रेवाड़ी के नशा मुक्ति एवं परामर्श केंद्र में मरीजों को मिल रही बेहतर सुविधाएं।
हरियाणा को नशा मुक्त बनाने के लिए प्रदेश भर में चल रहे नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहे हैं। इनमें से रेवाड़ी का नशा मुक्ति केंद्र साफ सफाई एवं सुविधाओं के मामले में प्रदेश में पहले स्थान पर है। रेवाड़ी के नशा मुक्ति केंद्र में कई निजी कंपनियों के सीएसआर फंड से इतने काम कराए गए हैं जिससे यहां भर्ती होने वाले मरीजों को किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होती। केंद्र में मिलने वाली सुविधाओं खाने पीने रहन सहन और शौचालय आदि सुविधाएं पाकर यहां भर्ती मरीज काफी खुश हैं। रेवाड़ी मीडिया की टीम ने जब केंद्र का दौरा किया और भवन तथा मरीजों को मिलने वाली सुविधाएं जांची तो काफी संतोषजनक मिली।
रेवाड़ी नशा मुक्ति केंद्र के इंचार्ज जोगेंद्र सिंह ने बताया कि जिला उपायुक्त अभिषेक मीणा के कुशल मार्गदर्शन एवं जिला बाल कल्याण अधिकारी वीरेंद्र सिंह यादव की देखरेख में रेवाड़ी के नशा मुक्ति केंद्र में काफी काम हुए हैं। यहां बने नए एडमिन ब्लॉक का पिछले महीने ही डीसी ने रिबन काटकर शुभारंभ किया था। केंद्र के इन चार जोगिंदर सिंह ने बताया कि सर्कुलर रोड पर गवर्नमेंट गर्ल्स स्कूल के सामने चल रहे इस नशा मुक्ति केंद्र वर्ष 1995 से 2001 तक काउंसलिंग सेंटर था उसके बाद धीरे धीरे कंपनी के सीएसआर बजट से यहां अनेक काम कराए गए हैं। उन्होंने बताया कि 15 बैड के नशा मुक्ति केंद्र में 18 कर्मचारियों का स्टाफ है जो दिन रात यहां भर्ती मरीजों की देखभाल करता है। इनमें एक प्रोजेक्टर कोर्डिनेटर, साइक्लॉजिस्ट, काउंसलर, डॉक्टर, अकाउंटेंट, दो नर्स, तीन वार्ड ब्वॉय, दो चौकीदार, एक सहकर्मी शिक्षक, हाउस किपिंग, कुक सहित 18 लोगों का स्टाफ है। उन्होंने बताया कि यहां हर साल दो सौ के करीब मरीज आते हैं जिनमें से डेढ़ सौ मरीज 25 दिन का कोर्स पूरा कर ठीक होकर जाते हैं इसके अलावा यहां भर्ती मरीजों की प्रॉपर काउंसलिंग कर उन्हें मेडिटेशन और योगा की ट्रेनिंग दी जाती है।
उन्होंने बताया कि हर साल करीब तीस लाख का बजट आता है जिसमें मरीजों के खाने पीने की डाइट बैड बिस्तर शौचालय की सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जाता है। केंद्र में ओपीडी आईपीडी की सुविधा के साथ एक डॉक्टर प्रतिदिन विजिट कर मरीजों की जांच करता है और उन्हें निःशुल्क दवाईयां दी जाती है। यहां भर्ती मरीजों के लिए मनोरंजन के साधन जैसे टीवी कैरम बोर्ड तथा शतरंज की भी व्यवस्था की गई है। यहां एल्कोहल स्मैक गांजा ड्रग्स नशे के आदि मरीज आते हैं जिनकी काउंसलिंग कर उन्हें यहां भर्ती किया जाता हैं। उन्होंने बताया कि उनके केंद्र में फिलहाल आठ मरीज भर्ती हैं। 90 फीसदी मरीज नशे की आदत छोड़कर घर जाते हैं। काउंसलिंग, योग और ध्यान के अलावा मरीजों की रुचि के कार्यक्रम कराए जाते हैं। केंद्र में रहते हुए उन्हें परिवार का अहसास कराया जाता है। जरूरत पड़ने पर मनोचिकित्सक डाॅ. पवन कुमार से कंसल्ट करके दवा दी जाती है। एक माह से लेकर तीन माह तक के कोर्स हैं। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें हर साल सरकार की ओर से 32 लाख रुपये की ग्रांट मिलती है। उसमें कर्मचारियों की सेलरी से लेकर केंद्र का सभी खर्च चलता है।
परियोजना निदेशक जोगेंद्र सिंह के अनुसार नशीले पदार्थों के सेवन से पीड़ित व्यक्ति को पारिवारिक एवं सामाजिक अलगाव और लोगों की उपेक्षा का सामना करना पड़ता है। इससे निश्चित रूप से उन्हें मानसिक और शारीरिक कष्ट एवं आघात पहुंचता है। इससे उनका और उनके परिवार का जीवन दयनीय और कठिन बन जाता है। सरकार की ओर से उन्होंने बताया कि किसी भी परिवार में कोई व्यक्ति नशे का आदी हो चुका है तो परिजन उसे उपचार के लिए इस नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र में ला सकते हैं। जहां मरीज को परामर्श दिए जाने के साथ उसका उपचार भी किया जाता है। इस केंद्र का टोल फ्री नंबर 18001803783 पर फोन कर नि:शुल्क सलाह भी ले सकते है।
यहां हम आपको बता दें कि रेवाड़ी के सर्कुलर रोड स्थित नशा मुक्ति केंद्र की वर्ष 1995 में परामर्श केंद्र के तौर पर शुरुआत हुई थी। इसके पश्चात वर्ष 2001 में इसे 15 बिस्तरों के अस्पताल में परिवर्तित कर दिया गया। यहां न सिर्फ मरीजों को परामर्श दिया जाता है बल्कि उनके रहने व खाने की भी पूरी व्यवस्था है। केंद्र में उपचार कराने के बाद अब तक पांच सौ से अधिक मरीज पूर्णतया नशा मुक्त होकर अपनी सामान्य दिनचर्या में लग चुके हैं। आपको बता दें कि राज्य पुरस्कार योजना के तहत रेवाड़ी के नशा मुक्ति केंद्र को प्रदेशभर में प्रथम पुरस्कार मिल चुका है। जिसके तहत पांच वर्ष पूर्व आयोजित आनलाइन कार्यक्रम में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री ओमप्रकाश यादव इस उपलब्धि के लिए प्रथम पुरस्कार के तौर पर 50 हजार रुपये का नकद ईनाम दिया गया था। सरकार की ओर से नशा मुक्त हरियाणा बनाने के लिए हाल ही में साइक्लोथन साइकिल यात्रा चलाकर लोगों को नशे से दूर रहने के लिए जागरूक किया गया।