बोर्ड के माध्यम से मिट्टी उठाने के मसले को किया जाएगा हल, प्रथम चरण में कुरुक्षेत्र, कैथल और झज्जर में समाज के लोगों की समस्या होगी हल, बोर्ड के चेयरमैन ने कुरुक्षेत्र में समाज के लोगों से लिए सुझाव
कुरुक्षेत्र 3 अगस्त हरियाणा माटी कला बोर्ड के चेयरमैन ईश्वर सिंह मालवाल ने कहा कि मिट्टी से बर्तन व अन्य समान बनाने वाले छोटे-छोटे धंधों को कुटीर उद्योग में शामिल किया जाएगा। इसके लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल के समक्ष प्रस्ताव रखा गया है और मुख्यमंत्री मनोहर लाल के आदेशानुसार हर जिले में धरातल पर जाकर समाज के लोगों से सलाह मशविरा कर फीडबैक ली जा रही है। इस फीडबैक के बाद आगामी कार्रवाई को अमलीजामा पहनाया जाएगा।
चेयरमैन ईश्वर सिंह मालवाल वीरवार को देर सायं पिपली पैराकीट में कुम्हार समाज के लोगों की समस्याएं सुनने के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। इससे पहले चेयरमैन ईश्वर सिंह मालवाल ने समाज के वरिष्ठ नेता रामकुमार रम्बा, ऋषिपाल प्रजापति अमीन, जसमेर सिंह उमरी, बनिया सिंह, हरि सिंह उमरी, बीरभान, रणजीत सिंह पलवल, बलबीर सिंह फौजी अमीन, बनारसी दास से सुझाव लिए और समाज के लोगों की दिक्कतों और समस्याओं को सुना। चेयरमैन ने कहा कि हरियाणा माटी कला बोर्ड का गठन वर्ष 2012 में हुआ था, लेकिन अभी 27 दिन पहले ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल और डिप्टी स्पीकर रणवीर गंगवा के प्रयासों से बोर्ड के चेयरमैन की नियुक्ति की गई और पिछले 27 दिनों से वे लगातार भिवानी, दादरी, हिसार और अब कुरुक्षेत्र में समाज के लोगों के उद्धार और विकास को लेकर विचार-विमर्श कर रहें है ताकि बोर्ड के माध्यम से समाज के लोगों को हर संभव मदद और सहयोग किया जा सके।
उन्होंने कहा कि बोर्ड की तरफ से मिट्टी से बर्तन और अन्य समान बनाने के धंधों को कुटीर उद्योग में शामिल करने का एक प्रपोजल तैयार किया गया और इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री मनोहर लाल के समक्ष रखा गया है। इस प्रस्ताव को लेकर लोगों से फीडबैक ली जाएगी और इस फीडबैक के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल के आदेशानुसार इन धंधों को कुटीर उद्योग में शामिल करके मिट्टïी से समान बनाने वाले लोगों को सब्सिडी पर मशीनें उपलब्ध करवाई जाएगी। इसके साथ ही समाज के लोगों की मिट्टी उठाने की सबसे बड़ी समस्या है। इस समस्या के समाधान को लेकर बोर्ड की तरफ से लगातार प्रयास किए जा रहे और एसीएस के साथ 2 बाद बैठके भी हो चुकी है। इस समस्या का समाधान सबसे पहले कुरुक्षेत्र, कैथल और झज्जर जिले में किया जाएगा, क्योंकि इन जिलों में मिट्टी से समान बनाने का कार्य ज्यादा किया जा रहा है।