बच्चे नहीं होते आत्महत्या को तैयार, तो बनाई हत्या की योजना
आरोपित सुभाष ने बताया कि पहले खुद के सुसाइड के बारे में प्लानिंग बनाई। फिर सोचा कि उसके जाने के बाद दोनों बच्चों को क्या होगा? इसके बाद उसने बच्चों के साथ सुसाइड करने का प्लान बनाया। उसे लगा कि बच्चे इसके लिए तैयार नहीं होंगे, इसलिए उसने पहले दोनों बच्चों को जहर देकर मारने और फिर खुद मरने की योजना बनाई थी।
सुभाष का कहना है कि वह एक माह से नींद और नशे की गोलियां इकठ्ठी कर रहा था। कभी इस दुकान से ले आता और कभी उस दुकान से गोलियां लाता। इस तरह उसके पास 20 से 25 गोलियां इकठ्ठी हो गईं। इसके बाद वह मौके की तलाश में था। उसे ऐसा दिन चुनना था कि माता-पिता घर पर न हों। केवल बच्चे ही हों। वह मौका मुझे आज मिल गया। रविवार को सुभाष का पिता अपनी बहन के घर था और मां अपने मायके गई थी।
सुभाष की जुबानी वारदात
- पहले बच्चों को मैंगों शैक में नशे व नींद की गोलियां मिलकर पिला दी।
- फिर बेटा बोला कि बाइक पेंक्चर है तो वह बाइक का पेंक्चर लगवा चला गया।
- वहां से आया तो बेटी कमरे में सो रही थी और बेटा फोन देख रहा था।
- बेटे को धमकाया और फोन लेकर उसे सोने को बोल दिया।
- बेटा सोने के बाद पहले लोहे के तार से बेटे का गला घोंट दिया और फिर बेटी का।
- दोनों की मौत की पुष्टि करने के लिए उनकी नब्ज और सांसें भी चेक की। जब वे मर गए तोदोनों बच्चों को बांध दिया।
- फिर खुद ने जहर की दो गोलियां खा ली और फिर रुपये लेन-देन को लेकर वीडियो बनाने लग गया।
- इस दौरान परिवार में भाभी, भतीजा और अन्य लोग आ गए और उसे उपचार के लिए अस्पताल में दाखिल करवाया।
दरवाजे की एक कुंडी छोड़ी थी खुली
आरोपित सुभाष जहर की गोली खाने के बाद वह यह सुनिश्चित करना चाहता था कि उसकी खुद की जान भी न बचे। इसलिए उसने छत पर फंदा लगाना शुरू किया। इससे पहले दरवाजे की दो कुंडियों में से एक खोल दी, ताकि बाद में किसी को दरवाजा तोड़ना न पड़े।
आरोपित बताया कि जब वह छत के पंखे पर फंदा लगा रहा था, इसी दौरान उसे पड़ोस की भाभी ने देख लिया। इसके बाद भाभी ने शोर मचाते हुए आसपास के लोगों को मौके पर बुला लिया। फिर लोग दरवाजा खोलकर अंदर आ गए। वहां बिस्तर पर हाथ-पांव बंधे दोनों बच्चों के शव देखकर वे चिल्लाने लगे।
सुभाष का कहना है कि लोगों ने उसे फंदा लगाने से रोक लिया। फिर उसने बताया कि जहर की दो गोलियां खा रखी हैं। इस पर लोगों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी और उसे जिला नागरिक अस्पताल ले आए। इससे उसकी जान बच गई।
दोनों बहन भाई कक्षा 12वीं में पढ़ते थे
मृतक 17 वर्षीय बसंत और करीब 16 वर्षीय आरुषी दोनों की कक्षा 12वीं के विद्यार्थी थे। जोकि नजदीक के गांव में एक निजी स्कूल में पढ़ाई करते थे। बताया जा रहा है लड़की पढ़ाई में काफी होशियार था। उनकी मां सरोज की मौत आठ मई को हुई थी और उसकी मौत से ठीक एक माह के बाद आरोपित पिता ने इस घटना को अंजाम दिया।