चंडीगढ़ में SSP की पोस्ट के लिए अभी तक स्थायी नियुक्ति न होने के लिए कहीं न कहीं पंजाब सरकार ही जिम्मेदार है। पंजाब के चीफ सेक्रेटरी विजय कुमार जंजुआ को 28 नवंबर को ही पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ के प्रशासक बीएल पुरोहित ने कह दिया था कि योग्य IPS अफसरों का पैनल भेजें।
वहीं उन्हें कुलदीप चहल के ‘अनाचरण’ का मुद्दा बताते हुए हटाए जाने के आदेश भी सुना दिए गए थे। चंडीगढ़ के DGP प्रवीर रंजन और प्रशासक के एडवाइजर धर्मपाल ने भी चीफ सेक्रेटरी को जल्द पैनल भेजने को कहा था। इसके बाद 12 दिसंबर को चहल को ‘तुरंत’ वापस पंजाब भेजने के आदेश जारी हुए थे। ऐसे में पंजाब सरकार के पास पारंपरिक रूप से पंजाब कैडर के SSP को चंडीगढ़ में बिठाने के लिए पैनल भेज प्रशासन की मंजूरी के लिए 15 दिन थे।
मनीषा चौधरी अस्थायी चार्ज देना पड़ा
इसके बावजूद 13 दिसंबर को मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राज्यपाल द्वारा SSP की पोस्ट पर हरियाणा कैडर की IPS अफसर(मनीषा चौधरी) को बिठाने (एडहॉक पर अस्थाई चार्ज) पर सवाल उठाने वाली चिट्ठी लिख डाली। इसमें मान ने कहा था कि अगर किसी कारणवश कुलदीप सिंह चहल को रिपेट्रिएट किया ही जाना था तो पहले ही पंजाब से IPS अफसरों का पैनल मंगवाया जाना चाहिए था।
क्या चीफ सेक्रेटरी ने नहीं दी जानकारी?
ऐसे में बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया है कि क्या पंजाब के चीफ सेक्रेटरी ने मुख्यमंत्री मान को उनकी और राज्यपाल समेत एडवाइजर और DGP, चंडीगढ़ से 28 नवंबर से 30 नवंबर के बीच हुई बातचीत की जानकारी सांझी तक नहीं की। यदि ऐसा किया गया होता तो शायद मान को चिट्ठी लिखने की जरूरत ही नही पड़ती।
वहीं अगर चीफ सेक्रेटरी ने यह जानकारी सांझा की थी तो यह चिट्ठी क्या सिर्फ पंजाब और हरियाणा के बीच विवाद पैदा कर राजनीति करने के लिए लिखी गई थी। बता दें कि इससे पहले भी मान पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर की नियुक्ति को लेकर राज्यपाल पर निशाना साधा चुके हैं।