अम्बाला, 9 नवम्बर: –
उपायुक्त डॉ0 शालीन ने किसानों से अपील की है कि वे धान की पराली एवं फसल के अवशेषों में आग न लगाएं। उन्होनें कहा कि पराली जलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति कम होती हैं और उससे पशुओं के लिए उपयोगी कई कीट भी नष्ट हो जाते हैं, जिससे फसलों पैदावार भी प्रभावित होती हैं। उन्होनें कहा कि इससे वायु प्रदूषण के साथ-साथ जमीन को भी नुकसान पहुंचता हैं। उन्होंने कहा कि पराली जलाने की घटनाएं नहीं होनी चाहिएं। पराली प्रबंधन/धान अवशेषों के निस्तारण के दृष्टिगत कृषि विभाग द्वारा कृषि यंत्र भी उपलब्ध करवाए जाते हैं। इन कृषि यंत्रों का प्रयोग करके किसान पराली /धान अवशेषों का सही तरीके से निस्तारण कर सकता है। जो किसान कृषि यंत्रों के माध्यम से फसलों के अवशेषों का सही तरीके से निस्तारण कर रहा है उसे विभाग द्वारा प्रोत्साहन राशि भी उपलब्ध करवाई जाती है। उन्होंने कहा कि धान के अवशेष जलने से वातावरण प्रदूषित होता है वहीं मानव जीवन पर भी इसका दुष्प्रभाव पड़ता है। उन्होने कहा कि यदि कोई भी फसल के अवशेष जलाने में संलिप्त पाया गया तो उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई अमल में लाई जायेगी। खेत मे धान की पराली जलाना भारतीय दंड सहिता की धारा-188 के तहत गैर कानूनी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *