कुरुक्षेत्र 13 दिसम्बर। कलाकार सदैव अपने प्रदेश की संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने के लिए तत्पर रहते हैं। लोक कलाकार देश की अमूल्य धरोहर हैं, जिन्हें संजोकर रखना प्रत्येक नागरिक का दायित्व बनता है। लोक कलाकार ही प्रदेश की संस्कृति के सच्चे प्रहरी है, जो लोक कला को सम्भालकर रखते हैं। आज के आधुनिक युग में एक ओर जहां युवा पीढ़ी पाश्चात्य संस्कृति की ओर अग्रसर हो रही है, वहीं लोक कलाओं और परम्परागत तौर तरीकों तथा रीति-रिवाजों के साथ अपनी प्रतिभा को लोगों के बीच प्रस्तुत करना कलाकारों का सराहनीय कार्य है। ये कहना था हरियाणा कला परिषद के निदेशक नागेंद्र शर्मा का। कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग, हरियाणा तथा हरियाणा कला परिषद द्वारा अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के दौरान कुरुक्षेत्र 48 कोस भूमि में स्थित कुरुक्षेत्र तथा कैथल जिला के विभिन्न तीर्थों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन से प्रदेश की कला और संस्कृति को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी कड़ी में गीता महोत्सव के दौरान ब्रहमसरोवर के तट पर जोगिंद्र द्वारा भजन संध्या का आयोजन किया गया। वहीं शशीकांत शर्मा ने ज्योतिसर, प्रेम शर्मा ने लोहार माजरा में अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुति देकर गीता के महत्व का बखान किया। इसके अतिरिक्त श्री कालेश्वर तीर्थ कुरुक्षेत्र में रवि कुमार व साथियों ने मनमोहक प्रस्तुतियों से दर्शकों का मन मोहा। वहीं सोनी कुमार के दल ने गुमथला गढू पेहवा में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए गीता महोत्सव को सार्थक करने में अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा सारसा में हरीश सैनी तथा राम तीर्थ थानेसर में सुनीता दुआ ने अपने भजनों के माध्यम से माहौल को भक्तिमय बनाया। नागेंद्र शर्मा ने बताया कि 15 दिसम्बर को हरियाणा कला परिषद द्वारा कुरुक्षेत्र तथा कैथल जिला के सात तीर्थों पर सांस्कृतिक आयोजन किये जाएगें। जिनमें फरल, रसीना, बारवा, सैंसा, नरकातारी, थानेसर तथा अरणैचा के तीर्थ शामिल रहेंगे।

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