केयू जनसंचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी संस्थान में एप्लीकेशन ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इन प्रिंटिग एंड ग्राफिक्स इंडस्ट्री’ विषय पर कार्यशाला आयोजित
कुरुक्षेत्र, 06 मार्च। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के जनसंचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी संस्थान के अंतर्गत संचालित ग्राफिक्स एंड एनिमेशन में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा के मार्गदर्शन में ‘एप्लीकेशन ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इन प्रिंटिग एंड ग्राफिक्स इंडस्ट्री’ विषय पर एक कार्यशाला आयोजित की गई।
इस कार्यशाला में मुख्य वक्ता पूर्व हेड, प्रिंटिंग टेक्नॉलॉजी, अविनाशिलिंगम डीम्ड यूनिवर्सिटी, कोयंबटूर की प्रोफेसर टी.के.एस. प्रिया लक्ष्मी ने कहा कि ‘आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस’ के माध्यम दृश्य संचार को उत्पन्न करने के लिए ‘एप्लीकेशन एडोब फायर-फ्लाई, मीड जर्नी, कैनवा इत्यादि एप्लीकेशन का इस्तेमाल किया जाता है। इन ‘एप्लीकेशन साफ्टवेयरों की अपनी एक पहुंच होती है।
उन्होंने कहा कि आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस व्यक्ति की कार्यक्षमता बढ़ाता है साथ ही प्रत्येक क्षेत्र में रोजगार के नये आयाम विकसित करता है। विद्यार्थियों को आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस को सीखना होगा क्योंकि तकनीक व्यक्ति के विकास की सहायक है। आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस किसी भी विचार को यथार्थ में लाते हुए सरल और गतिमान बनाती है।
इस अवसर पर जनसंचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी संस्थान की निदेशिका प्रोफेसर बिंदु शर्मा कहा कि ‘आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस’ और डीप लर्निग विद्यार्थियों को संचार एवं प्रौद्योगिकी के परिदृश्य में कार्य करने में सहायक सिद्ध होती हैं। उन्होने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम से विद्यार्थियों का चंहुमुखी विकास होता है।
कार्यक्रम संयोजक एवं संस्थान में सहायक प्राध्यापक राहुल अरोड़ा ने कहा कि आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस एक तकनीक है जो हमें कार्य करने में सहायता प्रदान करती है। विद्यार्थियों को ‘आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस’ को सीखना होगा ताकि वे तकनीकी दौर में अपना बेहतर भविष्य बना पाये। उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर में तकनीक से पिछड़ना अपने उज्ज्वल भविष्य से विमुख होना है, इसलिए वे तकनीक के साथ अच्छी दोस्ती करे।
इस अवसर पर संस्थान के सहायक प्रोफेसर अर्पणा, सुनिता, गौरव कुमार, सचिन वर्मा, अमित जागड़ा, राकेश भौरिया, डाॅ. रोशन लाल, प्रिति शर्मा उपस्थित रहे।
उन्होंने कहा कि आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस व्यक्ति की कार्यक्षमता बढ़ाता है साथ ही प्रत्येक क्षेत्र में रोजगार के नये आयाम विकसित करता है। विद्यार्थियों को आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस को सीखना होगा क्योंकि तकनीक व्यक्ति के विकास की सहायक है। आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस किसी भी विचार को यथार्थ में लाते हुए सरल और गतिमान बनाती है।
इस अवसर पर जनसंचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी संस्थान की निदेशिका प्रोफेसर बिंदु शर्मा कहा कि ‘आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस’ और डीप लर्निग विद्यार्थियों को संचार एवं प्रौद्योगिकी के परिदृश्य में कार्य करने में सहायक सिद्ध होती हैं। उन्होने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम से विद्यार्थियों का चंहुमुखी विकास होता है।
कार्यक्रम संयोजक एवं संस्थान में सहायक प्राध्यापक राहुल अरोड़ा ने कहा कि आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस एक तकनीक है जो हमें कार्य करने में सहायता प्रदान करती है। विद्यार्थियों को ‘आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस’ को सीखना होगा ताकि वे तकनीकी दौर में अपना बेहतर भविष्य बना पाये। उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर में तकनीक से पिछड़ना अपने उज्ज्वल भविष्य से विमुख होना है, इसलिए वे तकनीक के साथ अच्छी दोस्ती करे।
इस अवसर पर संस्थान के सहायक प्रोफेसर अर्पणा, सुनिता, गौरव कुमार, सचिन वर्मा, अमित जागड़ा, राकेश भौरिया, डाॅ. रोशन लाल, प्रिति शर्मा उपस्थित रहे।