लाडवा 23 फरवरी चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कृषि विज्ञान केंद्र कुरुक्षेत्र के सौजन्य से इन्दिरा गांधी नेशनल कॉलेज लाडवा (धनौरा) कुरुक्षेत्र में शुक्रवार को फसल अवशेष प्रबंधन अभियान के अंतर्गत पेंटिंग, निबंध लेखन तथा स्लोगन राइटिंग प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया जिसमें 150 विद्यार्थियों ने बढ़ चढक़र पूरे उत्साह से हिस्सा लिया। प्रतियोगिता कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉक्टर कुशलपाल, कृषि विज्ञान केंद्र कुरुक्षेत्र के वैज्ञानिक डॉ. सरिता रानी जिला विस्तार विशेषज्ञ सस्य विज्ञान, डॉ. ममता मौसम विशेषज्ञ, महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. अशोक वर्मा, डॉक्टर संदीप बंसल, डॉ सुनीता रानी, डॉ नीति गोयल तथा डॉ सुरेंद्र कुमार की देख रेख में किया गया।
डॉ सरिता रानी ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र कुरुक्षेत्र की तरफ़ से समय समय पर स्कूल व कॉलेजों में इस तरह के विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहता है तथा इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में जानकारी देकर पराली न जलाने के लिए जागरूक करना है ताकि ये विद्यार्थी अपने अभिभावकों, अड़ोस पड़ोस तथा अन्य किसानों को भी पराली न जलाने के लिए प्रेरित कर सके। उन्होंने फसल अवशेष प्रबंधन के लिए प्रयोग किए जाने वाली विभिन्न तकनीकों तथा उपायों के बारे में भी बताया। डॉ ममता ने फसल अवशेष जलाने से पर्यावरण को होने वाले नुकसानों के बारे में विस्तार से चर्चा की। पेंटिंग प्रतियोगिता में बीए द्वितीय कक्षा की छात्रा गुंजन, कक्षा बीकॉम तृतीय की छात्रा श्वेता ने द्वितीय तथा कक्षा बीकॉम द्वितीय की छात्रा नैन्सी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। निबंध लेखन प्रतियोगिता में कक्षा बीए द्वितीय की छात्राओं साक्षी व स्मृति ने क्रमश: प्रथम व तृतीय तथा कक्षा बीए प्रथम के छात्र भूपेन्द्र ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया।
उन्होंने कहा कि स्लोगन प्रतियोगिता में कक्षा बी कॉम तृतीय की छात्रा निकिता प्रथम, कक्षा बीकॉम तृतीय की छात्रा तनीषा शर्मा द्वितीय तथा कक्षा बीकॉम प्रथम की छात्रा शिवानी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। कृषि विज्ञान केंद्र कुरुक्षेत्र की तरफ से सभी विजेता विद्यार्थियों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ कुशल पाल ने कृषि विज्ञान केंद्र कुरुक्षेत्र द्वारा आयोजित प्रतियोगिताओं की काफी सराहना करते हुए वैज्ञानिकों को स्मृति चिह्न भेंट कर धन्यवाद किया।