चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा पुलिस के सिपाही की एक दिन की ड्यूटी से गैरहाज़िरी पर 10 वार्षिक वेतनवृद्धि रोकने की सजा को असंगत करार दिया है। 

जस्टिस जगमोहन बंसल की एकल पीठ ने स्पष्ट किया कि यह दंड किसी भी प्रकार से अनुशासनहीनता के आरोप के अनुपात में नहीं है और यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है। इस प्रकरण में याचिकाकर्ता सत्यवीर सिंह हरियाणा पुलिस में सिपाही के पद पर कार्यरत थे और उन पर वर्ष 2015 में 24 घंटे और 20 मिनट तक ड्यूटी से अनुपस्थित रहने का आरोप था। 

इस आधार पर उनके विरुद्ध विभागीय जांच शुरू की गई, जिसमें उन्हें दोषी पाया गया। 23 जनवरी 2015 को पुलिस अधीक्षक रेवाड़ी की ओर से उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। याचिकाकर्ता ने बर्खास्तगी के आदेश के विरुद्ध पुलिस महानिरीक्षक रेवाड़ी के समक्ष अपील की। अपीलीय प्राधिकारी ने सेवा से बर्खास्तगी को अत्यधिक सज़ा मानते हुए उसे 10 वार्षिक वेतनवृद्धियों की स्थायी जब्ती में परिवर्तित कर दिया।
इसके उपरांत याचिकाकर्ता ने पुलिस महानिदेशक के समक्ष पुनरीक्षण याचिका दायर की, जिसे यह कहकर खारिज कर दिया गया कि याचिका विलंब से दायर की गई है। नियम 16.2, पंजाब पुलिस नियमावली 1934 (जो हरियाणा राज्य में भी लागू है) के अनुसार किसी पुलिसकर्मी को केवल अत्यंत गंभीर कदाचार या निरंतर अनुशासनहीनता के कारण ही सेवा से बर्खास्त किया जा सकता है। 

इसके साथ ही, सज़ा देते समय उस कर्मचारी की सेवा अवधि और पेंशन का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। जस्टिस बंसल ने कहा कि यह स्थापित कानून का सिद्धांत है कि सजा आरोपित अपराध के अनुरूप होनी चाहिए।

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