शामलात भूमि पर पिछले कई दशकों से कब्जा कर रहे किसानों के मालिकाना हक की मांग को लेकर कई किसान संगठन लामबंद हो गए हैं। अपनी इस मांग को लेकर 20 से 22 दिसंबर तक अंबाला से चंडीगढ़ तक पद यात्रा (पैदल मार्च) निकालेंगे। आंदोलनकारी किसानों की योजना 22 दिसंबर को चंडीगढ़ पहुंचने की है, जब राज्य की राजधानी में हरियाणा विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू होगा।
सरकार को याद कराएंगे किया वादा
किसान नेताओं ने बताया वे राज्य की राजधानी में सरकार को उनकी मांग पर किए गए वादे के बारे में याद दिलाने के लिए आएंगे, जो उन्होंने 12 सितंबर को चंडीगढ़-पंचकूला सीमा पर विरोध प्रदर्शन के दौरान उनसे की थी। सितंबर में बड़ी संख्या में किसान अपने ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और अन्य वाहनों पर चंडीगढ़ आए थे, लेकिन तब संभावित गतिरोध टल गया था क्योंकि सरकार ने कहा था कि वह इस मुद्दे के समाधान पर गंभीरता से विचार कर रही है।
अंबाला से शुरू होगा कूच
किसान अपना मार्च 20 दिसंबर को पंजोखरा साहिब गुरुद्वारा (अंबाला) से शुरू कर चंडीगढ़ कूच करेंगे। किसान नेता मनदीप नथवान, सुरेश कोठ, जगदीप सिंह औलख, करनैल सिंह और धर्मबीर ढींडसा ने इस संबंध में घोषणा की है। किसानों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अपनी जमीन के टुकड़े खोने का डर है, वे पिछले कुछ महीनों से राज्य के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और पंचायत कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने ये दिया था फैसला
पंजाब भूमि राजस्व अधिनियम, 1887 के हिस्से के रूप में शामलात भूमि को गांवों में आम उपयोग के लिए अलग रखा गया है। अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी भूमि का उपयोग पंचायतों द्वारा केवल ग्रामीणों की जरूरतों के लिए किया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया था, “भूमि का कोई हिस्सा मालिकों के बीच फिर से विभाजित नहीं किया जा सकता है, और ऐसी भूमि बिक्री के लिए उपलब्ध नहीं होगी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पशोपेश में सरकार
आंदोलनकारी किसानों का समर्थन करने वाले विपक्ष के साथ, भाजपा -जेजेपी मंत्रालय इस मामले पर सावधानी से कदम उठा रहा है। सितंबर में, हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) वीएस. कुंडू ने कहा था कि शामलात भूमि का मामला जटिल मुद्दा है। इस मुद्दे पर कई अधिनियम पेश किए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कुछ किसानों के लिए समस्या खड़ी हो गई है, जो जमीन पर खेती कर रहे थे या लंबे समय से अपने घर बना चुके हैं।