अब विजडम वर्ल्ड स्कूल शिक्षा के साथ साथ भारतीय शास्त्रीय कलाओं की भी देगा ट्रेनिंग
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विश्व प्रसिद्ध “प्राचीन कला केंद्र” और विजडम वर्ल्ड स्कूल मिलकर विद्यार्थियों और अभिभावकों को देंगे ट्रेनिंग
कुरुक्षेत्र, 25 जुलाई। प्रत्येक विद्यालय अपने विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास का केंद्र बिंदु माना जाता है। कुरुक्षेत्र में स्थित विजडम वर्ल्ड स्कूल अपने सभी विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उनके सर्वांगीण विकास हेतु सदैव प्रयासरत रहता है। अपने इसी उद्देश्य पथ पर चलते हुए विजडम वर्ल्ड स्कूल द्वारा अब विश्व प्रसिद्ध “प्राचीन कला केंद्र” के साथ मिलकर “विजडम अकादमी ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स” की शुरुआत की गई है। इसके तहत मंगलवार 1 अगस्त से सप्ताह में 2 दिन यानी मंगलवार और वीरवार को स्कूल टाइम के बाद स्कूल के विद्यार्थियों एवं उनके अभिभावकों को भारतीय शास्त्रीय कलाओं की ट्रेनिंग दी जाएगी। इनमें मुख्य रूप से क्लासिकल डांस (कत्थक), हिंदुस्तानी वोकल एवं इंस्ट्रुमेंटल म्यूजिक, तबला, गिटार, ड्रम्स, फाइन आर्ट्स (डिजाइन एवं पेंटिंग) व अन्य कई विधाएं शामिल हैं।
विद्यालय की प्राचार्या संगीता बहल ने बताया कि देश की भावी पीढ़ी और उनके अभिभावकों को हमारी परंपरागत भारतीय लोककला एवं संगीत से जोड़ने के उद्देश्य से वर्ष 1956 से संचालित विश्व प्रसिद्ध प्राचीन कला केंद्र के साथ मिलकर विजडम वर्ल्ड स्कूल में सप्ताह में 2 दिन मंगलवार और वीरवार को एक 1 घंटे की कक्षाएं आयोजित की जाएंगी। इच्छुक विद्यार्थी और उनके अभिभावक 29 जुलाई तक जूनियर और सीनियर विंग में पंजीकरण करवाकर इन विधाओं की ट्रेनिंग ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि प्राचीन कला केंद्र द्वारा प्रशिक्षित शिक्षक विजडम वर्ल्ड स्कूल के विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को प्राचीन भारतीय लोककला संगीत और संस्कृति से जोड़ने का काम करेंगे। इसी कड़ी में विद्यालय परिसर में आयोजित कार्यक्रम में प्राचीन कला केंद्र द्वारा विद्यालय के विद्यार्थियों एवं उनके अभिभावकों के समक्ष विभिन्न कलाओं का प्रस्तुतिकरण किया गया। विख्यात कत्थक गुरु शोभा कौसर और डॉ. समीरा कौसर द्वारा विद्यालय परिसर में प्राचीन कला केंद्र द्वारा विजडम वर्ल्ड स्कूल में आयोजित होने वाली कक्षाओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई। इस अवसर पर विद्यालय की निर्देशिका अनीता रावल, निदेशक विनोद रावल, उन्नति सचदेवा, पूनम रावल, सौरभ चौधरी, डॉक्टर नेहा दुआ सोबती, डॉ. प्रभा सिंह, शालिनी अग्रवाल, डॉ. डी.के. ललित, सुरेंद्र ढींगरा, राजेंद्र वर्मा व गणमान्य जन भी मौजूद रहे।
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“क्या है प्राचीन कला केंद्र का इतिहास”
गौरतलब है कि विजडम वर्ल्ड स्कूल के साथ मिलकर कुरुक्षेत्र में एक नई शुरुआत करने जा रहा प्राचीन कला केंद्र वर्ष 1956 में स्थापित भारतीय शास्त्रीय कलाओं के प्रचार, संरक्षण और प्रसार के लिए समर्पित देश के सबसे पुराने, प्रमुख और प्रतिष्ठित संगठनों में से एक है। वर्तमान में, प्राचीन कला केंद्र कर्नाटक संगीत (गायन और वाद्य), शास्त्रीय नृत्य (जैसे कथक, भरतनाट्यम, ओडिसी नृत्य, आदि) और ललित कला (पेंटिंग) सहित भारतीय शास्त्रीय संगीत के विषयों में प्राचीन गुरुकुल परंपरा के तहत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है और पिछले 60 वर्षों से प्रदर्शन और दृश्य कला के क्षेत्र में परीक्षाएं भी आयोजित कर रहा है। चंडीगढ़ में इसका सांस्कृतिक मुख्यालय, मोहाली में  विशाल प्रशासनिक व्यवस्था, कोलकाता में पूर्वी भारत के लिए क्षेत्रीय कार्यालय, नई दिल्ली, भुवनेश्वर, पटना, जोरहाट (असम) में क्षेत्रीय कार्यालय के अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, सिंगापुर, मॉरीशस, नेपाल, बांग्लादेश, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, दक्षिण अफ्रीका आदि सहित पूरे भारत और विदेशों में स्थित शास्त्रीय संगीत और नृत्य के लगभग 3800 संबद्ध केंद्रों, संस्थानों, स्कूलों के नेटवर्क के साथ लगभग 3 लाख छात्रों की संख्या इसे वर्तमान समय में अपनी तरह का सबसे बड़ा संगठन बनाती है।

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