कुरुक्षेत्र, 7 नवंबर।
 कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के ललित कला विभाग द्वारा कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा के मार्गदर्शन में प्रसिद्ध मूर्तिकार टुटु पटनायक द्वारा मेरी संस्कृति और मूर्तिकला के साथ यात्रा विषय पर एक विशेष कला वार्ता का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में फैकल्टी, छात्रों और शोध छात्रों ने भाग लिया।
टुटु पटनायक ने अपनी रचनात्मक यात्रा और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर चर्चा की, जिसमें कला, भावना और समाज के बीच के संबंधों का अन्वेषण किया गया।
कार्यक्रम में फाइन आर्ट्स विभाग के अध्यक्ष डॉ. गुरचरण सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा, कि टुटु पटनायक की रचनात्मक प्रतिभा व अद्वितीय कलाकृतियों ने विश्वभर में दर्शकों को आकर्षित किया है। उनकी विचारोत्तेजक स्थापत्य और मूर्तियों ने समकालीन कला की सीमाओं को फिर से परिभाषित किया है।
टुटु पटनायक ने अपनी प्रमुख कलाकृतियों को प्रदर्शित करते हुए अपनी सांस्कृतिक और कलात्मक प्रेरणाओं पर चर्चा की। उनकी कला वास्तविकता का नहीं बल्कि एक शक्तिशाली माध्यम है जो भावनाएँ जगाती है, संवाद शुरू करती है और हमारे दृष्टिकोण को चुनौती देती है। उनकी रचनाएँ मानव अनुभव की सार को समेटती हैं, जो हमें विचार करने, मनन करने और जुड़ने के लिए आमंत्रित करती हैं।
उन्होंने कहा कि उनकी मूर्तियों में फाइबर ग्लास का उपयोग किया गया है। उन्होंने अपनी प्रसिद्ध कलाकृतियों का वर्णन किया, जिनमें रूस, फ्रांस, जर्मनी, पुर्तगाल, तुर्की,मिस्र, हुलान आदि और उनके साथ जुड़ी चुनौतियों के बारे में बताया। इसके अलावा, उनकी राजस्थान, बिहार, नेपाल, ओडिशा, ग्वालियर आदि में की गई कलाकृतियाँ भी विविध सामग्रियों को संभालने में उनकी उत्कृष्टता को प्रदर्शित करती हैं। उनकी कला में अक्सर दरारें होती हैं जो उनकी रचनाओं में समय और इतिहास के तत्व को मजबूत करती हैं। उन्होंने अपने शिल्प की जटिलताओं में गहराई से जाकर, अपनी कला को आकार देने वाली प्रेरणा और तकनीक को उजागर किया।
कार्यक्रम का समापन अध्यक्ष द्वारा धन्यवाद नोट के साथ हुआ। उन्होंने कलाकार के प्रयासों की सराहना की तथा साथ ही साथ इस कार्यक्रम में उपस्थित अन्य लोगों को भी समारोह की आकर्षकता को बढ़ाने में उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया।

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