कानूनन उपचुनाव कराना आवश्यक हालांकि राजनीतिक कारणों से नहीं कराया जा रहा, चुनाव आयोग ने आज तक उपचुनाव न कराने संबंधी नहीं जारी किया आधिकारिक कारण —
नवंबर, 2018 में केवल 6 महीने के लिए कर्नाटक की 3 रिक्त लोकसभा सीटों पर कराए गए थे उपचुनाव —एडवोकेट हेमंत
चंडीगढ़ –गत 5 माह से हरियाणा में रिक्त अंबाला (अनुसूचित जाति आरक्षित) संसदीय सीट पर उपचुनाव कराने या न कराने बारे आज तक भारतीय चुनाव आयोग बिलकुल मौन है.
बीते सोमवार 9 अक्तूबर 2023 को चुनाव आयोग द्वारा 5 राज्यों नामत: छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम, राजस्थान और तेलंगाना की प्रदेश विधानसभाओं के आम चुनावों की तारीखों का ऐलान करते समय अंबाला सहित देश में वर्तमान कुल 4 रिक्त संसदीय (लोकसभा) सीटों पर उपचुनाव की घोषणा नहीं की गई.
हालांकि इसी माह 3 अक्तूबर को हरियाणा के मुख्य चुनाव अधिकारी ( सीईओ) अनुराग अग्रवाल, आईएएस द्वारा एक प्रेसवार्ता में कहा गया था कि अंबाला में उपचुनाव नहीं होगा.
हालांकि चाहे लोकसभा/राज्यसभा या विधानसभा/ विधानपरिषद के आम चुनाव कराने का विषय हो या उनकी रिक्त सीटों पर उपचुनाव का मामला, इस संबंध में अर्थात आम चुनाव/उपचुनाव कब करवाए जाने हैं अथवा नहीं, भारतीय चुनाव आयोग द्वारा ही औपचारिक और आधिकारिक घोषणा की जाती है, न कि संबंधित राज्य के सीईओ द्वारा. इस प्रकार रिक्त अंबाला लोस सीट पर उपचुनाव नहीं करवाए जाने भी चुनाव आयोग द्वारा घोषणा की जानी चाहिए.
बहरहाल, इस सबके बीच पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एडवोकेट हेमंत कुमार, जो अंबाला लोकसभा सीट के अंतर्गत पड़ने वाले अंबाला शहर विधानसभा हलके में रजिस्टर्ड मतदाता भी हैं, ने 10 अक्तूबर 2023 को भारतीय चुनाव आयोग अर्थात मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और 2 चुनाव आयुक्तों अनूप चंद्र पांडे और अरूण गोयल और
आयोग के वरिष्ठ पदाधिकारियों
को कानूनी नोटिस भेजकर शीघ्र रिक्त अंबाला संसदीय सीट पर उपचुनाव कराने को कहा है अन्यथा वह इस विषय पर हाईकोर्ट में रिट याचिका अथवा जनहित याचिका ( पीआईएल) दायर करेंगे.
लिखने योग्य है कि इसी वर्ष 18 मई 2023 को अंबाला संसदीय सीट से मई, 2019 में भाजपा के टिकट पर निर्वाचित भाजपा के रतन लाल कटारिया के निधन फलस्वरूप अंबाला सीट को उसी दिन से लोकसभा सचिवालय द्वारा रिक्त घोषित कर दिया गया था.
इसके बाद से प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में इस विषय पर कयास और चर्चाएं चलती रही हैं कि क्या चुनाव आयोग अम्बाला लोस सीट पर उपचुनाव कराएगा अथवा नहीं क्योंकि आगामी कुछ माह अर्थात अप्रैल-मई, 2024 में 18वीं लोकसभा के आम चुनाव निर्धारित हैं और इस कारण आयोग संभवत: अल्प अवधि के लिए अम्बाला संसदीय सीट पर उपचुनाव नहीं कराना चाहेगा.
हेमंत ने यह भी बताया कि अगर चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार से परामर्श कर ऐसा प्रमाणित भी कर दिया है कि उक्त रिक्त लोकसभा सीटों पर उपचुनाव करवाना संभव नहीं है, तो इस बारे में भी आयोग को सार्वजनिक प्रगटीकरण करना होगा कि ऐसी कौन सी प्रशासनिक अथवा संभवतः राजनीतिक परिस्थितियां हैं, जिनके फलस्वरूप कानूनन निर्धारित 6 माह की अवधि में उपचुनाव कराना संभव नहीं है. हाल ही में केन्द्रीय विधायी विभाग ने एक अन्य आरटीआई के जवाब में बताया कि उनके रिकॉर्ड में इस बारे में जानकारी नहीं है.
एडवोकेट हेमंत का कहना है कि कानूनन अर्थात लोक प्रतिनिधित्वकानून , 1951 की धारा 151 ए के अनुसार अगर रिक्त हुई लोकसभा सीट पर निवर्तमान सदस्य की शेष अवधि एक वर्ष से कम हो, तो उपचुनाव नहीं कराया जाता है. मौजूदा 17वीं लोकसभा का कार्यकाल आगामी वर्ष 16 जून 2024 तक है. इस प्रकार 18 मई 2023 को अम्बाला के निवर्तमान भाजपा सांसद कटारिया के निधन के समय उनकी वर्तमान 17वीं लोकसभा में सांसद के तौर पर अवधि करीब तेरह महीने शेष थी जो एक वर्ष अर्थात से ऊपर थी, इस प्रकार अम्बाला लोकसभा सीट पर उपचुनाव कानूनन आवश्यक है.
हेमंत ने यह भी बताया कि आज से 5 वर्ष पूर्व अक्तूबर-नवंबर 2018 में आयोग द्वारा कर्नाटक राज्य में तत्कालीन तीन रिक्त लोकसभा सीटों – बेलारी, शिमोगा और मांड्या पर उपचुनाव कराया गया था. तब बकायदा आयोग द्वारा 9 अक्तूबर, 2018 को एक सार्वजनिक प्रैस नोट जारी कर उस उपचुनाव को वैध भी ठहराया गया गया था क्योंकि उक्त तीनों सीटें क्रमशः 18 मई 2018, 18 मई 2018 और 21 मई 2018 को रिक्त हुईं थी और चूंकि तत्कालीन 16 वीं लोकसभा का कार्यकाल 3 जून 2019 तक था अर्थात उक्त तीनों लोकसभा सीटों पर तत्कालीन निवर्तमान सांसदों के कार्यकाल की शेष अवधि एक वर्ष से अधिक थी, इसलिए
कानूनन उपचुनाव कराना आवश्यक है हालांकि उसके 6 महीने बाद ही अप्रैल- मई 2019 में 17 वीं लोकसभा के आम चुनाव निर्धारित थे. हालांकि तब आयोग द्वारा आंध्र प्रदेश की 5 रिक्त लोस सीटों पर उपचुनाव नहीं कराया गया था क्योंकि वह पांचों सीटें 20 जून 2018 को रिक्त हुईं थीं जिससे निवर्तमान सांसदों की प्रासंगिक अवधि एक वर्ष से कम बनती थी.
हेमंत ने एक रोचक जानकारी देते हुए बताया क साढे़ 29 वर्ष पूर्व अप्रैल, 1994 में जब अम्बाला लोक सभा से तत्कालीन कांग्रेस के निर्वाचित सांसद राम प्रकाश का निधन हो गया था एवं तब उनके कार्यकाल के दो वर्ष शेष होने बावजूद अम्बाला लोकसभा सीट पर उपचुनाव नहीं कराया गया था हालांकि इसका एक कारण यह भी था कि तब आर.पी. कानून, 1951 में धारा 151 ए मौजूद नहीं थी जो अगस्त, 1996 में 1951 कानून में डाली गई.