रूस में 4 लाख साल पुराने वायरस को जिंदा किया जा रहा है। इस पर साइबेरिया शहर की नोवोसिबिर्स्क में एक बायोवेपंस लैब काम कर रही है। इस लैब के साइंटिस्ट का कहना है कि इसी वायरस की वजह से हिमयुग के मैमथ और प्राचीन गैंडों का अस्तित्व खत्म हो गया था।
भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे कि आखिर रूस को 4 लाख साल पुराने इस वायरस को फिर से जिंदा करने की जरूरत क्यों पड़ी और ये दुनिया में कैसे तबाही ला सकता है?
4 लाख साल पुराना वायरस क्या है और इसने कैसे तबाही मचाई
द सन की रिपोर्ट मुताबिक लाखों साल पहले मरे मैमथ और गैंडों के शव रूस के याकुटिया नाम की जगह पर मिले हैं। इस जगह का तापमान -55 डिग्री से भी कम है।
यही वजह है कि 4 लाख सालों से बर्फ के नीचे दबे होने की वजह से इन जानवरों का मृत शरीर सुरक्षित है। रिसर्च के दौरान साइंटिस्ट को मैमथ के शरीर से ये खतरनाक वायरस मिला है।
ऐसा माना जा रहा है कि हिम युग में इन वायरसों की वजह से महामारी फैली थी। इसमें सैकड़ों बड़े जानवर एक साथ मारे गए थे।
रूस के लैब में इस वायरस को क्यों किया जा रहा है जिंदा?
साइबेरिया शहर के नोवोसिबिर्स्क में एक बायोवेपंस लैब है। रूस में इस लैब को लोग ‘वेक्टर स्टेट रिसर्च सेंटर ऑफ वायरोलॉजी’ के नाम से भी जानते हैं।
इसी लैब में साइंटिस्ट इस वायरस को जिंदा करने की कोशिश कर रहे हैं। रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि हिम युग में मैमथ और और प्राचीन गैंडों की मौत के लिए ये वायरस जिम्मेदार थे।
ऐसे में इस खतरनाक संक्रामक वायरस के बारे में जानने के लिए ही एक बार फिर से इसे जिंदा किया जा रहा है।
रूस के रिसर्च पर दुनिया को एक और महामारी की चेतावनी
आमतौर पर किसी देश में जब इस तरह के रिसर्च होते हैं तो दुनिया भर के साइंटिस्ट्स के बीच इसकी जानकारी होती है। हर देश दूसरे देश की साइंस और टेक्नोलॉजी की मदद लेकर अपने रिसर्च को अंजाम देते हैं।
जंग शुरू होने के बाद से ही रूसी साइंटिस्ट्स से दुनिया के बाकी देशों के वैज्ञानिक संपर्क में नहीं हैं। यही वजह है कि यूरोपीय देशों को इस बात की चिंता सता रही है कि रूस अपने लैब में इस वायरस को बायोवेपंस का रूप दे सकता है।