करनाल, 28 अक्तूबर-   आज दिनांक 28-10-2024 को उर्वरक क्षेत्र की विश्व की सबसे बड़ी सहकारी संस्था इफको द्वारा के वी के ,एन डी आर आई, करनाल के सभागार में नैनो उर्वरक जागरुकता अभियान के अन्तर्गत सहकारी कार्यकर्त्ता प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। डॉ सुनील बजाड,गुणवत्ता नियंत्रक, कृषि विभाग ,करनाल बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे। श्री विकास गोयल, विकास अधिकारी, जिला केंद्रीय सहकारी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। डॉ. पंकज सारस्वत, हेड के वी के ,एन डी आर आई,कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। कार्यक्रम में डॉ. निरंजन सिंह, क्षेत्र प्रबंधक इफको करनाल, श्री धनजय मणी, टी.एम.ई. इफको – ऐम.सी. हरियाणा, श्री मोहित ढूकिया, क्षेत्र अधिकारी इफको करनाल समेत 50 से अधिक पैक्स प्रबन्धकों/विक्रेताओं ने भाग लिया। सर्वप्रथम श्री मोहित ढूकिया ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए भागीदारों का स्वागत किया व बताया की इफको द्वारा सहकारी समितियों के प्रबन्धकों/विक्रेताओं को कृषि से सम्बन्धित आधुनिक जानकारी देने व कृषि आदानों की बिक्री की योजना बताने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इफको द्वारा विश्व में सबसे पहले परम्परागत यूरिया के विकल्प के तौर पर तैयार किए गए नैनो यूरिया प्लस व नैनों डी ए पी के कृषि में महत्व के बारे में सहकारी कार्यकर्ताओं को जागरूक करने को इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बताया ।  मुख्य अतिथि के रूप में डॉ सुनिल बजाड ने अपने संबोधन में इफको द्वारा नैनो यूरिया की खोज को एक क्रान्तिकारी कदम बताया व इसकी जागरूकता किसानों के बीच हो सके इसके लिए आह्वान किया। उन्होने कृषि विभाग द्वारा किसानों के हित के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे मै जानकारी दी। उन्होंने प्रबंधकों को समय पर खाद के लाइसेंस का नवीनीकरण करवाने की सलाह दी। डॉ. पंकज सारस्वत ने पराली प्रबन्धन के बारे में विस्तार से चर्चा की । इसके उपरांत श्री धनजय मणी ने गेहूं की फसल में आने वाली बीमारियों व कीटों के बारे चर्चा की व इनके प्रबंधन पर भी विस्तार से चर्चा की। इसके बाद डॉ. निरंजन सिंह, ने बताया कि नैनों यूरिया इफको द्वारा एक नई खोज है जिससे किसानों की आमदनी दोगुनी करने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि नैनो यूरिया का निर्माण नैनो तकनीक के आधार पर कया गया है। नैनो यूरिया का परिवहन भी आसान व सस्ता है। नैनो यूरिया के प्रयोग से उपज बढ़ने के साथ साथ उत्पाद की गुणवत्ता में भी वृद्धि होती है। और ये भी कहा कि क्योंकि इसका प्रयोग फसलों पर स्प्रे के रूप में किया जाता है, इसलिए इसकी प्रयोग क्षमता परम्परागत यूरिया से अधिक है। पौधे पत्तों व तने के माध्यम से इसको अवशोषित कर लेते हैं।  नैनो डी ए पी का प्रयोग गेहू के बीज पर 5 मिली/ किलोग्राम की दर से बीज को उपचारित करके बिजाई करना चाहिए। बची 250 मी ली नैनों डीएपी की आधी बोतल की मात्रा का प्रयोग बिजाई के 30-35 दिन बाद 4 मिली नैनो डी ए पी तरल प्रति लीटर पानी के साथ प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार नैनो डी ए पी व नैनो यूरिया प्लस के प्रयोग से मृदा स्वास्थ्य व पर्यावरण में सुधार होता है तथा इनके प्रयोग से फसल की उत्पादकता व उत्पादन में 5% तक वृद्धि होती है तथा फसल की गुणवत्ता में भी बढ़ोतरी होती है।

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