हरियाणवी चुटकुलों पर दर्शक हुए लोटपोट
जीजा-साली, लोक जीवन पर कसे व्यंग्य
कुरुक्षेत्र, 26 अक्टूबर।
 कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के हरियाणा दिवस राज्य स्तरीय रत्नावली समारोह में ओपन एयर थिएटर में आयोजित हरियाणवी चुटकला प्रतियोगिता में प्रतिभागियों ने दर्शकों को हरियाणा की समृद्ध संस्कृति से रूबरू कराने के साथ-साथ लोटपोट कर दिया। प्रतिभागियों ने हरियाणवी लोक कला एवं संस्कृति के रीति-रिवाजों, परंपराओं, हास्य और कहानियों को प्रतियोगिता के माध्यम से जीवंत कर दिया।  केयू कैंपस टीम द्वारा जीजा साली के आपसी हास्य व्यंग्य देखकर दर्शकों ने जमकर ठहाके लगाए। भारत कॉलेज ऑफ लॉ, लाडवा की टीम ने अपनी प्रस्तुति के माध्यम से हरियाणवी रीति-रिवाज को आगे बढ़ाने का संदेश दिया। वहीं गवर्नमेंट कॉलेज जींद ने बाहरी सुंदरता से ज्यादा भीतर की सुंदरता, राजीव गांधी महिला महाविद्यालय उचाना जींद की टीम द्वारा हिंदुस्तान में एक भीड़ है जो दिशाहीन है, बारे में बताया।
द्रोणाचार्य डिग्री कॉलेज कुरुक्षेत्र ने समाज में लड़कियों की आवाज को दबाने की व्यथा तथास केयू कैम्पस टीम तथा  गवर्नमेंट कॉलेज नारायणगढ़ ने बुजुर्गों की कदर करना हमारी संस्कृति का हिस्सा प्रस्तुति द्वारा समाज को एक बेहतरीन संदेश दिया गया। इस कार्यक्रम के निर्णायक मंडल में बृज शर्मा, आनंद शर्मा, सतीश हरियाणवी व धर्मेंद्र दांगी व हरियाणवी चुटकुले लोक कलाकार आजाद दुहन भी सम्मिलित रहे।  और इसी के साथ हरियाणवी कलाकार रेनू धुन ने बच्चों को किसी की कलाकार का निरादर ना कर कर उसका आदर  कैसे किया जाता है इस बारे में बताया। रत्नावली महोत्सव ने केवल हमारी संस्कृति जड़ों का उत्सव है बल्कि हमारे छात्रों और स्थानीय समुदाय के लिए हरियाणवी परंपराओं की विविधता से जुड़ने और उनकी सराहना करने का अवसर भी है।


नजर कटारी दिल पे लागी, घायल होगी मैं…..
सोलो डांस प्रतियोगिता में प्रदेशभर की छात्राओं ने बिखेरी प्रतिभा
कुरुक्षेत्र, 26 अक्टूबर।
 कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग की ओर से आयोजित रत्नावली राज्य स्तरीय समारोह के अवसर के दूसरे दिन शनिवार को ऑडिटोरियम हॉल में आयोजित हरियाणवी लोकगीत एकल नृत्य प्रतियोगिता में महिला प्रतिभागियों ने दर्शकों से वाहवाही लूटी। महोत्सव में कपिलमुनि गवर्नमेंट कॉलेज फॉर वूमेन कलायत, कैथल नजर कटारी दिल पे लागी, घायल होगी मैं….. उस कॉलेज के छौरे की, कायल होगी मैं…. प्रस्तुति देखकर पर सभी दर्शक सभागार में झूमने लगे। वहीं राजीव गांधी महाविद्यालय उचाना, जींद की प्रतिभागी छात्रा ने ओ परदेशी छोड़ गया तू……सामण बीत गया सारा कद झूल गलेगी डाले पे, फोटो गैल्या झगडे़ झा सूं जो धरग्या था आले मैं….प्रस्तुति के माध्यम से पति के परदेश जाने पर अपने मन के विरह व्यथा को सोलो डांस के माध्यम से दिखाया जिसकों दर्शकों ने खूब सराहा। स्टेट इंस्टीटयूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज इन टीचर एजुकेशन, कुरुक्षेत्र ने मेरे परदेसी पिया, देर क्यूं लगाई देख-देख तेरी बाट में मर गई, आजा न हरजाई द्वारा द्वारा पिया को याद करते हुए दर्शाया कि पिया कि याद कितनी दुखदाई होती है। केयू कैम्पस टीम द्वारा दी गई कोए तो बता दयो उस छोरे न मेरे दिल का हाल की प्रस्तुति में दर्शक सभागार में सीट छोड़कर झूमने लगे।
सीआईएस कन्या महाविद्यालय, ढांड डडवाना की छात्रा ने सूरज चमका, सितारे फीके, फीका सब संसार…. मैं चाहूं पिया का प्यार, मेरा पिया माथे की बिंदिया पर अपनी शानदार प्रस्तुति दी। एसयूएस मटक माजरी गवर्नमेंट कॉलेज इन्द्री की टीम ने न करे मीठी-मीठी बात, पिया मैं सब जानूं सू, न लावे घूंघट के हाथ, नीयत तेरी सारी जानूं सू पर नृत्य कर दर्शकों का मन मोह लिया। गवर्नमेंट कॉलेज फॉर गर्ल्स, पलवल कुरुक्षेत्र की टीम ने गल में कंठी, हाथ में कंगन, पायल की झंकार से, कुर्ती नीचे दामन सजरा, चूंदड गोटेदार से पर नृत्य किया। इसके साथ ही एसए जैन पीजी कॉलेज अम्बाला इतना सुथरा रूप मेरा, गुरुनानक गर्ल्ज कॉलेज संतपुरा यमुनानगर ने जावै न पिया छोड़ कै सहित शहीद दलबीर सिंह गवर्नमेंट कॉलेज खरखोदा, सोनीपत, आईबी पीजी कॉलेज पानीपत, गवर्नमेंट कॉलेज जीन्द, डॉ. बीआर अम्बेडकर कॉलेज जगदीशपुरा कैथल, स्टेट स्टेट इंस्टीटयूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टैक्नोलॉजी नीलोखेड़ी, एसडी पीजी कॉलेज पानीपत व आरकेएसडी कॉलेज कैथल के प्रतिभागियों ने अपनी विशेष प्रस्तुति दी।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा हरियाणा दिवस राज्य स्तरीय रत्नवाली महोत्सव के माध्यम पूरे विश्व में हरियाणवी लोक कला एवं संस्कृति का प्रचार-प्रसार देश-प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में किया जा रहा है। रत्नावली महोत्सव युवाओं को अपनी बेजोड़ संस्कृति की ओर आकर्षित करता है तथा सांस्कृतिक धरोहर से जोड़े रखता है तथा पॉप सांग एवं डांस सहित अन्य विधओं की आधुनिकता के साथ संस्कृति के प्रति गर्व की अनुभूति करवाता है। हरियाणवी पॉप सांग नृत्य न केवल मनोरंजन का माध्यम है बल्कि अपनी हरियाणवी संस्कृति को जीवंत एवं आधुनिक रूप में प्रस्तुत करने का माध्यम भी है।

चोको चूरमा, मालपुडे व खीर बनी युवाओं की पहली पसंद
रत्नावली समारोह में पर्यटन एवं होटल मैनेजमेंट विभाग छात्रों ने लगाया देशी खाने का स्टॉल
कुरुक्षेत्र, 26 अक्टूबर।
 हरियाणवी संस्कृति को लेकर विश्वविद्यालय प्रांगण में विभिन्न कलाकारों द्वारा विभिन्न प्रकार की प्रस्तुतियां दी जा रही हो और वहां हरियाणवी खानपान की बात ना हो भला कैसे हो सकता है? इसी बात को पूरा करने के लिए हरियाणवी शुद्ध, सात्विक देशी खाना खिलाने का जिम्मा उठाया है, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पर्यटन एवं होटल मैनेजमेंट विभाग के बैचलर इन होटल मैनेजमेंट के विद्यार्थियों ने जो कंवीनर डॉ. राहुल गर्ग के नेतृत्व में कार्य कर रहे है। इस अवसर डॉ. गर्ग ने बताया इस बार हरियाणवी खाने में नमकीन लस्सी, मीठी लस्सी, चटपटी चना बाकली, दही भल्ले, स्पेशल दाल मखनी, स्वादिष्ट बाजरा, रागी इडली सांभार, चोको चूनमा, कसूता चूरमा, शाही टुकड़ा जामुन और दोनों को मिलाकर एक नई स्वादिष्ट लस्सी सम्मिलित है। इसके साथ-साथ अलग से गोल गप्पों का विशेष प्रबंध किया गया है। स्टॉल पर हरियाणवी शुद्ध, सात्विक खाना खाना आगंतुकों को अपनी ओर अधिक आकर्षित कर रहा है। रत्नावली की पहुंच विभिन्न मीडिया के द्वारा लोगों तक पहुंच रही है और इसी पहुंच में हरियाणवी खान-पान की याद भी पहुंच रही है। हरियाणवी शुद्ध, सात्विक खाने की विशेष कसूता चूरमा के दर्शकों को खास पसंद आ रहा है। इस अवसर गुरुग्राम के सेक्टर-9 से पहुंचे डॉ. सुरेंद्र कुमार ने कहा कि हर वर्ष वे यहां रत्नावली में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लेने आते है साथ में अपने हरियाणवी खाने का भी आनंद उठाते है। वे कहते कि प्रदेश की पहचान ही हमारा उच्च खान-पान ही रहा है। रत्नावली समारोह का आंनद लेने करनाल से पहुंचे डॉ. प्रदीप जाखड़ ने बताया कि जब प्रदेश के खान-पान की बात आती है तो सब खाने के बाद अगर आपने चूरमा नहीं खाया तो आपका स्वाद अधूरा ही रहेगा इसलिए चूरमा इस कमी को पूरा करता है खासकर चक्कर वाला चुरमा।
हिसार के गांव कंवारी से लगातार पांच वर्षाे से रत्नावली समारोह देखने के लिए आ रहे नवीन कुमार ने कहा कि रत्नावली के कारण ही हरियाणी वास्तविक संस्कृति बची हुई है, हम अब रत्नावली में आते हैं तो महसूस होता कि हम मूल हरियाणी हैं।
डॉ संदीप धनखड़, डॉ. मनजीत कुमार संयुक्त रूप से बताया कि हरियाणवी शुद्ध, सात्विक को लेकर लोगों में बड़ा उत्साह है और रत्नावली के पहले और दूसरे दिन विद्यार्थियों ने अच्छे पैसों का खाना खाया है जो तीसरे अधिक लोगों के खाना खाने का अनुमान है। उन्होने कहा कि विभाग के विद्यार्थियों की अथाह मेहनत का ही परिणाम ही की देश-प्रदेश से आये हुए लोगों को हरियाणवी शुद्ध, सात्विक खाना बेहद पंसद आ रहा है। पर्यटन एवं होटल मैनेजमेंट विभाग के छात्रों जिनमें सन्नी, रोहित, केशव, अर्जन, आदित्य, जतिन, सुभल, विनय, रितेश, साहिल, लोकेश, विद्यार्थीगण अपने अनुभवी प्राध्यापकों के साथ लोगों में हरियाणवी खान-पान की लालसा, जिज्ञासा का श्री गणेश कर रहे है।

हरियाणवी हस्तशिल्प प्रदर्शनी बनी आकर्षण का केन्द्र
बोहिया, इंडी और बंदरवाल द्वारा दिया हरियाणी संस्कृति को बचाने का संदेश
कुरुक्षेत्र, 26 अक्टूबर।
 कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में चल रहे सांस्कृतिक ‘रत्नावली महोत्सव’ के दूसरे दिन श्रीमदभगवद् गीता सदन में हस्तशिल्प प्रदर्शनी आकर्षण का केन्द्र बनी जिसमें प्रतिभागियों ने बोहिया, इंडी, पीड्ढा, फुलवारी, सांझी और बंदरवाल द्वारा हरियाणी संस्कृति को बचाने का संदेश दिया। छात्रों की भागीदारी और उत्साह ने महोत्सव की रौनक बढ़ा दी। विभिन्न प्रतियोगिता में जिन टीमों में भाग लिया उनमें राजकीय कॉलेज कैथल, आरकेएसडी कॉलेज कैथल, फाइन आर्ट विभाग कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय सम्मिलित है।
हरियाणा की सांस्कृतिक धरोहर को आगे बढाने को समर्पित रत्नावली को देखने के लिए दर्शक प्रदेश के कौने-कौने से पहुँच रहे हैं। साथ ही साथ प्रतिभागी में भी उत्साह नजर आ रहा है। इसी कड़ी में कॉलेज के प्रतिभागियों ने साँझी, फुलझड़ी, पदकीप बनाकर अपनी विरासत का प्रदर्शन कर रहे हैं। इस अवसर पर प्रतिभागियों के साथ आए डॉ. प्रदीप कुमार ने बताया कि त्योहारों का महत्व हमारे रिश्तों को मजबूत बनाने में होता है। भारतीय संस्कृति में विभिन्न त्योहारों का आयोजन केवल धार्मिक उद्देश्यों के लिए नहीं होता, बल्कि ये हमारे सामाजिक बंधनों को और भी मजबूत करते हैं। उन्होंने कहा कि उनकें सांझी बनाने का उद्देश्य एक माँ और बेटे के अनमोल रिश्ते की गहराई को उजागर करना है। आरकेएसडी कॉलेज कैथल से आये प्रतिभागियों साँझी, फुलझड़ी, पदकीप, बंदरवाल बनाई है। प्रतिभागी विद्यार्थियों ने बताया कि उनका उद्देश्य अपनी कला का प्रदर्शन करना और हरियाणा की संस्कृति को दिखाना है। प्रतिभागियों ने सांझी, फुलझड़ी, इंद्री और बोहिया जैसे पारंपरिक कलाओं के माध्यम से हरियाणा की समृद्ध संस्कृति को जीवंत किया है। हरियाणा की संस्कृति को दर्शाते हुए यह आयोजन न केवल कला का प्रदर्शन है, बल्कि भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक है।

हरियाणा की बहू भी बेटी समान है……
केयू के डॉ. आरके सदन में लोकगीतों के माध्यम से सामाजिक संदेश
कुरुक्षेत्र, 26 अक्टूबर।
 हरियाणा के सांस्कृतिक कार्यक्रम रत्नावली समारोह के दूसरे दिन विश्वविद्यालय के  आर.के सदन में लोकगीत कार्यक्रम की प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमें हरियाणा की बहू भी बेटी समान है, का संदेश दिया। लोकगीत कार्यक्रमों मुख्यातिथि की भूमिका पंडित अनिल सोनी किरण कपूर एवं डॉ. एस. राठौर आकाशवाणी कुरुक्षेत्र ने निभाईं। इस अवसर पर राजकीय कॉलेज नारायणगढ़ अंबाला की टीम अपने अपने लोकगीतों में दर्शाया कि जिस तरह माँ अपने बेटे को दर्जा देती है उसी प्रकार मां को अपनी बहू को भी वैसा ही दर्जा देना चाहिए। उन्होने इस प्रस्तुति से समाज को बहू और बेटी को एक समान समझने का संदेश दिया।
आर्य पीजी कालेज पानीपत की प्रतिभागी करिश्मा ने अपने लोकगीत के माध्यम से बताया कि जब बाप अपनी बेटी की विदाई पर भावुक हो उठता है जो शादियों में बाप और बेटी के प्रेम और समर्थन को दर्शाती है। प्रतियोगिता की शुरुआत ‘भात’ नामक हरियाणवी लोकगीत के प्रदर्शन से की। वहीं आरकेएसडी पीजी कॉलेज पानीपत ने अपनी प्रस्तुति श्रृंगार परत पर प्रदर्शन किया। वही राजकीय कॉलेज नरवाना ने अपनी बेहतरीन प्रस्तुति दी। वहीं महाराणा प्रताप नेशनल कॉलेज मुलाना के प्रतिभागी निखिल ने ‘दुःख एवं सुख’ में परिवर्तित के लिए लोकगीत गाया। दर्शकों को हरियाणवी लोकगीतों की सुंदरता और महत्व से अभिभूत कर दिया। लोकगीतों की प्रतियोगिता में सभी प्रतिभागी टीमों ने हरियाणवी रीति-रिवाजों की विविधता और सुंदरता को सफलतापूर्वक उजागर किया।

हरियाणवी रंग में रंगा रत्नावली महोत्सव
लोक परिधान प्रतियोगिता में हरियाणवी परिधानों में दिखे युवा
कुरुक्षेत्र, 26 अक्टूबर।
 कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम हॉल में रत्नावली महोत्सव के दूसरे दिन हरियाणा के परिधानों का जलवा दिखाई दिया। युवा हरियाणा की समृद्ध वेशभूषा में दिखाई दिए। मौका था रत्नावली महोत्सव में आयोजित लोक परिधान प्रतियोगिता का। महोत्सव के दूसरे दिन न केवल पारंपरिक परिधानों की शोभा दिखी बल्कि हरियाणा के रीति-रिवाज, दैनिक जीवन और लोककथाओं को भी जीवंत प्रदर्शन के ज़रिए प्रस्तुत किया गया।  नियम अनुसार हर प्रतिभागी को 1 से 3 मिनट में हरियाणा की वेशभूषा, गहनों और संस्कृति का प्रदर्शन करना था । प्रतियोगिता में कुल 15 महिला और 7 पुरुष प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
महिला वर्ग में महिला प्रतिभागियों ने प्रमुख किरदारों को बखूबी निभाया जिसमें पनिहारन (जो कुंए से पानी लाती है), दुल्हन (विवाह के परिधान में सजी),करवा चौथ ,तुलसी पूजन की रस्में,खेतों में काम करने वाली महिलाएं और फूजन (महिला सैनिक) तथा पुरुष वर्ग के प्रतिभागियों ने ग्रामीण हरियाणा की झलक प्रस्तुत की। किसान, दूधवाला, देसी ग्रामीण आदमी और नशे में धुत्त पात्रों का अभिनय करते हुए प्रतिभागियों ने दर्शकों का मन मोह लिया । पारंपरिक वस्तुएं और रचनात्मकता का भी प्रयोग बखूभी किया गया । प्रदर्शन के दौरान प्रतिभागियों ने साइकिल, टोकरी, और मटकी जैसी पारंपरिक चीजों का इस्तेमाल किया, जिससे प्रस्तुतियों में वास्तविकता का रंग भर गया। उनकी वेशभूषा, हावभाव और प्रदर्शन ने हरियाणा की गहरी जड़ों को दिखाया और दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

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