कुरुक्षेत्र बाईपास के लिए केन्द्र सरकार ने सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान की
कुरुक्षेत्र को स्वच्छता में नंबर वन बनाने के लिए मुख्यमंत्री ने सहयोग का किया आह्वान
कुरुक्षेत्र 11 दिसंबर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि केन्द्र सरकार ने कुरुक्षेत्र बाईपास के निर्माण के लिए सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की है, जिसका निर्माण जल्द ही शुरू किया जाएगा। इस बाईपास के निर्माण से न केवल कुरुक्षेत्र निवासियों को बल्कि आस-पास के क्षेत्रों के लोगों को भी लाभ मिलेगा, जिससे इस पवित्र भूमि में बेहतर कनेक्टिविटी और बेहतर बुनियादी ढांचा सुनिश्चित होगा।
मुख्यमंत्री आज कुरुक्षेत्र में चल रहे अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के दौरान 48 कोस तीर्थ सम्मेलन में तीर्थ स्थलों के प्रमुख जनों को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री श्याम सिंह राणा, तंजानिया की पर्यटन मंत्री श्रीमती पिंडी चाना, गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज भी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने 48 कोस परिक्रमा के सभी तीर्थ स्थलों के प्रमुख जनों से आग्रह करते हुए कहा कि वे आगे आएं और कुरुक्षेत्र को देश का सबसे स्वच्छ स्थान बनाने में सहयोग करें। अगर हम सब मिलकर इस कार्य में सहयोग करें तो 48 कोस में फैला यह धार्मिक क्षेत्र नि:संदेह पूरे देश में स्वच्छता के मामले में अग्रणी बन सकता है।
हरियाणा में ब्रज की 84 कोस यात्रा की तर्ज 48 कोस यात्रा शुरू की जाएगी
सीएम नायब सिंह सैनी ने कहा कि ब्रज की 84 कोस यात्रा की तर्ज पर  48 कोस  कुरुक्षेत्र भूमि स्थित तीर्थों की यात्रा भी शुरू की जाएगी । इसके अलावा कुरुक्षेत्र को भगवान श्री कृष्ण की नगरी मथुरा और पवित्र नगरी हरिद्वार से जोड़ने के लिए रेल सेवा शुरू की जाएगी। श्री कृष्णा सर्किट योजना के तहत महाभारत युद्ध से संबंधित 134 स्थलों को लगभग 175 करोड़ रुपये के अनुमानित लागत  से पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। गीता स्थली, ज्योतिसर में 205 करोड़ रुपये के निवेश से महाभारत थीम पर आधारित ज्योतिसर अनुभव केंद्र का निर्माण भी किया जा रहा है। इस अनुभव केंद्र का हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअली उद्घाटन किया था।
सीएम नायब सिंह सैनी ने कहा कि हमें गीता के कर्म योग को अपने जीवन में उतरने वाले कर्मयोगी देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का नेतृत्व मिल रहा है।  उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की नीतियों का उद्देश्य सिर्फ नीति निर्माण करना नहीं है, बल्कि लाखों किसानों, महिलाओं और वंचितों के जीवन में बदलाव लाना है। मुख्यमंत्री ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे मोदी के नेतृत्व में कुरुक्षेत्र ने सफल अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का गवाह बना है, जिसमें गीता की वाणी पूरे हरियाणा में गूंज रही है, जिससे राज्य वैश्विक मंच पर पहुंच गया है। कुरुक्षेत्र के ऐतिहासिक महत्व को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि 5,162 साल पहले इसी पवित्र भूमि पर भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का दिव्य संदेश दिया था। उन्होंने इसे हरियाणा और पूरे देश के लोगों के लिए बहुत गर्व की बात बताया।
मुख्यमंत्री ने बताया कि कुरुक्षेत्र की 48 कोस भूमि में 367 तीर्थ स्थल हैं, जिनमें से कुछ समय के साथ लुप्त हो गए हैं। हाल ही में सर्वेक्षण एवं दस्तावेजीकरण के पश्चात 48 कोस कुरुक्षेत्र भूमि के 164 तीर्थों की सूची में 18 नए तीर्थ जोड़े गए हैं। यह कार्य अभी भी जारी है तथा निकट भविष्य में इस सूची में और तीर्थ जुडऩे की पूरी संभावना है। उन्होंने कहा कि पिछले 5 वर्षों में 93 विकास कार्यों के लिए कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड को 76 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 57 करोड़ रुपए जारी किए जा चुके हैं। अनेक कार्य पूरे हो चुके हैं तथा शेष पर तेजी से कार्य चल रहा है। उन्होंने बताया कि कुरुक्षेत्र में आस्था के अनेक केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं। देश के सुदूर क्षेत्रों के मंदिर अब कुरुक्षेत्र में देखने को मिलते हैं। उत्तर भारत का श्री तिरुपति बालाजी मंदिर यहां बनाया गया है। इसके अतिरिक्त, जीओ गीता संस्थान, अक्षरधाम मंदिर, इस्कॉन मंदिर तथा ज्ञान मंदिर भी निर्माणाधीन हैं।
मुख्यमंत्री ने 48 कोस तीर्थ पुस्तक, तीर्थ क्यूआर कोड और कुरुक्षेत्र टूर गाइड के प्रथम और द्वितीय संस्करण का भी विमोचन किया
गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि आज 18 हजार बच्चों ने गीता श्लोकों का पाठ किया, जबकि लाखों बच्चों ने ऑनलाइन इस कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने कहा कि 48 कोस क्षेत्र के तीर्थ लुप्त होने के कगार पर थे, लेकिन अब इस प्राचीन धरोहर को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया जा रहा है ताकि आने वाली पीढिय़ां इसके बारे में जान सकें। हरियाणा सरकार पहले से ही इस कार्य के लिए प्रतिबद्ध है और कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के माध्यम से लगातार सकारात्मक कदम उठा रही है। सरकार के प्रयासों से जहां महत्वपूर्ण प्रगति होगी, वहीं इन तीर्थ स्थलों का पुनर्विकास करना और दुनिया भर से पर्यटकों को अपने गांवों की ओर आकर्षित करना भी हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। आज कुरुक्षेत्र अंतरराष्ट्रीय पटल पर पहचान बना रहा है और सभी के प्रयासों से 48 कोस के सभी तीर्थों को नई पहचान मिलेगी।

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