बाबा साहब को समझने के लिए गहराई से पढ़ना जरूरी: प्रो. वैद्य करतार सिंह
– डॉ. आंबेडकर केवल दलितों के नेता नहीं, बल्कि एक महान राष्ट्र निर्माता, विचारक और संविधान निर्माता थे: कुलपति
– आंबेडकर भवन में ‘डॉ. आंबेडकर जी की राष्ट्र को देन’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित
कुरुक्षेत्र,13 अप्रैल। श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर वैद्य करतार सिंह धीमान ने कहा कि भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर को समझने के लिए उनके विचारों को गहराई से पढ़ना जरूरी है। केवल चुनिंदा विषयों या घटनाओं से उनके व्यक्तित्व और योगदान को पूरी तरह नहीं समझा जा सकता। वे केवल दलितों के नेता नहीं, बल्कि एक महान राष्ट्र निर्माता, विचारक और संविधान निर्माता थे।
प्रो. धीमान वे रविवार को कुरुक्षेत्र के सेक्टर-8 स्थित आंबेडकर भवन में बाबा साहब डॉ. भीम राव आंबेडकर जी की 134 वीं जयंती के पर आयोजित ‘डॉ. आंबेडकर जी की राष्ट्र को देन’ राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
कुलपति प्रो. धीमान ने कहा कि जो लोग स्वतंत्रता संग्राम के बाद श्रेय लेने में आगे रहे, वे भी विचारधारा के स्तर पर बाबा साहब जितने दृढ़ और राष्ट्रभक्त नहीं थे। महिला सशक्तिकरण, सेना, स्वास्थ्य और परिवार नियोजन समेत ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है,जिस पर बाबा साहब का चिंतन नहीं रहा हो। कुलपति ने कहा कि बाबा साहब को केवल दलित नेता के रूप में नहीं, बल्कि उन्हें सीमित दायरे से बाहर लाकर एक समग्र राष्ट्रनायक के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने ने कहा कि विश्व में शायद ही कोई संविधान होगा, जिसे डॉ. आंबेडकर ने न पढ़ा हो। उनका ज्ञान और दृष्टिकोण उन्हें संविधान निर्माण का सर्वश्रेष्ठ नेतृत्वकर्ता बनाता है।
धर्म परिवर्तन की चर्चा करते हुए कुलपति ने कहा कि सन 1956 में जब बाबा साहब ने बौद्ध धर्म स्वीकार किया, तब भी उन्होंने भारतीय राष्ट्रीयता को सर्वोपरि रखा। उन्होंने बौद्ध धर्म को इसलिए स्वीकार किया, क्योंकि यह हिन्दू धर्म की सकारात्मक शिक्षाओं को समेटे हुए था और राष्ट्रहित से जुड़ा था। अगर उस समय बाबा साहब ने राष्ट्र की एकता के विपरीत कोई निर्णय लिया होता, तो देश को और अधिक विघटन का सामना करना पड़ता।
धर्म परिवर्तन की चर्चा करते हुए कुलपति ने कहा कि सन 1956 में जब बाबा साहब ने बौद्ध धर्म स्वीकार किया, तब भी उन्होंने भारतीय राष्ट्रीयता को सर्वोपरि रखा। उन्होंने बौद्ध धर्म को इसलिए स्वीकार किया, क्योंकि यह हिन्दू धर्म की सकारात्मक शिक्षाओं को समेटे हुए था और राष्ट्रहित से जुड़ा था। अगर उस समय बाबा साहब ने राष्ट्र की एकता के विपरीत कोई निर्णय लिया होता, तो देश को और अधिक विघटन का सामना करना पड़ता।
शिक्षा केवल साक्षरता नहीं, जागरूकता और आत्मनिर्भरता भी है: प्रो. धीमान
शिक्षा पर बल देते हुए कुलपति प्रो. धीमान ने कहा कि बाबा साहब को सच्ची श्रद्धांजलि यह होगी कि हम शिक्षा से वंचित लोगों को शिक्षित करें। शिक्षा केवल साक्षरता नहीं, बल्कि जागरूकता और आत्मनिर्भरता है। कुलपति ने हरियाणा सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा कि आज राज्य में योग्यता के आधार पर पारदर्शी भर्ती प्रणाली लागू है, जहां बिना “खर्ची-पर्ची” के रोजगार मिल रहा है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि यह समय मेहनत और बुद्धिमता के बल पर आगे बढ़ने का है।
आंबेडकर जी के विचारों पर संगोष्ठी का हो आयोजन: कुलपति
कुलपति प्रो. करतार ने सुझाव दिया कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का अर्थशास्त्र विभाग डॉ. आंबेडकर के आर्थिक विचारों पर संगोष्ठी का आयोजन करें। साथ ही आयुष विश्वविद्यालय परिवारवाद, परिवार नियोजन और सामाजिक सुधारों पर बाबा साहब के दृष्टिकोण को लेकर विशेष संगोष्ठी आयोजित करेगा। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता नगर परिषद की चेयरपर्सन माफी ढांडा, कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रोफेसर डॉ.सीआर जिलोवा, आयुष विश्वविद्यालय से डॉ. पीसी मंगल, डॉ. सुरेंद्र सहरावत, डॉ. वेद प्रकाश, डॉ. राम भगत,कुरुक्षेत्र के विधि विभाग से महाबीर रंगा और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. सुभाष समेत अन्य मौजूद रहे।
कुलपति प्रो. करतार ने सुझाव दिया कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का अर्थशास्त्र विभाग डॉ. आंबेडकर के आर्थिक विचारों पर संगोष्ठी का आयोजन करें। साथ ही आयुष विश्वविद्यालय परिवारवाद, परिवार नियोजन और सामाजिक सुधारों पर बाबा साहब के दृष्टिकोण को लेकर विशेष संगोष्ठी आयोजित करेगा। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता नगर परिषद की चेयरपर्सन माफी ढांडा, कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रोफेसर डॉ.सीआर जिलोवा, आयुष विश्वविद्यालय से डॉ. पीसी मंगल, डॉ. सुरेंद्र सहरावत, डॉ. वेद प्रकाश, डॉ. राम भगत,कुरुक्षेत्र के विधि विभाग से महाबीर रंगा और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. सुभाष समेत अन्य मौजूद रहे।