स्वामी विवेकानंद की जयंती पर प्रदेश में शिक्षा जगत में नई क्रान्ति का सूत्रपात का किया आगाज, शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को बेहतर बनाने और जन-जन तक पहंुचाने का किया शुभारंभ, यूनिवर्सिटी प्रांगण में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर किया नमन, प्रदेश भर के शिक्षकों और प्राचार्यो से मांगे सुझाव
कुरुक्षेत्र, 12 जनवरी। हरियाणा के शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने कहा कि भारत को विश्व गुरु बनाने का सबसे बड़ा फार्मूला शिक्षक के हाथ मे है। इस फार्मूले के तहत् शिक्षक को राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को जन-जन तक पहंुचाने की कमान संभालनी होगी। इस प्रदेश में शिक्षकांे के माध्यम से प्रदेश में शिक्षा जगत में नई क्रान्ति का सूत्रपात किया जाएगा। इसका आगाज स्वामी विवेकानंद जयंती पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के साथ-साथ हरियाणा प्रदेश के तीन अन्य जिलों से किया गया है।
शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा रविवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम हॉल में हरियाणा शिक्षा विभाग की ओर से राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत भारतीय शिक्षा, संस्कार, मूल्य और आपके सुझाव विषय पर आयोजित संगोष्ठी में बोल रहे थे। इससे पहले शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा, हरियाणा के मुख्यमंत्री के ओएसडी भारत भूषण भारती, हरियाणा स्कूल शिक्षा के प्रधान सचिव पंकज अग्रवाल, हरियाणा उच्च शिक्षा परिषद के वाईस चेयरमैन प्रो. सुरेन्द्र गक्खड, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने विश्वविद्यालय के प्रांगण में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की और श्रीमद्भगवद्गीता सदन में दीपशिखा प्रज्ज्वलित कर विधिवत रूप से संगोष्ठी का शुभारंभ किया।
शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने प्रदेशवासियों को स्वामी विवेकानंद जयंती की बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हरियाणा प्रदेश देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने वाला राज्य होगा। इस प्रदेश में वर्ष 2025 तक राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सबसे पहले राष्ट्रीय शिक्षा नीति में खामियों को दूर करने के लिए प्रदेश के प्रत्येक वर्ग, नागरिक से सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। इस शिक्षा नीति को लागू करने में अहम् योगदान शिक्षक का होगा। इसलिए शिक्षकों से सुझाव लेने की पहल की गई है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को जन-जन तक पहंुचाने की सबसे महत्वपूर्ण धुरी शिक्षक ही हैं। इस नीति में बदलाव शिक्षकों के प्रयासों से ही संभव है और शिक्षक ही देश की भावी पीढ़ी को राष्ट्रीय शिक्षा नीति से अवगत करवा सकते हैं। जब देश की भावी पीढ़ी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को ग्रहण करेगी तो निश्चित की भावी पीढ़ी को भारत के इतिहास, संस्कार, संस्कृति और नैतिक मूल्यों को जानने का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि देश की भावी पीढ़ी को जब देश की संस्कृति और संस्कारों को जानने का अवसर मिलेगा तो निश्चित ही देश वर्ष 2047 तक विश्व गुरु बनेगा और इस दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरेगा।
उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा व उनकी टीम को देश में सबसे पहले राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू करने पर बधाई देते हुए कहा कि इस कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में लागू हुई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का दूसरे विश्वविद्यालय व कॉलेज अनुसरण कर रहे हैं। अब इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति की कमियों को दूर करने के लिए सुझाव मांगे गए हैं। इन सुझावों पर अमल किया जाएगा और बदलाव कर वर्ष 2025 में पूरे प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को सही प्रकार से लागू किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत से लेकर उपर तक संगोष्ठियों का आयोजन करना, एनईपी मंें आप क्या बदलाव चाहते हैं, कैसे रोजगारपरक शिक्षा, नैतिक मूल्यों से परिपूर्ण शिक्षा में आप क्या चाहते हैं, यह सब शिक्षक अच्छी तरह से समझ सकते हैं। ताकि हम आने वाले भविष्य को आगे बढ़ने की हिम्मत, उत्साह, जज्बा दे सके। भारतीय दर्शन को सारी दुनिया समझे इसकी जरूरत है। हमारे दर्शन से बढ़कर कोई दर्शन नहीं। इसकी बदौलत भारत आज तक टिका हुआ है। आज भारत दुनिया का मार्गदर्शन करे ताकि विश्व में फैली अशांति कम हो सके। सन् 2047 तक हम दुनिया का ताकतवर व विकसित देश बने होंगे। शिक्षा का उद्देश्य पेट भरना नहीं है अच्छा व्यक्ति निर्माण है। आधुनिक युग में शिक्षा के क्षेत्र में अनेक चुनौतियां है। ग्रंथ ही हमारे गुरु हैं। विद्यार्थी को जीवन में अगर किसी एक चीज की आवश्यकता है तो वो शिक्षक की। शिक्षक के बिना विद्यार्थी का जीवन अधूरा है। अपने भारत, नौजवानों, परम्पराओं में चुनौतियों में समर्पित भाव से कार्य करने की आवश्यकता है। शिक्षा जगत में नई क्रान्ति का सूत्रपात करें ताकि सुंदर भविष्य बना सकें। उन्होंने कहा कि शिक्षक दुनिया का इतिहास बदल सकते हैं।
हरियाणा स्कूल शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव पंकज अग्रवाल ने विवेकानंद जयंती की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि विवेकानंद युवाओं के प्रेरणास्रोत थे। युवाओं को सशक्त बनाने व आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। युवा समाज की अमूल्य धरोहर है। एनईपी का इतिहास बहुत लम्बा है। 1968 में पहली नीति शुरू हुई थी। दूसरी 1986 में आई जिसका संशोधन 1993 में हुआ। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने 29 जुलाई 2020 को एनईपी-2020 को लांच किया था जो 21 सदी की कौशल आधारित परिकल्पना पर आधारित है जिसमें रचनात्मक, नवविचार, नैतिक नेतृत्व, भारत की सांस्कृतिक धरोहर, भारतीय मूल्य, एसडीजी गोल को शामिल किया गया है। एनईपी को बहुत अच्छे तरीके व बेहतर ढंग से लागू किया जा सके ताकि बच्चों को लाभ मिल सके। एनईपी को लागू करने में शिक्षक व सरकार का अपना-अपना रोल है। छात्र स्किल के साथ आगे बढ़े हमें ऐसा प्रयास करना है।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने स्वामी विवेकानंद जयंती पर राष्ट्रीय युवा दिवस की बधाई देते हुए कहा कि आज के शुभ दिन भारतीय शिक्षा, संस्कार, मूल्य और आपके सुझाव विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। आज का कार्यक्रम अक्षरशः और भावना से जन-जन तक पहुंचाने का व्यापक अभियान है। एनईपी-2020 का विजन भारतीय परम्पराओं, दृष्टिकोण के अनुसार शिक्षा प्रदान करनी है जिसमें समाज का कोई भी वर्ग शिक्षा से वंचित न रहे। एनईपी विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास करना है जो देश और समाज के लिए काम कर सके। इसमें नए कोर्स शामिल किए गए हैं। एनईपी के तहत् आर्टस का विद्यार्थी कम से कम तीन विषय दूसरे कोर्स के पढ़ेगा। रोजगारपरक शिक्षा प्रणाली है। कुवि ने यूजीसी के फ्रेमवर्क के अनुसार एनईपी का क्रियान्वयन कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय तथा संबंधित कॉलेजों में देश में सबसे पहले किया है। शोध, शैक्षणिक, सांस्कृतिक खेल गतिविधियों में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय अग्रणी है। कुवि हरियाणा का एकमात्र ए-प्लस-प्लस सरकारी विश्वविद्यालय है।
हरियाणा उच्च शिक्षा परिषद के वाईस चेयरमैन प्रो. सुरेन्द्र गक्खड़ ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने हमेशा धर्म को विज्ञान की नजर से देखा। आज जब हम विकसित भारत का स्वप्न देख रहे हैं। भारत युवाओं का देश है। 160 मिलियन युवा है। टैक्नॉलाजी के युग में एआई जीवन के हर पहलू में जुड़ा है। एनईपी के तहत् हमें ऐसे युवा तैयार करने हैं जो इन चुनौतियों का सामना कर सकें। हर साल हम 15 लाख इंजीनियर पैदा कर रहे हैं जिसमें से 90 प्रतिशत बेरोजगार हैं। हमें अपने अंदर स्किल पैदा करनी होगी। एनईपी-2020 के तहत् हम विकसित भारत का स्वप्न साकार कर सकते हैं। कुवि ने सबसे पहले एनईपी-2020 को लागू किया है। यह पहली मीटिंग हैं जहां इस तरह सुझाव मांगे गए हैं।
मुख्य वक्ता प्रो. मंजूला चौधरी ने कहा कि आज के बदलते दौर में हमें अपने दृष्टिकोण को बदलना होगा। डिजीटल युग में शिक्षा का प्रारूप बदलता जा रहा है। एनईपी-2020 ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पूरी तरह से बदलाव किया है। विद्यार्थी घर बैठकर शिक्षा ग्रहण कर रहे, क्लास में विद्यार्थी की हाजिरी जरूरी नहीं है। नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क एक आंख खोलने वाला दस्तावेज है। एनईपी-2020 में स्किल, अनुभव के आधार पर शिक्षा देने का प्रावधान है। एनईपी में लर्निंग इंटरलिंक्ड है। एनईपी में विद्यार्थियों की शिक्षा के लिए लचीलापन है। विद्यार्थी एक साथ दो डिग्री कर सकता है। विद्यार्थियों की इंटर्नशिप का प्रावधान है ताकि उनका कौशल विकास हो सके। मंच का संचालन प्रो. विवेक चावला ने किया। इस कार्यक्रम में डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो. दिनेश कुमार ने मेहमानों का आभार प्रकट किया।
इस मौके पर हरियाणा के मुख्यमंत्री के ओएसडी भारत भूषण भारती, डॉ. सुरेन्द्र गक्खड़, हरियाणा घुमंतू विमुख जाति आयोग के चैयरमेन जयसिंह पाल, भाजपा नेता सुशील राणा, रोहताश, अजीत, डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो. दिनेश कुमार, प्रो. एआर चौधरी, प्रो. मंजूला चौधरी, प्रो. संजीव अग्रवाल, प्रो. तेजेन्द्र शर्मा, प्रो. ब्रजेश साहनी, लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया, डॉ. अंकेश्वर प्रकाश, डॉ. प्रीतम सिंह, मंदीप सिंह विर्क शिक्षक, विद्यार्थी व कर्मचारी मौजूद थे।