चंडीगढ़ जिला अदालत ने एक रोड एक्सीडेंट के मामले में अहम टिप्पणी की है। एडिशनल चीफ ज्यूडीशियल मजिस्ट्रेट टीपीएस रंधावा की कोर्ट ने कहा है कि यह पेडेस्ट्रियन (पैदल चलने वाले) की ड्यूटी है कि रोड क्रॉस करते वक्त अपने आसपास देखे। सिर्फ कोई हादसा हो जाए इसका मतलब यह नहीं है कि ड्राइवर के पार्ट पर उतावलेपन और लापरवाही से ड्राइविंग की संभावना मान ली जाए। उतावलेपन और लापरवाही से ड्राइविंग को प्रोसिक्यूशन को ठोस और प्रभावित करने योग्य सबूतों से साबित किया जाना भी जरूरी है।

इसी टिप्पणी के साथ कोर्ट ने चंडीगढ़ के सेक्टर 37 निवासी अंकित सरकार को बरी कर दिया। उसके खिलाफ चंडीगढ़ पुलिस ने उतावलेपन और लापरवाही से ड्राइविंग कर जान लेने के आरोपों में IPC की धारा 279, 338 और 304-ए के तहत केस दर्ज किया था। एक्सीडेंट में सुमीत्रा देवी नामक महिला की मौत हुई थी।

दोनों ही टक्कर के बाद घायल हो गए थे
महिला के पति पाला राम ने पुलिस को शिकायत दर्ज करवाई थी। इसमें कहा गया था कि 10 अगस्त, 2018 को सुबह लगभग 8 बजे वह अपनी पत्नी के साथ सेक्टर 7 जा रहे थे। उनकी पत्नी उनसे आगे चल रही थी। जब उनकी पत्नी ने सेक्टर 19 और 7 की डिवाइडिंग रोड की जेबरा क्रॉसिंग पार की तो एक मोटरसाइकिल चालक ने उसे टक्कर मार दी। हादसे में उनकी पत्नी और मोटरसाइकिल चालक दोनों को ही चोटें आई और उनका इलाज चला था। इलाज के दौरान सुमीत्रा की गवर्नमेंट हॉस्पिटल, सेक्टर 16 में मौत हो गई थी।

कोर्ट में पुलिस ने अंकित के खिलाफ आपराधिक मामले में चालान पेश किया और कोर्ट ने प्रथम दृष्टता में अपराध बनता देख आरोप तय किए। हालांकि अंकित ने खुद को निर्दोष बताया था और केस लड़ने की मांग की थी। जिसके बाद ट्रायल शुरू हुआ।

महिला दौड़ते हुए कर रही थी सड़क क्रॉस
अंकित के वकील विवेक कथूरिया ने कोर्ट में दलीलें दी कि महिला सड़क दौड़ते हुए पार कर रही थी और मोटरसाइकिल के दाय तरफ टकरा गई। वहीं कहा गया कि अंकित अपनी मोटरसाइकिल सही दिशा में दायी तरफ सामान्य गति में चला रहा था। वहीं दूसरी तरफ प्रोसिक्यूशन ने कहा कि पुलिस केस को शिकायतकर्ता और मौके के अन्य गवाहों ने भी समर्थन दिया है। हालांकि कोर्ट ने प्रोसिक्यूशन की दलीलों से सहमति न दिखाते हुए अंकित को बरी कर दिया।

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