कोलकाता के विकटोरिया हाऊस के पास बने संग्रहालय को देख मन में कुछ अलग करने हुआ पैदा जुनून ।
लाडवा 15 जनवरी
दुनिया में सभी लोगों के अलग-अलग तरह के शौक होते हैं। कोई खेल में रुचि रखता है तो किसी को किताबें पढ़ने का शौक है तो कोई दुनिया में भ्रमण करना चाहता है। कुरूक्षेत्र जिले के लाडवा शहर के ग्रामीण आंचल से भी गांव धनौरा जाटान के जाट समुदाय से संबंध रखने वाला दीप चन्द भी ऐसी ही विलक्षण प्रतिभा का धनी हैं, जिसने अपनी मात्र 20 वर्ष की युवा अवस्था से ही न केवल भारतीय मुद्रा के सिक्के बल्कि विदेशी यहां तक की कई हजारों वर्ष पूर्व के मुगल कालीन, गुप्त कालीन, राजा हर्ष वर्धन के साथ-साथ अंग्रेजी हुकुमत के लगभग 300 के करीब दुर्लभ सिक्कों का संग्रह करने का साहस जुटाया हैं। दीप चन्द ने बताया कि उसके पिता खेती भाड़ी का काम करते थे और वह भी बचपन में पढ़ाई के साथ-साथ उनका हाथ बंटाता थे। उन्होंने बताया कि वह इलेक्ट्रिशियन का काम करता था और सन् 1974 में वह एक इलैक्ट्रीशयन के नाते कोलकत्ता के विद्यावती फिल्म स्टूडियो गए थे। जहां पर उन्होंने विकटोरिया हाऊस के पास बने एक संग्रहालय को देखा तो उनके मन में भी कुछ अलग करने जुनून पैदा हुआ। जब आजाद भारत में 1950 में एक रुपए का सिक्का जारी किया गया था उससे उसके मन में उमंग उठी, जिससे उन्होंने विदेशी दुर्लभ सिक्के इक्टठे करने की ठानी। उन्होंने बताया कि उसके पास लगभग 2 हजार वर्ष ईसा पूर्व से लेकर अब तक के सिक्के उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि लेकर उस समय के सभी सिक्कों से आज तक जितने भी संशोधित सिक्के जारी हुए हैं वह सब उसके पास उपलब्ध हैं। उनकी इच्छा हैं कि वह किसी उच्च स्तरीय प्लेट फार्म पर इन सिक्कों को प्रदर्शित कर सके। उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि इन सिक्कों की खोज में इधर-उधर जाने के लिए निःशुल्क यात्रा सुविधा प्रदान की जाए और कोई ऐसा प्रमाण पत्र भी प्रदान किया जाए ताकि किसी भी प्रकार के व्यर्थ विवादों से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि सरकार हमेशा सांस्कृतिक विरासतों व प्राचीन चीजों को सहजने का काम करती है उनके द्वारा सहेजे गए दुर्लभ सिक्के भी सांस्कृतिक धरोहर के समान है। उन्होंने कहा कि इस समय उनकी आर्थिक इतनी हालत नहीं है कि कि वह इन सिक्कों को किसी प्रदर्शनी वगैरह में ले जाकर लोगों को दिखा सके।