिया, न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता , उपलब्ध सीटों की जानकारी आदि सभी जानकारियां विश्वविद्यालय की वेबसाइट hau .ac.in ओर admissions.hau.ac.in और mhu.ac.in पर उपलब्ध हैं।
माननीय कुलपति डॉ सुरेश कुमार मल्होत्रा ने बताया कि बागवानी क्षेत्र में रोजगार के असीमित अवसर है। किसान भी परपंरागत खेती को छोड़कर बागवानी की खेती की ओर बढ़ रहे हैं, लेकिन किसानों के पास उन्नत जानकारियां उपलब्ध नहीं होती। जिनके चलते किसान बागवानी की खेती करके भी मनमुताबिक आर्थिक लाभ नहीं ले पाते। इन सब कमियों को बागवानों द्वारा पूरा किया जाए।