श्रीकृष्ण आयुष विश्वविद्यालय के योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा विभाग द्वारा प्राकृतिक चिकित्सा दिवस पर जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया। स्वस्थवृत विभाग की सहायक प्रोफेसर एवं योग विभाग की एचओडी डॉ. शीतल सिंगला ने अतिथियों का पुष्पगुच्छ भेंट कर अभिनंदन किया। इस अवसर पर कुलपति प्रो. वैद्य करतार सिंह धीमान ने विद्यार्थियों व चिकित्सकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा पंच तत्वों पर आधारित है, और इन्हीं पंचभूत तत्वों से मिलकर मनुष्य का शरीर बना है, यानी प्राकृतिक चिकित्सा का इतिहास उतना ही पुराना है, जितना स्वयं प्रकृति। प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति भारत की ही देन है, हालांकि कुछ कारणों और विकास के प्रभाव अनुसार यह पद्धति भारत से लुप्त होती गई थी। मगर केंद्र सरकार के सकारात्मक प्रयासों व प्रदेश सरकार के रचनात्मक कदमों द्वारा प्राकृतिक चिकित्सा को बढ़ावा मिल रहा है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा एक ऐसी प्रणाली है, जो शरीर की सभी गंभीर बीमारियों को ठीक करने में प्राकृतिक उपचार का ही उपयोग करती है, अर्थात जो शरीर के अन्दर है, वही प्रकृति में विराजमान है। इसलिए प्रकृति से जुड़िए। अधिक से अधिक पेड़ लगाएं, कार्बन उत्सर्जन कम करें, इलेक्ट्रिक वाहन का प्रयोग करें। हमारा वातावरण जितना अधिक स्वच्छ होगा, मनुष्य शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार से स्वस्थ रहेगा। जिससे स्वच्छ समाज के निर्माण का सपना भी साकार होगा। प्राचार्य डॉ. देवेंद्र खुराना ने कहा कि वर्तमान में आहार-विहार के साथ-साथ प्रकृति से जुड़ना भी बहुत जरूरी हो गया है। तभी मनुष्य सुखी रह सकता है। अगर प्रकृति में परिवर्तन होता है तो निसंदेह शरीर में भी व्यक्ति हरकत महसूस करता है। प्रकृति प्रदत्त आहार का सेवन करें। जो सुपाच्य हो और पौष्टिक तत्वों से भरपूर हो। उन्होंने कहा कि कोरोना काल के दौरान और उसके बाद लोगों ने प्रकृति को ताकत को महसूस भी किया है। जैसे-जैसे मनुष्य ने प्रकृति से दूरी बनाई और उसका दोहन किया उसके परिणाम भी भुगतने को मिले हैं। जितना समय मिले प्रकृति की खुबसुरति में समय बिताएं। योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा विभाग के जूनियर कंसलटेंट डॉ. चक्रपाणि आर्य ने प्राकृतिक चिकित्सा विषय पर विस्तार से विद्यार्थियों को जानकारी दी। कार्यक्रम के अंत में स्वस्थवृत विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. सीमा रानी ने कुलपति महोदय का आभार प्रकट किया। इस अवसर पर डॉ. मोहित, डॉ. बिजेंद्र सिंह तोमर उपस्थित रहे।

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