दो दिवसीय कार्यशाला में देशभर के विभिन्न प्रदेशों से 42 प्रतिभागी कर रहे हैं प्रतिभागिता
कुरुक्षेत्र, 17 दिसम्बर। विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान में आधारभूत विषय पाठ्यक्रम निर्माण कार्यशाला का शुभारंभ मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलन से हुआ। संस्थान के निदेशक डाॅ. रामेन्द्र सिंह ने कार्यशाला की जानकारी देते हुए बताया कि वि.भा.अखिल भारती शिक्षा संस्थान द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में देशभर के विभिन्न राज्यों से 42 विषय विशेषज्ञ प्रतिभागिता कर रहे हैं। कार्यशाला में विद्या भारती के महामंत्री श्री अवनीश भटनागर, विद्या भारती के संगठन मंत्री गोविन्द चन्द्र मोहंत, सह संगठन मंत्री श्रीराम आरावकर, श्री यतीन्द्र शर्मा का सान्निध्य प्राप्त हो रहा है। उन्होंने बताया कि कार्यशाला में विद्या भारती के पांच आधारभूत पाठ्यक्रमों शारीरिक शिक्षा, योग शिक्षा, संगीत शिक्षा, संस्कृत शिक्षा एवं नैतिक व आध्यात्मिक शिक्षा के पाठ्यक्रमों का निर्माण किया जाना है। संस्कृति बोध परियोजना के अ.भा.संयोजक दुर्ग सिंह राजपुरोहित ने मंचासीन अतिथियों का परिचय कराया एवं सभी प्रतिभागियों का परिचय लिया। उन्होंने कहा कि आधारभूत विषय की संकल्पना स्पष्ट हो जाए, इसलिए सभी यहां एकत्रित हुए हैं।
कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर विद्या भारती के महामंत्री अवनीश भटनागर ने कहा कि भारत में ज्ञानार्जन सीखने की प्रक्रिया है। सीखना और जानना को उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा कि सीखने मंे विभिन्न विषयों का अध्यापन शिक्षण का काम होता है, उनमें से जो प्रक्रिया जानने की है वह इन आधारभूत विषयों की है। उन्होंने समग्र और सर्वांगीण विकास की संकल्पना को स्पष्ट करते हुए कहा कि व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास एक-एक व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास है। वह पंचकोशात्मक विकास के नाते है परन्तु समग्र विकास की संकल्पना एक-एक व्यक्ति के विकास से समाज को, राष्ट्र को ब्रह्माण्ड को एवं संपूर्ण मानव जाति को क्या लाभ होगा, इसलिए विकास की इस प्रक्रिया में समग्र विकास का विचार किया गया। उन्होंने कहा कि व्यक्ति विकसित तब कहलाएगा जब उसकी लौकिक और पारलौकिक दोनों प्रकार की उन्नति होगी। ब्रह्माण्ड का विचार करना, यह भारतीय मनीषा की विशेषता है। इसलिए व्यक्तित्व का विकास कैसा करना, जिससे राष्ट्र की प्रगति में योगदान करने वाला व्यक्ति अंततः विश्व के कल्याण का कारक बन सके। उन्होंने कहा कि विद्या भारती का उद्देश्य समाज के लिए अगली पीढ़ी का निर्माण करना है। इसलिए व्यक्ति के सर्वांगीण विकास का आधार होने के कारण हमने इन्हें आधारभूत विषय कहा है। 18 दिसम्बर तक चलने वाली इस कार्यशाला के 8 सत्रों में पांचों आधारभूत विषयों की संकल्पना स्पष्ट की जाएगी, जिससे कि इनके पाठ्यक्रमों का निर्माण हो सके।