नाटक पंचलाईट व गई भैंस पाणी में देख दर्शक हुए लोटपोट, कलाकारों ने बटौरी वाहवाही
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पंचकुला में विकास शर्मा के निर्देशन में मंचित हुए दो नाटक, कलाकारों की प्रतिभा के कायल हुए दर्शक
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गई भैंस पानी में नाटक से कलाकारों ने दिया साईबर फ्राड से बचने का संदेश और पंचलाईट ने किया अशिक्षा पर प्रहार
कुरुक्षेत्र 07 मार्च। पंचलाईट के चक्कर में हम तो सुबह से चुल्हा-चौका भी ना किए, यही सोचे थे कि पंचलाईट आएगा तो गुजिया बनाकर पूरे टोला को खिलाएंगे। पर अब ना ई पंचलाईट जलेगा ना ही गुजिया बनेगी। अब जब तक पंचलाईट नहीं जलेगा, हमरे गले के नीचे तो निवाला भी नहीं उतरेगा। इसी तरह के संवादों के साथ कुरुक्षेत्र के कलाकारों ने हास्य नाटक पंचलाईट प्रस्तुत कर पंचकुलावासियों को हास्य रस में डुबकियां लगवाई। मौका था पंचकुला के सेक्टर 5 स्थित परेड ग्राउड में हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, पंचकुला के सौजन्य से 1 से 12 मार्च तक चल रहे सरस मेले का। जिसमें विभिन्न कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये जा रहे हैं। इसी कड़ी में हरियाणा लोक कला उत्थान ट्रस्ट द्वारा बुधवार 6 मार्च को दो हास्य नाटकों का मंचन करवाया गया। न्यू उत्थान थियेटर ग्रुप कुरुक्षेत्र के कलाकारों द्वारा विकास शर्मा के निर्देशन में भोजपुरी नाटक पंचलाईट तथा हरियाणवी नाटक गई भैंस पाणी में मंचित किये गए। कार्यक्रम के दौरान मंच का संचालन सौरव अत्री द्वारा किया गया।

फणीश्वरनाथ रेणू द्वारा लिखित कहानी पंचलाईट बिहार के गांव के भोले-भाले लोगों के इर्द-गिर्द घूमती है। जहां गांव में बिजली न होने के कारण महतो टोली के लोग दण्ड और जुर्माने के पैसे इकट्ठे करके पंचलाईट खरीद लेते हैं। जब शहर से पंचलाईट गांव में आती है तो खूब खुशियां मनाई जाती हैं। लेकिन बाद में पता चलता है कि गांव के किसी भी व्यक्ति को पंचलाईट जलानी नहीं आती। लेकिन गांव का एक आवारा लड़का गोधन जो पढ़ा लिखा है, उसे ही पंचलाईट जलानी आती है। गोधन गांव की ही लड़की मुनरी से प्यार करता था। लेकिन मुनरी से प्यार करने वाले कल्लू को ये अच्छा नहीं लगता और वह मुनरी की अम्मा को सब बता देता है। मुनरी की अम्मा पंचायत बुला लेती है, जिसमें फैंसला होता है कि गोधन का हुक्का पानी बंद कर दिया जाए। इस प्रकार गोधन और मुनरी का मिलना जुलना बंद हो जाता है और गोधन को गांव से निकाल दिया जाता है। लेकिन पंचलाईट आने पर मुनरी सबको बताती है कि गोधन को ही पंचलाईट जलानी आती है। इज्जत बचाने के चक्कर में सरपंच गोधन को बुलवाकर पंचलाईट जलाने के लिए कहता है, लेकिन गोधन शर्त रखता है कि यदि मुनरी से उसका ब्याह करवाया जाए, तभी वह पंचलाईट जलाएगा। पंचायत उसकी बात मान लेती है और गोधन का मुनरी से ब्याह करवाने का वादा करती है। तब गोधन पंचलाईट जला देता है और पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ पड़ती है।

इसके बाद दूसरा नाटक गई भैंस पाणी में मंचित किया गया। विकास शर्मा के लेखन और निर्देशन से सजे नाटक ने हास्य रस में लोगों को डुबकियां लगवाते हुए बड़े ही रोचक ढंग से साईबर क्राईम से बचने का संदेश दिया। नाटक में एक ऐसे परिवार में घटित घटना को दिखाया गया जो लालच में आकर गरीब बनने का ढोंग करते हुए साईबर क्राईम के शिकार हो जाते हैं। नत्थू और फुल्लो का बेहद अमीर परिवार हैए जिसमें उनके दो बेटे और एक बहन भी साथ रहती है। एक दिन एक साईबर ठग गांव की भोली-भाली जनता को गुमराह करके अमीर बनाने का सपना दिखा देता है। जिसके कारण फुल्लो और उसका परिवार अमीर होते हुए भी गरीब बनने का ढोंग करते है। परिवार का प्रत्येक सदस्य हास्य और हाजिर जवाबी के अंदाज में अपने-अपने ढंग से साईबर ठग को अपनी गरीबी का प्रमाण देता है। अंत में साईबर ठग साईबर क्राईम के जरिए नत्थू के परिवार के तीस हजार रुपये ठग लेता है। बाद में उसे पुलिस पकड़ लेती है, और नत्थू के परिवार को साईबर क्राईम के बारे में सचेत करती है। इस प्रकार हंसी के फव्वारे के साथ कलाकार लोगों को साईबर ठगी से बचने की सलाह देते हैं। नाटक में गौरव दीपक जांगड़ा, निकेता कौशिक, मनू महक माल्यान, शिव कुमार किरमच, चंचल शर्मा, अमरदीप जांगड़ा, विकास शर्मा, अनूप कुमार, सागर शर्मा, राजीव कुमार, पार्थ शर्मा, सुनैना, राजकुमारी, निखिल पारचा, साहिल खान, आकाशदीप, गोविंदा तथा पारितोष ने अपनी प्रतिभा को दिखाया।

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