चिंतन बैठक में अनेक विषयों पर हुआ गहन विचार
कुरुक्षेत्र।विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान के अध्यक्ष डॉ. ललित बिहारी गोस्वामी ने कहा कि हमंें अपने सामने लक्ष्य बड़ा रखना चाहिए। लक्ष्य हम प्राप्त कर लेंगे, यह एक धारणा है, एक अवसर है, लेकिन लक्ष्य बनाकर उस दिशा की ओर हम हमेशा बढ़ते रहेंगे। जिस विषय पर हम चिंतन कर रहे हैं, उसके बारे में पूरी गहराई तक जाएं। जितनी गहराई तक जाएंगे, उतना ही हम विषय को पूरी तरह समझ पाने में समर्थ होंगे। हमारी शिक्षा कैसी होनी चाहिए, इसे हम अपने अंदर व्यक्ति स्वरूप में देखें, संगठन के कार्यकर्ता के रूप में देखें तो हमारे सामने एक दृष्टि आती है। वह दृष्टि हमारी आधारभूत इकाई तक जानी चाहिए। ऐसा भगवान कृष्ण जैसा विराट ‘विजन’ हमारे अंदर हो तो विद्यार्थी स्वयं आपके पास दौडा आएगा। डॉ. गोस्वामी विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान द्वारा आयोजित चार दिवसीय चिंतन बैठक में अध्यक्षीय सम्बोधन दे रहे थे। उन्होंने आगे कहा कि स्वाध्याय भी करो और प्रवचन भी करो। जो हमने सीखा, जो ज्ञान प्राप्त किया, उसे दूसरे तक पहुंचाना हमारा सारस्वत दायित्व है। इस प्रकार यह भारतीय ज्ञान प्रवाह निरन्तर आगे तक चलता आ रहा है। जब तक भारत माता को कुविचारों से मुक्त नहीं कर लेते, तब तक शिक्षा की आवश्यकता निरंतर बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि सत्य और असत्य का निर्णय हम करें, ऐसी बुद्धि हमें चाहिए। हमें सत्य का निर्माण नहीं करना अपितु सत्य तो है, उसका दर्शन करना। चिंतन बैठक सीखने की है। हमें विनम्र भाव से सीखने का प्रयास करना चाहिए। इसमें हम सोचते हैं कि हम क्या हैं और हमें क्या करना चाहिए। इस अवसर पर अनेक प्रतिनिधियों ने बैठक के अपने अनुभव साझा किए।
बैठक में अनेक विषयों पर हुआ चिंतन
संस्थान के निदेशक डॉ. रामेन्द्र सिंह ने बताया कि चार दिवसीय बैठक में अनेक विषयों पर चिंतन हुआ, जिसमें महत्वपूर्ण रूप से अखिल भारतीय संस्कृति महोत्सव मथुरा में राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित किया जाएगा। संस्कृति महोत्सव में नई विधाएं जोड़ी गई हैं। मूर्तिकला को भी महोत्सव में सम्मिलित करने पर विचार किया गया है। देशभर में कला एवं संस्कृति संरक्षण, योग, नैतिक मूल्य, विज्ञान विषयों पर कार्यशालाएं आयोजित करने पर विचार हुआ। इस बार से कॉलेज विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति को समझने का सुअवसर संस्थान के माध्यम से मिलेगा। इसके अतिरिक्त भविष्य में संस्थान की कार्य योजना पर भी गहन विचार-विमर्श हुआ। बैठक में राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, असम से प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
फोटो –
2. चिंतन बैठक के समापन सत्र में अनुभव साझा करते प्रतिनिधि।