कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने किया रत्नावली की तैयारियों का अवलोकन
उद्घाटन समारोह में हरियाणा की लोक कला एवं समृद्ध संस्कृति के होंगे दर्शन
कुरुक्षेत्र, 24 अक्टूबर। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने गुरुवार को रत्नावली की तैयारियों का ऑडिटोरियम हॉल, खुला मंच, ओपन एयर थियेटर का अवलोकन किया। गौरतलब है कि श्रीमद्भगवद्गीता सदन में शुक्रवार को चार दिवसीय राज्य स्तरीय हरियाणा दिवस रत्नावली समारोह में रत्नावली के मंच पर हरियाणा की प्रसिद्ध लोक संस्कृति व हरियाणा की लोक कला एवं समृद्ध संस्कृति के दर्शन होंगे। 25 से 28 अक्टूबर तक चार दिनों तक 6 मंचों पर 3 हजार से अधिक युवा कलाकार 34 विधाओं में अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। इस बार मुख्य सांस्कृतिक आकर्षण हरियाणवी फैशन शो, हरियाणा हस्तशिल्प प्रदर्शनी, हरियाणवी देसी खानपान, स्वदेशी कौशल प्रदर्शनी, रत्नावली सांग प्रदर्शन, हरियाणवी गायन शैली प्रस्तुतिकरण, लूर, खोडिया धमाल, फागण व रसिया नृत्य होगा।
लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया ने बताया कि समारोह को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए 14 कमेटियों का गठन कर, 14 कंवीनर बनाए गए हैं तथा उनके सहयोग के लिए टीम सदस्य तथा रत्नावली वालंटियर्स बनाए गए हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने समारोह के सफल आयोजन के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा के मार्गदर्शन में सभी अधिकारी व कर्मचारी समारोह के सफल आयोजन के लिए काम में लगे हैं। उद्घाटन समारोह को खास बनाने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। रत्नावली को लेकर युवाओं में भरपूर उत्साह है और इससे रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।
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हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी व भारत सरकार के बिजली एवं शहरी मामले मंत्री मनोहर लाल बढ़ाएंगे रत्नावली की गरिमा
लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया ने बताया कि कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा की संरक्षता में होने वाले 4 दिवसीय राज्य स्तरीय रत्नावली समारोह में हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, भारत सरकार के बिजली एवं शहरी मामले मंत्री मनोहर लाल की गरिमामय उपस्थिति रहेगी।
विशिष्ट अतिथि के रूप में कुरुक्षेत्र के सांसद नवीन जिंदल, हरियाणा के माननीय शिक्षा मंत्री महीपाल ढाण्डा, हरियाणा सरकार के सामाजिक न्याय मंत्री कृष्ण कुमार बेदी, हरियाणा के पूर्व मंत्री सुभाष सुधा, हरियाणा के मुख्यमंत्री के ओएसडी गुलाब सिंह सैनी, हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन के पूर्व चैयरमेन भारत भूषण भारती, एनआईटी के निदेशक प्रो. बीवी रमन्ना रेड्डी, श्रीकृष्ण आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. करतार सिंह धीमान, भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय, खानपुर कलां सोनीपत की कुलपति प्रो. सुदेश छिकारा, महर्षि वाल्मीकी संस्कृत विश्वविद्यालय, मुंदरी कैथल के कुलपति प्रो. रमेश चन्द्र भारद्वाज, राष्ट्रपति पुरस्कार से से सम्मानित हरियाणवी लोक गायक प्रेम देहाती, आदित्य बिरला समूह के ग्रुप कार्पोरेट अफेयर्स के प्रेजीडेंट डॉ. विनोद कुमार वर्मा व आरजे कार्प के ग्रुप प्रेजीडेंट विश्व रमन निर्मल सहित गणमान्य लोग मौजूद होंगे।
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6 मंच, 34 विधाएं, 3हजार कलाकार
युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के निदेशक प्रो. विवेक चावला ने बताया कि राज्य स्तरीय रत्नावली समारोह में पहले दिन 25 अक्टूबर को ऑडिटोरियम हाल के मुख्य मंच पर रिचुअल, लूर नृत्य हरियाणवी, पॉप सोंग हरियाणवी व हरियाणवी कोरियोग्राफी, आरके सदन में हरियाणवी भजन, ड्यूट रागनी, ओपन एयर थियेटर में सोलो डांस (पुरुष), रागनी प्रतियोगिता, सीनेट हॉल में हरियाणवी भाषण, पगड़ी बांधने की प्रतियोगिता, खुले मंच पर सांग कंपटीशन स्टूडेंट्स तथा क्रश हॉल में फोक पेंटिंग कार्यशाला व प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा।
वहीं दूसरे दिन 26 अक्टूबर को ऑडिटोरियम हॉल में सोलो डांस (महिला), फॉक कॉस्ट्यूम पुरुष एवं महिला, हरियाणवी फैशन शो, हरियाणवी फॉक ऑरकेस्ट्रा, आरके सदन में हरियाणवी लोकगीत, हरियाणवी गजल व मोनो एक्टिंग, ओपन एयर थियेटर में हरियाणवी स्किट एवं टिट-बिट्स, सीनेट हॉल में हरियाणवी क्विज (प्री), शॉर्ट फिल्म (इन हरियाणवी ओर ऑन हरियाणा), खुला मंच पर सांग प्रतियोगिता का आयोजन होगा तथा क्रश हॉल में एंटिक हरियाणवी संग्रह प्रदर्शनी बोहिया, इंडी, पिड्डा, बिंदरवाल को प्रदर्शित किया जाएगा।
प्रो. विवेक चावला ने बताया कि तीसरे दिन 27 अक्टूबर को ऑडिटोरियम हॉल हरियाणवी चौपाल, ग्रुप डांस रसिया व संगीत संध्या, आरके सदन में हरियाणवी फोक इंस्ट्रुमेंटल सोलो, हरियाणवी वन एक्ट प्ले, ओपन एयर थियेटर में ग्रुप सोंग हरियाणवी, सीनेट हॉल में कविता व हरियाणवी क्विज (फाइनल), खुले मंच पर सांग कंपटीशन स्टूडेंट्स के लिए आयोजित होंगी तथा क्रश हॉल में ऑन द स्पॉट पेंटिंग प्रतियोगिता व पेंटिंग प्रदर्शनी प्रदर्शित की जाएगी।
युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के निदेशक प्रो. विवेक चावला ने बताया कि राज्य स्तरीय रत्नावली समारोह के अंतिम दिन 28 अक्टूबर को ऑडिटोरियम हॉल में ग्रुप डांस हरियाणवी, ओपन एयर थियेटर में रागनी कंपटीशन प्रोफेशनल, खुले मंच पर डे पर्फाेमर प्रेजेंटेशन व सायं 3 बजे ऑडिटोरियम हॉल में पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित किया जाएगा।
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युवा बनेंगे आत्मनिर्भर व होगा कौशल विकास
इस बार राज्य स्तरीय रत्नावली महोत्सव में कला शिविर व विद्यार्थियों की कला प्रदर्शनी विशेष आकर्षण का केन्द्र होगी। कलाकार अपनी कलाकृतियों के माध्यम से हरियाणा की विलुप्त हो रही लोक कलाओं व लोक संस्कृति को अपने चित्रों के माध्यम से उकेरेंगे। वहीं ललित कला विभाग के छात्र अपनी प्रदर्शनी के माध्यम से अपने कला कौशल को प्रदर्शित करेंगे। इससे विद्यार्थी आत्मनिर्भर बनने के लिये प्रेरित होगें। विद्यार्थी विभिन्न प्रकार की कलाकृतियों को प्रदर्शित करेगें। कला शिविर में भाग ले रहे कलाकारों से भी विद्यार्थियों को कला की बारीकियों को सीखने का अवसर मिलेगा। युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग सदैव ही हरियाणा की कला एवं संस्कृति को सहेजने का कार्य करता रहा है।
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मीडिया टीम मैनेजमेंट कमेटी संभालेगी मीडिया कमान
राज्य स्तरीय रत्नावली समारोह में 6 विभिन्न मंचों पर होने वाली 34 विधाओं की कवरेज व मीडिया प्रबंधन के लिए बनाई गई मीडिया मैनेजमेंट कमेटी के लिए लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया को संयोजक बनाया गया है। इस कमेटी में आईएमसी एंड एमटी की निदेशक प्रो. बिंदु शर्मा, युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के निदेशक प्रो. विवेक चावला, उपनिदेशक डॉ. गुरचरण सिंह, लोक सम्पर्क विभाग की उप-निदेशक डॉ. जिम्मी शर्मा, आईएमएसी एंड एमटी के डॉ. आबिद अली, डॉ. प्रदीप राय व डॉ. अभिनव कटारिया तथा यूनिवर्सिटी सीनियर सेकेंडरी मॉडल स्कूल के डॉ. सुशील टाया को शामिल किया गया है। इसके साथ ही मीडिया संस्थान के 20 छात्र भी इसमें सहयोग करेंगे। छात्रों को रत्नावली में मीडिया मैनेजमेंट और समाचार लेखन के गुर सिखाए जाएंगे। रत्नावली का उद्देश्य छात्रों की प्रतिभा में निखार लाना है चाहे वो कला का क्षेत्र या लेखन का।
राजा हर्ष के नाटक रत्नावली के नाम पर ही हुआ रत्नावली का नामकरण
कुरुक्षेत्र, 24 अक्टूबर। रत्नावली चिह्न वास्तव में हरियाणा की सांस्कृतिक पहचान का परिचायक है। रत्नावली नामकरण भी सातवीं सदी के थानेसर के इतिहास का साक्षी है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में आयोजित रत्नावली समारोह में बृज क्षेत्र की नृत्यांगना को प्रतीक चिह्न के रूप में स्थापित किया गया है। वास्तव में हरियाणा तथा बंचारी में होली के अवसर पर नृत्य की परम्परा रही है। इस विषय में विस्तार से जानकारी देते हुए लोक संपर्क विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया ने बताया कि रत्नावली नामकरण का इतिहास महाराजा हर्ष वर्धन से जुड़ा हुआ है। राजा हर्षवर्धन द्वारा लिखित नाटक ‘रत्नावली’ के दो पात्र चरचरी एवं हलिष्का नृत्यांगना के रूप में विख्यात रही हैं। यही परम्परा हरियाणवी लोकजीवन में सदियों पुरानी चली आ रही है। हर्षवर्धन के समय में कुरुक्षेत्र की राजधानी थानेसर में एक महीने तक मदनोत्सव मनाया जाता था। लोकजीवन में इसे हम फागण उत्सव भी कह सकते हैं। इस प्रकार लोकजीवन में फागण के महीने में नृत्य की परम्परा हरियाणवी लोकजीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा रही है।
उन्होंने कहा कि फागण में हरियाणा के सभी क्षेत्रों खादर, बांगर, बागड़, अहीरवाल, बृज, मेवात सभी क्षेत्रों यह परम्परा देखने को मिलती रही है। बृज क्षेत्र में यह परम्परा दूसरे क्षेत्रों की अपेक्षा अधिक है, क्योंकि वहां पर श्रीकृष्ण और राधा लोकजीवन का ऐसा महत्वपूर्ण हिस्सा हैं जो फागण उत्सव का हिस्सा बन उसे आज भी जीवित रखे हुए है। यही कारण है कि बृज के घरों में होली गायन एवं नृत्य परम्परा आज भी जीवंत है। इस परम्परा में वहां की महिलाएं पुरुषों के होली गायन के साथ नृत्य भी करती हैं। हरियाणा के बंचारी क्षेत्र में यह परम्परा लोकजीवन का गूढ़ हिस्सा हैं। कुवि सांस्कृतिक विभाग के पूर्व निदेशक श्री अनूप लाठर ने बंचारी नृत्य की जब सन् 1988 में डॉक्यूमेंटेशन की तो उन्होंने पाया कि बंचारी में नृत्य करते हुए महिलाएं इसी स्वरूप में नाचती हैं। उन्होंने होली के अवसर पर नाचती हुई महिला का चित्र खींचा। यही चित्र वास्तव में लोक पारम्परिक नृत्य का हिस्सा है। लोकनृत्य रसिया की पद्चाप एवं परम्परा हरियाणा के दूसरे नृत्यों से भिन्न है। वास्तव में यह चित्र बंचारी की नाचती हुई महिला का चित्र है, जिसको कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के तत्कालीन निदेशक अनूप लाठर ने होली के अवसर पर बंचारी की महिला का नृत्य करते हुए चित्र को ही रत्नावली समारोह के प्रतीक चिह्न के रूप में स्थापित किया। उनके प्रयास से विभाग के कलाकार श्री आरएस पठानिया ने इसके अनेक चित्र भी अंकित किए और धीरे-धीरे यह रत्नावली के प्रतीक के रूप में एक अलग चिह्न स्थापित हो गया।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग ने इसे रत्नावली के प्रतीक चिह्न के रूप में अपनाकर लोक सांस्कृतिक परम्परा को समारोह के साथ जोड़ दिया गया। अब रत्नावली का यह चिह्न प्रतीक का रूप धारण कर चुका है तथा रत्नावली का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। रत्नावली के सभी बैनरों, चित्रकला एवं टी-शर्ट आदि पर यह प्रतीक चिह्न स्थापित किया जा रहा है। लोक संपर्क विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया ने बताया कि इससे पूर्व हरियाणा दिवस पर आयोजित राज्य स्तरीय समारोह को हरियाणा दिवस समारोह के नाम से जाना जाता था। सन् 2006 में इस समारोह का नामकरण रत्नावली के नाम से हुआ। तब से लेकर अब तक रत्नावली कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का सांस्कृतिक समारोह भारत ही नहीं अपितु विदेशों में भी लोकप्रिय हो चुका है। रत्नावली समारोह को संचालित करने वाली छात्र-छात्राओं की टीम को भी रत्नावली टीम के नाम से जाना जाता है।