सरकारी कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी है। जिसका सीधा असर शिक्षा पर पड़ रहा है। कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन का दावा है की प्रदेश के कालेजों में लगभग 60 फीसदी पद खाली पड़े हैं । उनके अनुसार प्रदेश की वर्तमान सरकार ने ऐडेड कॉलेजों में कार्यरत कर्मचारियों को टेकओवर करके सरकारी महाविद्यालयों में समायोजित करने का वायदा किया था, जो अभी तक सरकार ने पूरा नहीं किया। यदि यह हो जाए तो इस समस्या का स्थायी समाधान हो सकता है।
कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन के महासचिव डॉ सुदीप गहलावत ने समस्याओं से जूझ रहे ,ऐडेड कॉलेज के स्टाफ की स्थिति के बारे में इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रदेश में उच्च शिक्षा क्षेत्र में 97 ऐडेड कॉलेज हैं जिसमे लगभग 3000 शिक्षक और गैर शिक्षक कर्मचारी कार्यरत हैं। कॉलेजों में कार्यरत कर्मचारियों की नियुक्ति सरकार द्वारा बनाए रूल्स रेगुलेशन के अनुसार होती है l इन महाविद्यालयों में कार्यरत कर्मचारियों को 95 फीसदी अनुदान सरकार देती है, जबकि 5 फीसदी प्रबंधक समितियों द्वारा दिया जाता है । फिर भी इन महाविद्यालयों में सरकार का सीधा कंट्रोल नहीं है ।
समायोजित करने हेतु फाइल की स्थिति:
उन्होंने बताया कि कॉलेजों के स्टाफ को सरकारी महाविद्यालयों में समायोजित करने हेतु पॉलिसी भी बन चुकी है जिसे माननीय मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री पहले ही अनुमति दे चुके हैं । लेकिन यह फाइल वित विभाग के कुछ सुझावों और टिप्पणीयों की जानकारी देने हेतु लगभग पिछले चार वर्षों से शिक्षा विभाग में लंबित पड़ी थी। अब यह फाइल फिर से गति में चल रही है और स्टाफ समायोजित करने की प्रक्रिया चल रही है।
स्टाफ में कोई विरोधभास नही है
उन्होंने कहा कि टेकओवर पॉलिसी का ऐडेड कॉलेजों में कार्यरत कर्मचारियों में कोई विरोधाभास नहीं है क्योंकि सरकार द्वारा बनाई पॉलिसी वॉलंट्री (ऐच्छिक) है । जो कर्मचारी टेकओवर नही होना चाहते वो इन्ही कॉलेजों में अपनी सेवाएं दे सकते है ।
*सहायता प्राप्त कॉलेजों के कर्मचारियों की समस्याएं
उन्होंने बताया कि कर्मचारियों को वेतन समय पर नहीं मिल रहा। सातवें वेतनमान के अनुसार एचआरए की फाइल पिछले तीन सालों से वित विभाग में लंबित है। एक्स ग्रेशिया पहले ऐडेड कॉलेजों में कार्यरत स्टाफ को मिलता था लेकिन नई एक्स ग्रेशिया पॉलिसी को लागू नही किया गया । इसके साथ ही मेडिकल, एनपीएस स्टाफ की डेथ कम रिटायरमेंट ग्रेच्युटी, एलटीसी, ग्रुप डी के भत्ते, सेवा एवम् अवकाश नियमो में बदलाव न होना, सीसीएल जैसे लाभ भी इन कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों को नहीं मिलते ।
उन्होंने बताया कि कई अन्य राज्यों जैसे आंध्रप्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश की सरकारों ने भी ऐडिड कॉलेजों के स्टाफ का सरकारी कॉलेजों में समायोजन किया है। हरियाणा में भी ऐडिड स्कूलों के स्टाफ को भी सरकारी स्कूलों में समायोजित किया है। ठीक इन्हीं नितियों को अनुसरण करते हुए ऐडिड कॉलेजों के स्टाफ का समायोजन भी सरकारी कॉलेजों में किया जाऐ। सरकार द्वारा ऐसा करने से सरकारी खजाने को वित्तीय लाभ पहुंचेगा और सरकारी महाविद्यालयों में स्टाफ की कमी भी पूरी होगी ।
कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन पिछले 9 वर्षों से टेकओवर के लिए संघर्षरत है और सरकारी महाविद्यालयों में समायोजित होने तक प्रयासरत रहेंगे। सरकार से निवेदन है कि ऐडेड कॉलेज स्टाफ का जल्द से जल्द सरकारी महाविद्यालयों में समायोजन किया जाए ।