उत्पाद को बढ़ाने के साथ कार्बन उत्सर्जन को कम करना पर्यावरण की दृष्टि से अहम : प्रो. सोमनाथ सचदेवा
पर्यावरण को संतुलित एवं संरक्षण करना हम सभी का दायित्व : प्रो. एमआर खुराना
कुवि के इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंडो-पैसिफिक स्टडीज और अर्थशास्त्र विभाग, आरआईएस, नई दिल्ली द्वारा ’जी20 के तहत कृषि में आर्थिक सहयोग’ पर विशेष व्याख्यान आयोजित
कुरुक्षेत्र, 28 अगस्त। एम्बेसडर संजय भट्टाचार्य, पूर्व सचिव विदेश मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली ने कहा है कि भारत विश्व की पांचवी बड़ी एवं तीव्र गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है जिसमें युवाओं का सुनहरा भविष्य निहित है। वर्तमान समय के अनुसार प्रौद्योगिकी, नवाचार, जलवायु परिवर्तन, आर्थिक गुरुत्वाकर्षण तथा सामाजिक परिवर्तन के अनुरूप बदलाव करने की आवश्यकता है। वे सोमवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंडो-पैसिफिक स्टडीज, अर्थशास्त्र विभाग एवं विकासशील देशों की अनुसंधान एवं सूचना प्रणाली, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में ‘जी20 के तहत कृषि में आर्थिक सहयोग’ पर आयोजित विशेष व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। इससे पहले कुवि कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने पुष्प गुच्छ एवं स्मृति चिह्न देकर उनका स्वागत किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। व्याख्यान के दौरान जी20 अध्यक्षता से संबंधित वीडियो में सम्पूर्ण विश्व को एक धरती, एक परिवार व एक भविष्य के रूप दिखाया गया।
एम्बेसडर संजय भट्टाचार्य ने कहा कि भारत ने डिजीटल युग में आधार कार्ड एवं यूपीआई, भूमि पंजीकरण सहित अन्य ढांचागत सुविधाओं में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। वहीं यूपीआई को अब वैश्विक स्तर पर उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विकासशील देशों का स्तर उंचा उठाने के लिए खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, जलवायु के लिए वित्तीय सहायता, महिलाओं की भूमिका सहित कौशल विकास बहुत जरूरी है।
कार्यक्रम के मुख्यातिथि व कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि भारत को जी20 प्रेसीडेंसी ऐसे समय में मिली जब पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था में अस्थिरता का माहौल था। जी20 का उद्देश्य वित्तीय अर्थव्यवस्था को सुधारना एवं उसका समाधान करना है। कुवि कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि उत्पाद को बढ़ाने के साथ-साथ कार्बन उत्सर्जन को कम करना पर्यावरण की दृष्टि से अहम है। इसके लिए मनुष्य को अपनी जीवन शैली एवं आदतों में बदलाव जाने की आवश्यकता है। इसलिए उपयोगिता के आधार पर ही हम वेस्टेज को कम कर सकते हैं। कुलपति प्रो. सोमनाथ ने कहा किसी भी देश के संतुलित विकास के लिए स्वरोजगार पर जोर दिया जाना बहुत जरूरी है।
कुलपति प्रो. सोमनाथ ने कहा कि सतत विकास लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में समावेशी एवं नवाचार को बढ़ावा दिया गया है जिसका अनुसरण करते हुए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने एनईपी 2020 को सभी प्रावधानों के साथ कैम्पस व संबंधित कॉलेजों में यूजी प्रोग्राम्स को देश में सर्वप्रथम लागू करने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। उन्होंने कहा कि शोध को लेकर केयू ने 5 वर्गों में शोध अवार्ड शुरू किए गए हैं तथा युवाओं में उद्यमिता एवं नवाचार को बढ़ावा देने के लिए दो इंक्यूबेशन सेंटर बनाए गए हैं जिसके माध्यम से 4 स्टार्टअप को बाजार में भी लांच किया गया है। केयू द्वारा 53 शोध पेटेंट फाइल किए गए है। वहीं पिछले वर्ष 26 पेटेंट फाइल करके हरियाणा की गवर्नमेंट यूनिवर्सिटीज में केयू सबसे अग्रणी रहा है।
पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर एमआर खुराना ने बतौर विशिष्ट अतिथि कहा कि जलवायु परिवर्तन का कृषि क्षेत्र पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा है। इसलिए पर्यावरण को संतुलित एवं संरक्षण करना हम सभी का दायित्व है। इसके साथ ही उन्होंने 3.5 करोड़ लोगों द्वारा टैक्स अदा करने की बात भी कही। इस अवसर पर आरआईएस, नई दिल्ली से सैयद अली ने विद्यार्थियों से संप्रेषण के दौरान पूछे गए प्रश्नों को मुख्य वक्ता के समक्ष रखा जिनका एम्बेसडर भट्टाचार्य ने उत्तर देकर समाधान किया।
केयू के आईसीआईपीएस के निदेशक प्रोफेसर वीएन अत्री ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह समय भारत विज्ञान, तकनीकी एवं प्रौद्योगिकी में नीली डिप्लोमेसी का है। भारत में जी20 के इतिहास में पहली बार 43 डेलिगेशन प्रतिभागिता कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य में विकासशील देशों के लिए अनुसंधान और सूचना प्रणाली (आरआईएस), नई दिल्ली द्वारा भविष्य में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में कांफ्रेंस एवं कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी। मंच का संचालन डॉ. अर्चना चौधरी ने किया।
इस अवसर पर डीन सोशल साइंस प्रो. एसके चहल, अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अशोक चौहान, प्रो. संजीव बंसल, लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो. ब्रजेश साहनी, डॉ. निधि बगड़िया, डॉ. रिशु गर्ग सहित शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।