एनईपी का उद्देश्य विद्यार्थियों का समग्र विकास : डॉ. कैलाश चन्द्र शर्मा
कौशलता एवं मूल्यपरक शिक्षा प्रदान करना एनईपी का लक्ष्य : प्रो. सोमनाथ सचदेवा
कुवि के दूरवर्ती शिक्षा निदेशालय एवं शिक्षा संस्थान उत्थान न्यास, हरियाणा प्रान्त के संयुक्त तत्वावधान में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में दूरस्थ एवं ऑनलाइन शिक्षा’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ शुभारम्भ
कुरुक्षेत्र, 5 अगस्त। 
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल कोठारी ने कहा कि आनलाईन लर्निंग तथा दूरवर्ती शिक्षा द्वारा देश के गांवो, दूर-दराज क्षेत्रों, पहाड़ी क्षेत्रों तक शिक्षा पंहुचेगी जिससे उस क्षेत्र में रहने वाले लोग शिक्षित होंगे तथा उस क्षेत्र को स्वावलम्बी तथा आत्मनिर्भर बनाने का कार्य करेंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में भी दूरस्थ शिक्षा और ऑनलाईन शिक्षा की अनुशंसा की गई। उन्होंने कहा कि शिक्षा बदलेगी तभी देश बदलेगा।
वे शनिवार को केयू दूरवर्ती शिक्षा निदेशालय और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, हरियाणा प्रांत द्वारा 5-6 अगस्त, 2023 को दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन अवसर पर बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। इससे पहले दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल कोठारी ने कहा कि दूरस्थ शिक्षा व ऑनलाईन लर्निंग केवल उच्च शिक्षा तक ही सीमित नहीं है अपितु विद्यालय स्तर पर भी ऑनलाइन एवं दूरस्थ शिक्षा प्रदान करने की बात राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कही गई है। आनलाईन शिक्षा तथा दूरस्थ शिक्षा की कई चुनौतियां हैं उनको भी ध्यान में लेना होगा। यह परम्परागत शिक्षा का विकल्प नहीं हो सकता। आज भी देश में बिजली, इंटरनेट सुविधा, मोबाइल की उपलब्धता सहित और कई समस्याएं हैं जिनके समाधान का सरकार प्रयास कर रही है। आज इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय से 13 लाख से अधिक विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। वहीं भारतीय ज्ञान परम्परा का पूरे विश्व में क्रेज है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और वर्तमान में हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद के उपाध्यक्ष प्रो. कैलाश चन्द्र शर्मा ने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 सभी प्रावधानों के साथ परिसर तथा सम्बन्धित कॉलेजों में लागू करने की बधाई देते हुए कहा कि एनईपी 2020 के द्वारा विद्यार्थी की कुशलता को पहचान कर उसकी क्षमता को बाहर निकाल सकते हैं। एनईपी का उद्देश्य केवल मस्तिष्क का विकास ही नहीं बल्कि छात्रों का समग्र विकास है। एनईपी में विद्यार्थी अपनी सुविधानुसार एंट्री और एग्जिट कर सकता है। भारतीय ज्ञान परम्परा हमारे विषयों में आए एनईपी में इसका विशेष ध्यान रखा गया है।
इस अवसर पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति एवं संगोष्ठी के संरक्षक प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि एनईपी 2020 एक ऐसी शिक्षा प्रणाली है जिसमें मल्टी डिस्पलेनरी, होलिस्टिक व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा इसकी विशेषता है। इसमें मल्टी डिस्पलेनरी कोर्सिज, कौशलता एवं योग्यता तथा मूल्यपरक शिक्षा को बढ़ावा देने के साथ-साथ वोकेशनल कोर्सिज को समाहित किया गया है। इसके साथ ही इसमें मल्टीपल एंट्री व एग्जिट के साथ इंटर्नशिपक भी प्रावधान है।
कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि ज्ञान के द्वारा जिज्ञासा और रचनात्मकता पैदा करना, कौशल विकास पर जोर तथा विद्यार्थियों के आचार-व्यवहार, सकारात्मक सोच एवं मूल्यपरक शिक्षा प्रदान करना ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य है। रोजगारपरक शिक्षा प्रणाली के लिए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में दो इंक्यूबेशन सेंटर स्थापित किया गया है जिसके माध्यम से विद्यार्थी उद्यमी एवं एंटरप्रेन्योर बनेंगे। वहीं ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए केयू ने रूसा ग्रांट के तहत एडवांस्ड मैटिरियल रिसर्च, आईटी एंड ऑटोमेशन, अप्लाइड बायोलॉजी इन इंवायमेंटल साइंसिज, अर्थक्वेक स्टडीज व रिसर्च ऑन सरस्वती रिवर पांच शोध केन्द्र निर्माणाधीन है। उन्होंने बताया कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में दो वर्ष में 53 पेटेंट फाइल किए गए है जिसमें से 40 पब्लिश हो चुके हैं तथा बाकी ग्रांट भी हो चुके हैं। केयू के दूरवर्ती शिक्षा निदेशालय द्वारा 40 प्रोग्राम्स को चलाया जा रहे हैं। इसके साथ ही 19 प्रोग्राम्स में दाखिले से लेकर परीक्षा में अपीयर होने की प्रक्रिया ऑनलाइन रहेगी।
कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा ने शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास हरियाणा की ओर से सभी का स्वागत करते हुए कहा कि शिक्षा में विसंगतियों को दूर करने के लिए 2004 में आंदोलन की शुरुआत हुई जिसके बाद 2007 में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास का गठन हुआ। उन्होंने बताया कि उत्थान न्यास दस विषय, 3 आयाम व 3 कार्य विभाग को लेकर कार्य कर रहा है जिसका उद्देश्य शिक्षा के साथ संस्कृति का प्रचार-प्रसार करना है। इसके साथ ही देश की शिक्षा को विकल्प व नए आयाम देना भी इसका उद्देश्य है।
दूरवर्ती शिक्षा निदेशालय एवं संगोष्ठी की निदेशिका प्रो. मंजूला चौधरी ने सभी का स्वागत करते हुए परिचय करवाया। प्रो. मंजूला चौधरी ने संगोष्ठी के उद्देश्य एवं महत्व पर विभिन्न तकनीकी सत्रों की रूपरेखा भी प्रस्तुत की। उत्थान न्यास के हरियाणा प्रांत के संयोजक प्रो. हितेन्द्र त्यागी ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस अवसर पर पूर्व कुलपति प्रो. राधेश्याम शर्मा, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास उत्तर क्षेत्र के संयोजक भाई जगराम, प्रो. शुचिस्मिता, प्रो. अनिल मित्तल, प्रो. तेजेन्द्र शर्मा, प्रो. प्रदीप कुमार, प्रो. दिनेश, प्रो. रश्मि वर्मा, प्रो. संजीव गुप्ता, प्रो. अनीता दुआ, प्रो. अनुरेखा शर्मा, प्रो. कृष्णा देवी, प्रो. पुष्पा देवी, डॉ. कंवल गर्ग, डॉ. हितेन्द्र त्यागी, डॉ. आनंद कुमार, डॉ. नीरज बातिश, डॉ. अजय अग्रवाल, डॉ. रामचन्द्र, प्रो. महाबीर रंगा, डॉ. रमेश, डॉ. कुलदीप सिंह, डॉ. सुरजीत, सहित शिक्षक एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।

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