डॉ. राजेश वधवा
आज समाज नेटवर्क
कुरुक्षेत्र। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय कुरुक्षेत्र सेवा केंद्र में राजयोगिनी सरोज बहन का 34वां अलौकिक जन्म दिन प्रातःकालीन मुरली क्लास के बाद धूमधाम से मनाया गया। राजयोगिनी सरोज बहन पिछले 34 वर्षों से लगातार ईश्वरीय सेवा दे रही है। उन्होंने अल्पायु में ही भौतिकता वादी संसार के सब सुख सुविधाओं को त्याग कर मर्यादित विश्व कल्याण के जीवन को अपना कर नारी शक्ति का गौरव बढ़ाया। इस अवसर पर सभी बीके भाई बहन अपनी शुभकामनाएं देने पहुंचे।
मंच संचालन करते हुए बी.के सुनीता मित्तल ने बताया कि दिव्यता की मूर्ति, करुणा, दया, सहनशीलता, त्याग, तपस्या, संतुष्टता, विनम्रता, कोमलता, सादा जीवन, उच्च विचार आदि न जाने कितने गुणों की भंडार ऐसी अलौकिक सरोज दीदी का जन्म लुधियाना की पावन भूमि पर मुंशी राम जी के घर हुआ था। उन्होंने लौकिक में दो भाईयों का अंग संग होने पर भी अपना संपूर्ण जीवन प्रभु को अर्पित कर दिया। बचपन में लौकिक माता-पिता ज्ञान में चलते थे, उन्हीं के संस्कारों से पोषित पल्लवित होकर सरोज दीदी ने अपने जीवन को दिव्य बना दिया। सरोज दीदी ने बताया कि 1989 में वे लौकिक परिवार से अलौकिक परिवार में आई। माउंट आबू में ट्रेनिंग लेकर अहमदाबाद, अमृतसर, जम्मू, सहारनपुर में सेवा का सफर तय करते हुए 1993 में कुरुक्षेत्र सेवा केंद्र में आई और यहां 30 वर्षों से अपनी सेवाएं दे रही है। बीके राधा दीदी ने तिलक, ताज, और फूलों की माला से बड़ी बहन जी का स्वागत अभिनंदन किया। इस अवसर पर बी.के नेहा और बी.के अमित व सन्त कुमार भाई ने अपनी भावनाओं और प्यार को प्रतिबिंबित करने के लिए अपने अनुभव सांझा किए। कार्यक्रम में नन्ने मुन्ने बच्चों ने हैप्पी बर्थडे टू यू गीत के साथ अपनी दुआएं दी। बीके प्रियंका, मीनाक्षी, विद्या, गौरव और अमित भाई द्वारा कविता, समूह गायन, सामूहिक नृत्य की प्रस्तुति ने कार्यक्रम को भव्यता प्रदान की और वातावरण को संगीतमय बना दिया। कुरुक्षेत्र रेडियो स्टेशन पर कार्यरत बृजभूषण शर्मा ने हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि जीवन का उद्देश्य इनके मुख मंडल और बात से उजागर होता है। आनंद, शांति, सौम्यता, चैन को पैदा करने के लिए अभ्यास चाहिए परंतु बहन जी को तो प्राकृतिक रूप से वरदान में मिला हुआ है। बहन जी के व्यक्तित्व से प्रभावित होते हुए उन्होंने कहा कि यदि हम सब भी बहन जी के वास्तविक रूप को जीवनशैली में अपना लें, तो हम भी धन्य हो जाएंगे। अंत में बड़ी बहन जी के जीवन से संबंधित वीडियो दिखा कर सबका ध्यान आकर्षित किया और आध्यात्मिक गीतों की मधुर धुन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। बड़ी बहन जी ने सभी बीके भाई बहनों को अपने हाथों से ईश्वरीय प्रसाद और सौगात दी।