पिंगला भतृरि से हुआ हरियाणवी नाट्य उत्सव का आगाज, कलाकारों ने दिखाई प्रतिभा
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कथागायन शैली में हिसार के कलाकारों ने प्रस्तुत किया नाटक पिंगला भतृरि
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कुरुक्षेत्र 22 जुलाई। आजादी का अमृतमहोत्सव के अंतर्गत कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग, हरियाणा द्वारा हरियाणा कला परिषद के सहयोग से कला कीर्ति भवन की भरतमुनि रंगशाला में आयोजित हरियाणवी नाट्य उत्सव का भव्य आगाज हुआ। उत्सव के उद्घाटन अवसर पर कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव उपेंद्र सिंघल बतौर मुख्यअतिथि पहुंचे। नाट्य उत्सव के शुभारम्भ अवसर पर हरियाणा कला परिषद के निदेशक संजय भसीन व अतिरिक्त निदेशक महाबीर गुड्डू तथा कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग की कला एवं संस्कृति अधिकारी रंगमंच तानिया जी.एस. चौहान व कला अधिकारी संगीत डा. दीपिका वालिया ने पुष्पगुच्छ देकर मुख्यअतिथि का स्वागत किया। इस मौके पर हरियाणा कला परिषद के अतिरिक्त निदेशक नागेंद्र शर्मा भी उपस्थित रहे। मंच का संचालन हरियाणा कला परिषद के मीडिया प्रभारी विकास शर्मा ने किया।
विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजेश खुल्लर तथा महानिदेशक डा. अमित अग्रवाल के दिशा-निर्देश तथा कला एवं सांस्कृतिक अधिकारी रंगमंच तानिया जी.एस. चौहान के नेतृत्व में आयोजित हरियाणवी नाट्य उत्सव में पहले दिन हिसार से डा. संध्या शर्मा के निर्देशन में कथागायन शैली पर आधारित नाटक सांग पिंगला भतृरि व दूसरा नाटक बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का मंचन हुआ। पिंगला भतृरि नाटक में दिखाया गया कि उज्जैन के प्रसिद्ध राजा विक्रमादित्य के भाई का नाम राजा भतृरि था। किसी समय में राजा भतृरि बहुत ज्ञानी राजा थे, लेकिन वे दो पत्नियां होने के बावजूद भी पिंगला नाम की अति सुंदर राजकुमारी पर मोहित गए। राजा ने पिंगला को तीसरी पत्नी बनाया। वे पिंगला के मोह में उसकी हर बात को मानते और उसके इशारों पर काम करने लगे। पिगला इसका फायदा उठाकर व्यभिचारिणी हो गई। वह घुड़साल के रखवाले से ही प्रेम करने लगी। उस पर मोहित राजा इस बात और पिंगला के बनावटी प्रेम को जान ही नहीं पाए। जब छोटे भाई विक्रमादित्य को यह बात मालूम हुई और उन्होंने बड़े भाई के सामने इसे जाहिर किया, तब भी राजा ने पिगला की चालाकी भरी बातों पर भरोसा कर विक्रमादित्य के चरित्र को ही गलत मान राज्य से निकाल दिया।
लेकिन कुछ समय बाद पिगला की चरित्रहीनता उजागर हो गई। एक तपस्वी ब्राह्मण ने राजा भतृरि को अमर होने के लिए अमरफल भेंट किया। राजा पिगला पर इतने मोहित थे कि उन्होंने वह फल उसे दे दिया। राजा से मिला फल पिगला ने घुड़साल के रखवाले को दे दिया। उस रखवाले ने उसे वेश्या को दे दिया, जिससे वह प्रेम करता था। वेश्या यह सोचकर कि इस अमर फल को खाने से जिदगी भर वह पाप कर्म में डूबी रहेगी, राजा को यह कहकर भेंट करने लगी कि आपके अमर होने से प्रजा भी लंबे वक्त तक सुखी रहेगी। पिगला को दिए उस फल को वेश्या के पास देख राजा भतृरि के होश उड़ गए। उनको भाई की बातें और पिगला का विश्वासघात समझ में आ गया। राजा भृतहरि की आंखें खुली और पिगला के लिए घृणा भी जागी। इस प्रकार की कहानी से हिसार के कलाकारों ने लोगों का मनोरंजन किया। वहीं दूसरा नाटक रोहतक से पूनम के निर्देशन में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ मंचित किया गया। जिसमें बेटी बचाने का संदेश देते हुए कलाकारों ने ग्रामीण परिवेश के लोगों की मानसिकता पर पड़े पर्दे को हटाने का प्रयास किया। अंत में सभी कलाकारों को विभाग की ओर प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए। वहीं मुख्यअतिथि उपेंद्र सिंघल को शॉल व स्मृति चिन्ह भेंटकर आभार व्यक्त किया गया। इस अवसर पर हरियाणा कला परिषद के कार्यालय प्रभारी धर्मपाल, ललित कला समन्वयक सीमा काम्बोज, विभाग से तुषार, सुशील, सुमित नैन,पंकज आदि भी उपस्थित रहे।
नाटक चरणदास चोर व मां का मंचन आज
कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग, हरियाणा द्वारा आयोजित हरियाणवी नाट्य उत्सव में आज दिनांक 23 जुलाई को सिरसा से कर्ण लड्डा के निर्देशन में नाटक चरणदस चोर व ऋषिपाल के निर्देशन में नाटक मां का मंचन किया जाएगा। नाटकों का समय सायं 5 बजे से रहेगा