तीन दिवसीय उत्थान उत्सव हुआ सम्पन्न, रंगकर्मियों ने दिखाई अभिनय प्रतिभा
कुरुक्षेत्र 16 अक्तूबर। पति-पत्नी एक गाड़ी के दो पहिए होते हैं। यदि दोनों पहिये खराब हो जाए तो जीवन तमाम समस्याओं से घिर जाता है। पति-पत्नी का काया-छाया का सम्बंध है। एक किरण है दूसरा उजाला। एक साज है दूसरा आवाज। एक लहर है दूसरा किनारा। एक दूसरे के बिना किसी का कोई अस्तित्व नहीं। ऐसे ही संवादों के साथ राजेंद्र कुमार शर्मा के लिखे और विकास शर्मा द्वारा निर्देशित नाटक एक राग दो स्वर में कलाकारों ने पति-पत्नी के रिश्तों में आई कड़वाहट में मिठास भरने का कार्य किया। मौका था न्यू उत्थान थियेटर ग्रुप के वार्षिक समारोह उत्थान उत्सव के समापन का। ग्रुप के 15 वर्ष पूर्ण होने पर 13 से 15 अक्तूबर तक आयोजित उत्थान उत्सव के समापन पर हरियाणा सरस्वती हेरिटेज विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमच बतौर मुख्यअतिथि पहुंचे। वहीं विशिष्ट अतिथि के रुप में भाजपा जिला उपाध्यक्ष अनु माल्यान उपस्थित रही। न्यू उत्थान थियेटर ग्रुप की ओर से अध्यक्ष नीरज सेठी, सचिव शिवकुमार किरमच, नरेश सागवाल तथा धर्मपाल गुगलानी ने अतिथियों को पुष्पगुच्छ भेंटकर स्वागत किया। मंच का संचालन डा. मोहित गुप्ता द्वारा किया गया।
गौरतलब है कि न्यू उत्थान थियेटर ग्रुप वर्ष 2015 से निरंतर नाट्य उत्सव करता आ रहा है और इन नाट्य उत्सवों में मंचित नाटकों से दर्शकों के मनोरंजन के साथ-साथ समाज को एक संदेश देने का कार्य भी किया जाता है। इसी कड़ी में आयोजित तीन दिवसीय उत्सव में पहले दिन नाटक चीफ की दावत के माध्यम से बुजुर्गों का तिरस्कार करने वाले बच्चों पर कटाक्ष किया गया। वहीं दूसरे दिन नाटक खुल जा सिम सिम ने बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश दिया। उत्सव के समापन पर राजेंद्र कुमार शर्मा द्वारा लिखित नाटक एक राग दो स्वर में पति और पत्नी के आपसी झगड़ों से घर के माहौल पर पड़ने वाले फर्क से लोगों को रुबरु करवाया गया। तीनों नाटक विकास शर्मा के निर्देशन में मंचित किये गए, जिनमें 30 से अधिक कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
नाटक एक राग दो स्वर में दिखाए पति-पत्नी के बनते-बिगड़ते रिश्ते
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पति-पत्नी के रिश्ते की कड़वाहट को मिठास में बदल गया एक राग दो स्वर
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नाटक के जरिए आधुनिक परिवेश में पति-पत्नी के रिश्ते को उजागर किया गया। नाटक में दिखाया गया कि सुरेंद्र और सरला हमेशा लड़ते-झगड़ते रहते हैं, जिससे उनकी बेटी पिंकी को भी माता-पिता का प्यार नहीं मिल पाता। वही सुरेंद्र का मित्र अनिल उनके बीच आए दिन हो रहे झगड़े से दुःखी रहता है। इसी बीच जब सुरेंद्र के पिताजी उसके घर पर रहने के लिए आते हैं तो वो भी झगड़े का दृश्य देखकर काफी निराश हो जाते हैं और वापस लौट जाते हैं। पति-पत्नी के इस झगड़े को समाप्त करने के लिए सुरेंद्र का दोस्त अनिल और पिताजी मिलकर एक योजना बनाते हैं। अनिल बाबा जी का भेष बनाकर सुरेंद्र और सरला के पास आता है और उन दोनों का हाथ देखकर सुरेंद्र को बताते हैं कि आज से तीन महीने बाद उसकी पत्नी का देहांत हो जाएगा और इसी प्रकार सरला को भी बताता है कि उसके पति का देहांत हो जाएगा। ये सुनकर दोनों पति-पत्नी काफी परेशान हो जाते हैं। इस समस्या के निदान के लिए वे दोनों बाबा जी से उपाय पूछते हैं। बाबा जी उपाय में बताते हैं कि तुम दोनों तीन महीने तक कोई झगड़ा नहीं करोगे और प्रेमपूर्वक रहोगे। बाबा की बतायी हुई शर्त को वे स्वीकार कर लेते हैं और तीन महीने सुख से रहते हैं। जब अष्टमी के दिन उनको कुछ नहीं होता है तभी अनिल बाबा का भेष बदलकर सामने आता है और सारी कहानी को बयां करता है। इस प्रकार नाटक का अंत हो जाता है। नाटक में एक ओर जहां कलाकारों ने अपने अभिनय से सभी को बांधे रखा, वहीं हास्य-व्यंग्य से भरे संवाद लोगों को गुदगुदाने में कामयाब रहे। नाटक में सुरेंद्र की भूमिका सागर शर्मा ने निभाई वहीं पत्नी सरला मनू महक माल्यान बनी। अनिल गौरव दीपक जांगड़ा, पिता जी अमरदीप जांगड़ा, नौकरानी रचना अरोड़ा, पिंकी नव्या मेहता, फूलचंद चंचल शर्मा बने। संगीत संचालन आकाशदीप का रहा तथा प्रकाश व्यवस्था नाटक निर्देशक विकास शर्मा ने सम्भाली। सहयोगी के रुप में राजीव कुमार व कपिल बत्रा ने साथ दिया। अंत में सभी कलाकारों को अतिथियों ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया तथा न्यू उत्थान थियेटर ग्रुप की ओर से अतिथियों को शॉल व उपहार भेंटकर आभार जताया।