शाहबाद 17 अप्रैल सहायक निर्वाचन अधिकारी एवं उपमंडल अधिकारी नागरिक पुलकित मल्होत्रा ने कहा कि लोकसभा आम चुनाव को स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराने में मीडिया की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। इसलिए आदर्श आचार संहिता के दौरान प्रिंट मीडिया के लिए प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीएसए) द्वारा निर्धारित नियमों और दिशानिर्देशों के अनुसार समाचार और विज्ञापनों का प्रकाशन और प्रसारण करना अनिवार्य है।
एआरओ एवं एसडीएम पुलकित मल्होत्रा ने कहा कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में मुद्रण या प्रसारण के लिए विज्ञापन देने वाले किसी भी उम्मीदवार या राजनीतिक दल को यह सत्यापित करना होगा कि विज्ञापन मीडिया प्रमाणन और निगरानी समिति द्वारा प्रमाणित है या नहीं। केंद्र, राज्य और जिला स्तर पर एमसीएमसी समिति का गठन किया गया है और उम्मीदवारों या राजनीतिक दलों को केवल हरियाणा की एमसीएमसी समिति से प्रमाणन प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है। उम्मीदवार या राजनीतिक दल दिल्ली स्थित एमसीएमसी कमेटी से भी प्रमाणन प्राप्त कर सकते हैं, जो हरियाणा में भी मान्य होगा। मीडिया को सांप्रदायिक, गैरकानूनी, जातिवादी और राष्ट्रविरोधी खबरें प्रसारित करने से बचना चाहिए। उन्होंने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी द्वारा निर्धारित नियमों और दिशा निर्देशों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि आदर्श आचार संहिता के दौरान मीडिया को सांप्रदायिक, अवैध, जातिवादी और राष्ट्र विरोधी समाचार प्रसारित करने से बचना चाहिए।
उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार के लिए उम्मीदवारों एवं राजनीतिक दलों द्वारा विभिन्न प्रकार की विज्ञापन सामग्री मुद्रित की जाती है, इसलिए प्रकाशक एवं मुद्रक द्वारा मुद्रित सामग्री को संबंधित जिला मजिस्ट्रेट या मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय में भेजना आवश्यक है। यदि कोई व्यक्ति किसी उम्मीदवार या राजनीतिक दल की ओर से विज्ञापन सामग्री छापता या प्रसारित करता है तो मीडिया संगठन को यह जांचना होगा कि उस व्यक्ति ने उम्मीदवार या राजनीतिक दल से सहमति ली है या नहीं यदि उम्मीदवार या राजनीतिक दल की सहमति से विज्ञापन सामग्री मुद्रित या प्रसारित की जा रही है तो विज्ञापन का खर्च उस उम्मीदवार या राजनीतिक दल के चुनाव खर्च में जोड़ा जाएगा। यदि उम्मीदवार या राजनीतिक दल की सहमति के बिना कोई विज्ञापन किया जा रहा है, तो उस व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा।