डीसी ने जिला स्तरीय सलाहकार समिति की ली बैठक, लिंगानुपात में सुधार लाने के लिए ठोस कदम उठाने के दिए निर्देश

करनाल, 17 जून।  उपायुक्त उत्तम सिंह ने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या एक जघन्य अपराध है। इस अपराध में संलिप्त लोगों को किसी भी सूरत में बख्शा न जाए, दोषी को सजा अवश्य मिले। इसके लिए अधिकारियों को कहा कि पैरवी बेहतरीन तरीके से की जाए।
उपायुक्त मंगलवार को स्थानीय लघु सचिवालय के सभागार में प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण अधिनियम (पीएनडीटी एक्ट)के तहत गठित जिला स्तरीय सलाहकार समिति की बैठक में बोल रहे थे। उपायुक्त ने कहा कि लिंग परीक्षण करवाना और करना दोनों कानूनी तौर पर अपराध हैं, ऐसे व्यक्तियों पर कड़ी निगरानी रखें और सख्त कार्रवाई करें। कन्या भ्रूण हत्या एक सामाजिक बुराई है और इसे जड़ से खत्म करने के लिए सभी के सहयोग की आवश्यकता है। उन्होंने सीएमओ को निर्देश दिए कि लिंगानुपात में सुधार लाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं और अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर रेड बढ़ाएं तथा औचक निरीक्षण कर उनके रिकॉर्ड की जांच करें। उन्होंने कहा कि अब तक कन्या भ्रूण हत्या से जुड़े जितने मामले दर्ज हुए हैं, उनका डाटा अगली बैठक में प्रस्तुत करें और यह भी बताना सुनिश्चित करें कि कितने लोगों को सजा मिली है और कितने लोग बरी हुए हैं, साथ ही बरी होने का कारण भी स्पष्ट करें। उन्होंने कहा कि पीएनडीटी से जुड़े मामलों को जिला न्यायवादी के संज्ञान में लाएं ताकि उनकी बेहतरीन तरीके से पैरवी हो सके, दोषी को सजा मिले। उन्होंने कहा कि जो टीम लिंगानुपात जांच की सूचना मिलने पर रेड करने जाती है, उसकी ट्रेनिंग करवाएं तथा फिर भी वो अगर रेड में सही कार्य नही कर पाते हैं तो उन कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। उन्होंने सीएमओ को कहा कि जिन गांवों में लिंगानुपात कम है, उन गांवों की सूची बनाएं तथा वहां पर जागरूकता कार्यक्रम भी चलाएं।
उन्होंने ड्रग कंट्रोल अधिकारी को निर्देश दिए कि मेडिकल स्टोर का नियमित निरीक्षण करें और उनके रिकॉर्ड की जांच करें। मेडिकल स्टोर पर लगाए गए हाई रेजोल्यूशन के सीसीटीवी कैमरों को समय-समय पर चेक करें तथा उसके रिकॉर्ड की एक प्रति भी अगली बैठक में लेकर आएं। उन्होंने डीपीओ को निर्देश दिए कि सीडीपीओ, सुपरवाइजरों की बैठक बुलाएं और इसके बाद धरातल पर कार्य कर रही आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सचेत करें कि उनके क्षेत्र में कन्या भ्रूण हत्या से संबंधित कोई भी घटना न घटे और गर्भवती महिलाओं पर विशेष ध्यान रखें और उनके पास उनके गांवों का पूरा रिकॉर्ड होना चाहिए कि गांव में कितने बच्चे हुए हैं और कितनी महिलाएं गर्भवती हैं।
बैठक में सीएमओ डॉ पूनम चौधरी ने बताया कि पीसीपीएनडीटी एक्ट के प्रावधानों और नियमों के उल्लंघन करने पर 5 वर्ष तक की सजा एवं 10 हजार रुपये तक का जुर्माने का प्रावधान है तथा नियमों की उल्लंघना करने वालों के खिलाफ गुप्त सूचना देने वाले को 1 लाख रुपये तक का इनाम देने का भी एक्ट में प्रावधान किया गया है। सीएमओ ने बताया कि आशा वर्कर्स के माध्यम से ऐसी गर्भवती महिलाओं पर विशेष नजर रखी जाती है जिनके पास पहले से एक या दो बेटियां हैं।
इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ पूनम चौधरी, पीसीपीएनडीटी एक्ट की नोडल अधिकारी डॉ शीनू चौधरी, डीपीओ सीमा प्रसाद, ड्रग कंट्रोलर विकास राठी तथा पुलिस अधिकारी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

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