नवीन जिंदल और सुशील गुप्ता दोनों हैं पूंजीपति, दोनों से किसान, कमेरे के हितैषी को बचाना होगा

भूपेंद्र हुडृडा से भी हम कोई उम्मीद नहीं रखते क्योंकि जब किसान आंदोलन चल रहा था तब विपक्ष के नेता रहते सरकार द्वारा दी जा रही कैबिनेट मंत्री स्तर की सारी सुविधाओं के साथ ऐशो आराम की और एक सरकारी चपड़ासी तक का भी त्याग नहीं किया
कुरूक्षेत्र। भाकियू नेता सरदार गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि देश में ज्यादातर कांग्रेस और बीजेपी का राज रहा है। न तो कांग्रेस ने किसानों को उसकी फसल के भाव दिए और न ही बीजेपी ने। हम केवल न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग कर रहे हैं। किसानों को 2014 से लेकर अब तक 4 लाख करोड़ रूपए न्यूनतम मुल्य से कम दिए हैं। इससे किसान कर्जा चढ़ने के कारण आत्महत्या करने पर मजबूर हुआ। आत्महत्या करे किसान, कर्जे में दबे किसान और कर्जे माफ किए जाते हैं पूंजीपतियों के। सुशील गुप्ता और नवीन जिंदल सांसद रहे हैं लेकिन हम किसानों के बारे में एक भी शब्द नहीं कहा। किसान आंदोलन में जिंदल और गुप्ता ने कोई सहयोग नहीं किया तो इन दोनो से हम कोई उम्मीद नहीं रख सकते। भूपेंद्र हुडृडा से भी हम कोई उम्मीद नहीं रखते क्योंकि जब किसान आंदोलन चल रहा था तब विपक्ष के नेता रहते सरकार द्वारा दी जा रही कैबिनेट मंत्री स्तर की सारी सुविधाओं के साथ ऐशो आराम की और एक सरकारी चपड़ासी तक का भी त्याग नहीं किया। एक भी कांग्रेस वाले नेता ने इस्तीफा देकर किसानों का साथ नहीं दिया। हमारी सदन में कौन आवाज उठा सकता है, कौन वकालत कर सकता है यह हमे समझना होगा। अभय चौटाला ने किसानों की आवाज सदन में और बाहर दोनो जगह उठाई है। किसान आंदोलन को सफल बनाने के लिए विधायक पद से इस्तीफा दिया और लगातार किसानों के बीच में हैं। चौधरी छोटूराम ने कहा था कि हे किसान एक तो बोलना सीख ले और दूसरा अपने दुश्मन को पहचानना सीख ले। आज समय आ गया है अपने को पहचानने का अगर आज अभय सिंह का साथ हम किसानों ने नहीं दिया तो किसान कमेरे की बांह पकड़ने वाला कोई नहीं बचेगा। आज हमारा फर्ज बनता है कि अभय सिंह चौटाला को सांसद बना कर भेजें और किसानों की आवाज को लोकसभा में बुलंद करें।
अगर किसानों की आवाज उठानी है तो किसान को लोकसभा में भेजेंः अभय सिंह चौटाला
कांग्रेस व भाजपा किसान, कमेरे वर्ग के शोषण की नीतियां बनाती हैं
इनेलो प्रत्याशी अभय चौटाला ने अपने जनसंपर्क अभियान में कहा कि मुख्यमंत्री रहते चौधरी ओमप्रकाश चौटाला गांव दर गांव सरकार आपके द्वार कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगों की समस्याएं सुनते थे। ताऊ देवीलाल गांवों की चौपाल व खेतों तक में जाकर किसानों से मिलते थे। इसी कारण किसान, कमेरे वर्ग के कल्याण के लिए नीतियां बना पाए। जबकि भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दस साल व बाद में मनोहर लाल खट्टर ने साढ़े नौ साल किसी की सुनवाई नहीं की। जिस कारण आज हरियाणा के हालात सबके सामने हैं। हरियाणा में परिवर्तन यात्रा के दौरान पता चला था कि हरियाणा प्रदेश की जनता भाजपा राज से तंग आ चुकी है। सिरसा से मेवात तक टेल तक पानी नहीं पहुंचता। गांवों में पीने पानी तक की परेशानी है, स्कूलों में अध्यापकों की कमी से ताले लगे हुए हैं, गांवों में सीएचसी व पीएचसी में डाक्टर नहीं हैं। इसी प्रकार पूरा प्रदेश बेहाल है। मोदी ने देश को कमजोर कर दिया। देश को पैसा कमाने वाली सरकारी संस्थाओं को अपने मित्रों को बेच दिया। रेल बेच दी, भेल बेच दी। हवाई जहाज बेच दिए। बीमा कंपनी व बैंक बेच दिए। जीएसटी से हर वर्ग के लोग परेशान हैं। युवा रोजगार न मिलने के कारण मजबूरी में डोंकी से विदेश जा रहे हैं। महंगाई व गरीबी को कम करने का वायदा किया था। दोनों समस्याएं बढ़ गई हैं। भ्रष्टाचार बढ़ा है। कानून व्यवस्था खराब है। नशा बढ़ गया। अपराध बढ़ गया। किसान, मजदूर, व्यापारी, कर्मचारी, माताएं-बहनें परेशान हैं। सभी इस सरकार को बदलना चाहते हैं। जब सरकार बदलना चाहते हैं तो एक बात यह भी सीख लो कि सरकार कैसे बदलेगी। इसके लिए सोच बदलनी पड़ेगी। अपने व पराये की पहचान करनी पड़ेगी। कुरुक्षेत्र में दो उम्मीदवार हैं। नवीन जिंदल दस साल सांसद रहा। वह राजनीति में न आने की बात कहकर गया था। दस साल से वह यहां दिखाई नहीं दिया। इसी प्रकार से सुशील गुप्ता जो गठबंधन का प्रत्याशी है। वह भी हरियाणा में हुए आंदोलनों में नहीं आए। केवल इनेलो का कार्यकर्ता किसान आंदोलन में किसानों के साथ खड़ा रहा। अब फिर अपने व पराये की पहचान का समय आ गया है। 25 मई को होने वाले चुनाव में चश्मे के निशान के सामने का बटन दबाकर उन्हें संसद में भेजने का काम करें। ताकि वहां देश के किसान व कमेरे वर्ग की आवाज बुलंद की जा सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *