स्थानीय एमडीएसडी कॉलेज की हिन्दी विभाग की सहायक प्रोफेसर एवं साहित्यिक परिषद की संयोजक डॉ. मन्जु तोमर का वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड लंदन में सह लेखक के रूप में नाम दर्ज होना अंबाला के लिए ही नहीं बल्कि हरियाणा के लिए भी गौरव का विषय है । इस रिकॉर्ड में नाम दर्ज होने से उनके निवास स्थान पर बधाई देने वालों का तांता लग गया । दुनिया में सबसे अधिक स्वतंत्रता सेनानियों के ऊपर लिखी गई पुस्तक में सह लेखक के रूप उनको इस रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। उक्त पुस्तक में देश के 75 हिन्दी वरिष्ठ साहित्यकारों ने भाग लिया। हावर्ड वर्ल्ड रिकॉर्ड द्वारा इस पुस्तक में सबसे ज्यादा स्वतंत्रता सेनानियों के ऊपर लेख लिखे जाने पर विश्व रिकॉर्ड में सम्मिलित किया गया। इस रिकॉर्ड में नाम दर्ज करवाने वाली अंबाला की पहली साहित्यकार है इससे पहले साहित्य में उनकी रचनात्मक योगदान को देखते हुए उनके उन्होंने अनेक सामान प्राप्त हो चुके हैं जिनमें मुख्य रूप से
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षक सम्मान, राष्ट्र पुत्री अवार्ड, आचार्य चाणक्य सम्मान,
शिक्षा रत्न सम्मान आदि शामिल हैं.डॉ. मंजु तोमर ने कहा कि यह बेहद गौरव के पल हैं. रविवार को जब मातृ दिवस पर जब ये एशिया हैड के हस्ताक्षर हुआ प्रमाण पर प्राप्त हुआ तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा. य़ह उपलब्धि मैं अपनी माँ एवं गुरूजनों को समर्पित करती हूँ. जो भी मुकाम हासिल हुआ है उनके कारण ही हुआ है. उन्होंने कहा कि आज हमें हमारी सभ्यता एवं संकृति पर रचनात्मक लेखन की जरूरत है. नई पीढ़ी पाश्चात्य संस्कृति के गर्त में जा रही है. साहित्य समाज का दर्पण है. हमें रचनात्मक लेखन से इस दर्पण को और पारदर्शी बनाना है.
डॉ. मंजु आजकल एक हिन्दी उपन्यास पर काम कर रहीं हैं. जिसमें युवाओं के संघर्ष को दिखाया जाएगा.
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षक सम्मान, राष्ट्र पुत्री अवार्ड, आचार्य चाणक्य सम्मान,
शिक्षा रत्न सम्मान आदि शामिल हैं.डॉ. मंजु तोमर ने कहा कि यह बेहद गौरव के पल हैं. रविवार को जब मातृ दिवस पर जब ये एशिया हैड के हस्ताक्षर हुआ प्रमाण पर प्राप्त हुआ तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा. य़ह उपलब्धि मैं अपनी माँ एवं गुरूजनों को समर्पित करती हूँ. जो भी मुकाम हासिल हुआ है उनके कारण ही हुआ है. उन्होंने कहा कि आज हमें हमारी सभ्यता एवं संकृति पर रचनात्मक लेखन की जरूरत है. नई पीढ़ी पाश्चात्य संस्कृति के गर्त में जा रही है. साहित्य समाज का दर्पण है. हमें रचनात्मक लेखन से इस दर्पण को और पारदर्शी बनाना है.
डॉ. मंजु आजकल एक हिन्दी उपन्यास पर काम कर रहीं हैं. जिसमें युवाओं के संघर्ष को दिखाया जाएगा.