कुरुक्षेत्र, 16 जनवरी। भगवान श्री राम भारतीय संस्कृति एवं चेतना के सर्वोच्च प्रतीक हैं। उनका जीवन, पारिवारिक, सामाजिक, प्रशासनिक एवं वैश्विक जीवन मूल्यों के सभी पक्षों में भारतीय चेतना के संवाहक के रूप में प्रकट होता है । उन्होंने अपने चारों भाइयों के साथ महर्षि वशिष्ठ से गुरुकुल में शस्त्र और शास्त्र विद्या की पढाई की। राज्याभिषेक के महान अवसर के विपरीत पिता के आदेश से धर्मचारिणी सीता एवं अनुज लक्ष्मण के साथ चौदह वर्ष के कठोर वनवास का वरण कर लिया। हिमालय जैसे संघर्षों के बीच भी सतत मर्यादा पालन ने उन्हें साधारण राजकुमार से कोटि-कोटि भारतीय के लिए आदर्श मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम बना दिया। यह विचार कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के आईआईएचएस संस्थान के संस्कृत विभाग अध्यक्ष डॉ रामचन्द्र ने केंद्रीय आर्य युवक परिषद दिल्ली द्वारा सोमवार को भारतीय गौरव स्वरूप राम मंदिर निर्माण के पावन अवसर पर विशेष रूप से आयोजित राष्ट्रीय वेबीनार में मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किए।
डॉ रामचन्द्र ने कहा कि राम केवल इसलिए आदर्श नहीं है कि वह स्वयं महान थे बल्कि उनका व्यक्तित्व इसलिए महान है कि उनके साथ में रहने वाला हर व्यक्ति भी राम की चेतना से चेतनावान हो जाता है। भरत का अतुलनीय भ्रातृप्रेम जिसमें वे 14 वर्ष तक खड़ाऊ को सिंहासन पर रख करके शासन करते हैं। वनवास तो राम को मिला है पर लक्ष्मण उनके साथ एक आत्मा बनकर अनुगमन करते हैं। जनक नंदिनी सीता भी राम के संघर्षों में सहगामिनी बन जाती हैं । इतिहास के पृष्ठों में ऐसा उदाहरण दूसरा प्राप्त नहीं होता।
मुख्य वक्ता डॉ रामचन्द्र ने कहा कि राज्याभिषेक एवं वनवास के दो भिन्न-भिन्न अवसर पर भी राम के मुख मंडल पर समता का भाव था। बाली के पास रावण के वध की शक्ति थी पर राम ने यह कहते हुए उसका वध किया कि तुम वीर तो हो पर सदाचारी नहीं हो। रावण जैसे अतुलनीय शक्तिशाली पर उन्होंने सुग्रीव एवं हनुमान जैसे वनवासियों एवं अपने उच्चतम चरित्र से ही विजय प्राप्त कर ली।
डॉ. रामचन्द्र ने आह्वान किया कि राम मंदिर का निर्माण हमारी पीढियों की शाश्वत अस्मिता की पूर्ति का विजय घोष है इसलिए इस अवसर पर घर-घर में दीपावली का दृश्य होना चाहिए , दीप सजाने चाहिए और साथ-साथ में श्री राम के चरित्र को जीवन अपनाने का संकल्प भी बनना चाहिए। समारोह के संयोजक एवं परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अनिल आर्य ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को भारतीय परंपरा एवं संस्कृति का सार्वकालिक महानायक बताया। वेबीनार में राजेश मेहन्दीरत्ता, आनंद प्रकाश आर्य, प्रवीण आर्य, रामसिंह वर्मा, कौशल्या अरोड़ा, जनक अरोड़ा एवं राजश्री सहित बड़ी संख्या में सम्मानित नागरिक सहभागी हुए। देश भर के सैकड़ो लोगों ने ऑनलाइन माध्यम से इस व्याख्यान को सुना।