शहर की सड़कों पर घूम रही गायों के हिंसक होने की घटनाओं के बाद नगर परिषद ने इन्हें पकड़ने के लिए टेंडर जारी किया था। लेकिन अब इन गायों को पकड़ते समय गायें नहीं बल्कि इनके रखवाले ही हिंसक हो रहे हैं।
रखवाले बने हिंसक
रखवाले बने हिंसक
पिछले ढाई माह में टेंडर लेने वाली एजेंसी के कर्मचारियों के साथ मारपीट व हाथापाई की छह से सात घटनाएं हो चुकी हैं। ये घटनाएं गायों को पकड़ते समय खुद को इनका रखवाला बताने वाले लोगों द्वारा की गई। लेकिन थाने पहुंचने के बाद समझौता कर मामला शांत हो गया।
हालांकि शनिवार को हुई घटना के बाद अब पुलिस ने एफआइआर दर्ज करने की तैयारी कर ली है।
दरअसल, इसी साल 28 जनवरी को नगर परिषद ने रॉयल इंटरप्राइजेज एजेंसी को गाय पकड़ने का ठेका दिया था। एजेंसी ने ढाई महीने में ही शहर में 900 गायों को पकड़कर गौशाला में पहुंचा दिया है। ये आंकड़े बताते हैं कि शहर में सड़कों पर कितनी बड़ी संख्या में गायें घूम रही हैं।
स्थिति यह है कि अभी शहर के बाहरी इलाकों से ही गायें पकड़ी गई हैं। गलियों और मोहल्लों में तो इनकी संख्या और भी ज्यादा है।
दरअसल, इसी साल 28 जनवरी को नगर परिषद ने रॉयल इंटरप्राइजेज एजेंसी को गाय पकड़ने का ठेका दिया था। एजेंसी ने ढाई महीने में ही शहर में 900 गायों को पकड़कर गौशाला में पहुंचा दिया है। ये आंकड़े बताते हैं कि शहर में सड़कों पर कितनी बड़ी संख्या में गायें घूम रही हैं।
स्थिति यह है कि अभी शहर के बाहरी इलाकों से ही गायें पकड़ी गई हैं। गलियों और मोहल्लों में तो इनकी संख्या और भी ज्यादा है।