पौधों का नियमित निरीक्षण करके कीटों के शुरुआती लक्षणों का पता लगाएं व समय पर उपाय करें
कुरुक्षेत्र, 21 मई : गर्मी के मौसम में टमाटर और बैंगन का प्रयोग प्रमुखता से होता है। सब्जियों ने इन का नियमित प्रयोग भी है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार टमाटर और बैंगन में कीट लगने की शिकायत अकसर देखने को मिलती है। डा. सीबी सिंह के अनुसार किसानों एवं किचन गार्डनिंग करने वालों को सब्जियों में कीट लगने की समस्या से समय रहते उपाय कर लेने से बचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि विशेषकर टमाटर और बैंगन में फल छेदक कीट से बचाव के लिए कई उपाय हैं जैसे कि जैविक तरीके, कीटनाशकों का उपयोग और फसल चक्र का पालन कर भी बचा जा सकता है। डा. सिंह ने कहा कि कुछ किसानों का मानना है कि नीम के तेल और नीम के पत्तों के अर्क का छिड़काव करने से कीटों को नियंत्रित किया जा सकता है। डा. सिंह ने किसानों को सुझाव दिया कि लगातार बैंगन या टमाटर की खेती से बचें और फसल चक्र का पालन करें। प्रभावित पौधों व फलों को हाथ से चुनकर या नष्ट करके कीटों को नियंत्रित किया जा सकता है। डा. सिंह ने कहा कि किसानों को सब्जियों व फलों को छेदक कीटों से बचाव के लिए किसी भी प्रकार के कीटनाशक का प्रयोग करने से पूर्व कृषि विशेषज्ञों एवं अधिकारियों से परामर्श अवश्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ कीटनाशक जैसे कि स्पाइनोसेड, इमामेक्टिन बेंजोएट, और क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल फल छेदक कीट को नियंत्रित करने में प्रभावी साबित हुए हैं। सेविमॉल, एंड्रिन, मैलाथियान इत्यादि कीटनाशकों का नियमित अंतराल पर छिड़काव करने से कीटों का प्रकोप नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पौधों का नियमित निरीक्षण करके कीटों के शुरुआती लक्षणों का पता लगाएं और समय पर कार्रवाई करें।

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