भारतीय योग संस्थान के दो दिवसीय प्रांतीय योग प्रशिक्षण शिविर का प्रथम दिवस संपन्न
कुरुक्षेत्र /भारतीय योग संस्थान, मुख्यालय रोहिणी, दिल्ली के तत्वावधान में संस्थान के योगाश्रम, मिर्जापुर में हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ के योग साधना केंद्रों के प्रमुखों के लिए आयोजित दो दिवसीय प्रांतीय योग प्रशिक्षण शिविर के प्रथम दिन सबसे पहले प्रतिभागियों को शारीरिक शुद्धि क्रियाओं कुंजल, जल नेति, रबड़ नेति व सूत्र नेति का अभ्यास करवाया गया । तत्पश्चात सक्षम अधिकारियों द्वारा सूक्ष्म व्यायाम, ओम ध्वनि व गायत्री मंत्र उच्चारण के पश्चात योगासनों, प्राणायाम एवं ध्यान साधना के सत्र लिए गए । संस्थान के अखिल भारतीय प्रधान माननीय देसराज ने कुछ आसनों का बेहतरीन प्रदर्शन करके दिखाया तथा साधकों की योग संबंधी जिज्ञासाओं का समाधान किया । दीप प्रज्ज्वलन, सरस्वती वंदना तथा स्वागत गीत के पश्चात प्रथम दिवस के चर्चा सत्र का शुभारंभ हुआ । माननीय देसराज जी ने यह शिविर क्यों ? इस विषय पर गंभीर एवं सारगर्भित तथ्य प्रस्तुत किये । योग का इतिहास बताते हुए उन्होंने कहा कि योग भारत की प्राचीनतम संपदा है । वस्तुत: योग का प्रादुर्भाव तभी हुआ जब सृष्टि का जन्म हुआ । योग से शरीर, मन, चित्त, बुद्धि को नियंत्रित करते हुए प्रभु से एकीकार हो जाना संभव है । उन्होंने बताया कि सभी ग्रंथों में योग की चर्चा है । वेदों, पुराणों, स्मृतियों, उपनिषदों, परंपराओं, दर्शन इत्यादि में योग का वर्णन है ।
उन्होंने भगवान शिव, योगेश्वर श्री कृष्ण, सूर्य, मनु, इक्ष्वाकु, महर्षि पतंजलि, बौद्ध धर्म, महर्षि घिरिंड, हठ योग, स्वामी विवेकानंद, महर्षि महेश योगी, श्री अरविंद, महर्षि दयानंद सरस्वती, आधुनिक योग यात्रा इत्यादि के बारे में साधकों को बताया । उन्होंने कहा कि यदि योग में शक्ति न होती तो विश्व में 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस न मनाया जाता । उन्होंने स्मृति को बढ़ाने व कब्ज रोग से बचाव के यौगिक उपायों के बारे में भी साधकों का ज्ञानवर्धन किया । उन्होंने कहा की योग द्वारा कुंडलिनी जागृत होने पर परमपिता परमेश्वर से मिलन संभव है । संस्थान के अखिल भारतीय महामंत्री ललित गुप्ता ने आहार के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि रोगों का इलाज चिकित्सालय में नहीं भोजनालय में है । सामान्यतः व्यक्ति अपनी आवश्यकता से 10 गुना अधिक भोजन खाता है । भोजन से वजन बढ़ता है शक्ति नहीं । शक्ति तो योग से प्राप्त होती है । रात्रि को लेट भोजन करना अधिकतर बीमारियों की जड़ है । उपवास करने से बीमारियों से बचाव होता भी नहीं छुटकारा भी मिलता है । हमारा भोजन 80% क्षारीय तथा 20% अम्लीय होना चाहिए । चबा चबाकर भोजन करने से उसमें मिली लार उसे क्षारीय बना देती है । केवल भूख लगने पर खाना और भूख से कम खाना बहुत सी बीमारियों का इलाज है । इसके अतिरिक्त देसराज ने योग निद्रा का सुंदर अभ्यास करवाया । उन्होंने अनीमा व कटि लपेट का भी प्रदर्शन कर के दिखाया । ललित गुप्ता ने विभिन्न योग मुद्राओं की विधि एवं महत्व पर प्रकाश डाला । संस्थान की हरियाणा प्रांत इकाई के प्रधान ओमप्रकाश ने योगासनों के लाभों के बारे में विस्तार से बताया । सांस्कृतिक संध्या एवं स्वाध्याय के साथ शिविर के प्रथम दिवस का अति सुंदर समापन हुआ ।