कुरुक्षेत्र, 19 अप्रैल। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के रसायन विभाग के प्रोफेसर पवन शर्मा तथा जूलोजी विभाग के शिक्षक डॉ. जितेंद्र भारद्वाज के ट्राइजोलोथियाज़ोलिल-ट्रायजोल व्युत्पन्न एपोप्टोसिस इंड्यूसिंग कंपोजिशन के पेटेंट को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के नाम पर प्रदान किया गया है।
कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कुवि शिक्षकों को बधाई देते हुए कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय शोध के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण कार्य के लिए व शोध को उच्च स्तर तक ले जाने के लिए कटिबद्ध है। इसके लिए शिक्षकों को बेहतर शोध कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि शोध के क्षेत्र में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय भी देश-विदेश के बेहतर विश्वविद्यालयों के साथ शोध की गुणवत्ता के सभी मापदंडों पर खरा उतर सके। उन्होंने कहा कि पेटेंट विशेषज्ञ आईपीआर आनरेरी प्रोफेसर डॉ. रमेश कुमार मेहता के अमूल्य योगदान के माध्यम से पेटेंट दाखिल करने की सुविधा केयू शिक्षकों को प्रदान की जा रही है।
डॉ. जितेन्द्र भारद्वाज ने बताया कि वर्तमान आविष्कार कैंसर के उपचार के लिए एपोप्टोसिस उत्प्रेरण संरचना से संबंधित है। कैंसर मानव जाति के लिए सबसे भयानक बीमारियों में से एक है और यह दुनिया भर में सबसे अधिक इसके मरीज भी हैं। उन्होंने बताया कि कैंसर से जुड़े लक्षणों में से एक अनियंत्रित कोशिका प्रसार के दौरान हाइपोक्सिया की स्थिति का विकास है जो ट्यूमर की वृद्धि कारक है। उन्होंने बताया कि गैर-सर्जिकल, गैर-विशिष्ट और प्रतिरक्षात्मक रूप से गौण होने के कारण, एपोप्टोसिस आणविक रूप से कोशिका को नियंत्रित करने का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए शक्तिशाली एपोप्टोसिस प्रेरण प्रभावकारिता से सम्पन्न नवीन कार्बनिक अणुओं के विकास को कैंसर के उपचार के लिए एक उपयोगी दृष्टिकोण माना जा रहा है। इसके लिए नवीन कार्बनिक अणुओं को विकसित करने के लिए एपोप्टोसिस उत्प्रेरण में वृद्धि का होना जरूरी है। वर्तमान आविष्कार का मुख्य उद्देश्य नवीन संरचना और एपोप्टोसिस को प्रेरित करने में सक्षम फार्मास्युटिकल संरचना प्रदान करके कैंसर की समस्या को हल करना है।
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