किसान को फसल अवशेष प्रबंधन मशीन पर दिया जा रहा 50 प्रतिशत अनुदान

करनाल, 11 अप्रैल ।  कृषि उप-निदेशक डॉ वजीर सिंह ने बताया कि अक्सर किसान गेहूं फसल की कटाई के बाद बचे हुए अवशेषों में आग लगा देते हैं जिससे पर्यावरण प्रदूषित होता है और भूमि की उर्वरता में कमी आती है, साथ ही जान माल की हानि का डर भी बना रहता है। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा फसल अवशेषों में आगजनी करने पर पूर्ण प्रतिबंध भी लगाया हुआ है।
उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि वे गेंहू फसल की कटाई के बाद बचे हुए अवशेषों में आग न लगायें बल्कि इसको पशु चारे के तौर पर या खेत में ही मिलाकर उपयोग करें। अभी अगली फसल के लिए काफी समय बचा हुआ है तो जल्दबाजी में कार्य न करे. सावधानी रखें और अपनी फसल पूरी तरह सुखाकर ही अनाज मंडी में लाये। कई बार देखने में आया है कि कृषि मशीनरी जैसे की ट्रैक्टर, कंबाइन, जुड़ी बनाने की मशीन इत्यादि में भी आग लग जाती है अत: सभी किसानों से अनुरोध है कि गेहूं की कटाई करते समय विशेष निगरानी रखे ताकि किसी भी प्रकार के नुकसान से बचा जा सके।
उन्होंने बताया कि जिला में फसल अवशेष प्रबंधन कार्य करने वाली मशीन भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है व समय-समय पर सरकार द्वारा 50 प्रतिशत अनुदान पर फसल अवशेष प्रबंधन में काम आने वाली मशीनों के ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं। जो किसान फसल अवशेष प्रबंधन मशीन लेना चाहते हैं, वे आवेदन करके अनुदान पर मशीन ले सकते हैं।

बॉक्स: फसल अवशेष जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध
कृषि उपनिदेशक डॉ वजीर सिंह ने बताया कि जिलाधीश उत्तम सिंह ने इस संबंध में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 163 के अन्तर्गत जिला में गेहूं की फसल की कटाई के बाद बचे हुए अवशेषों को जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। यह आदेश 15 मई तक लागू रहेंगे। इसके तहत यदि कोई व्यक्ति दोषी पाया जाता है तो वह भारतीय न्याय संहिता 2023 एवं सपठित वायु एवं प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम-1981 के तहत दंड का भागी होगा। उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा आगजनी करने वाले किसानों पर आर्थिक दंड लगाने का भी प्रावधान किया गया है जिसमे 2 एकड़ तक 5 हजार रुपये, 5 एकड़ तक 10 हजार रुपये तथा 5 एकड़ से ज्यादा 30 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

बॉक्स: फसल अवशेष न जलाने के लिए किसानों को किया जा रहा जागरुक
कृषि उपनिदेशक डॉ. वजीर सिंह ने बताया कि सरकार द्वारा इस वर्ष फसल अवशेषों की आगजनी की घटनाओं में जीरो बर्निंग का लक्ष्य दिया गया है। जिला में कुल 97 टीमें बनाई गई हैं, जो किसानों को फसल अवशेष न जलाने के लिए जागरूक करेंगी तथा इन घटनाओं की रोकथाम भी करेंगी। उन्होंने बताया कि किसान गेहूं फसल की कटाई के बाद बचे हुए अवशेषों में आग न लगाएं इस बारे में विभाग द्वारा सभी गांवों में किसानों के लिए जागरूकता शिविर आयोजित किये जा रहे हैं। साथ ही प्रत्येक गांव में मुनियादी व धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर के माध्यम से जागरूक किया जा रहा है। स्कूल / कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चों के सहयोग से रैलियां व प्रभात फेरी निकाली जाएगी। गांव वाइज व खंड वाइज सभी किसानो के व्हाट्सएप ग्रुप बनाये गये हैं व पिछले सालो में जिन किसानों द्वारा अपने खेतो में आगजनी की गई थी, उन सभी से इस वर्ष अनुरोध किया जा रहा है कि  वे इस वर्ष आगजनी न करें ।
उन्होंने बताया कि जिला में किसान भाइयों के सहयोग से पिछले वर्षों की तुलना में आगजनी की घटनाओं में भारी कमी दर्ज की गई है। जिला प्रशासन के प्रयास व जिला के प्रगतिशील किसानों के सहयोग से हरसेक से प्राप्त होने वाली लोकेशन जो कि खरीफ 2021 में 957 दर्ज की गई थी, खरीफ 2022 में घटकर 301 दर्ज की गई थी व खरीफ 2023 में केवल 126 दर्ज की गई थी व खरीफ 2024 में केवल कुल 95 दर्ज की गई हैं। उन्होंने बताया कि खरीफ 2023 में रेड जोन गांवों की संख्या 10 व येलो जोन गांवों की संख्या 53 थी जो घटकर खरीफ 2024 में रेड जोन गांवों की संख्या 2 व येलो ज़ोन गांवों की संख्या 24 रह गई है, इन गांवों में जागरूकता के लिए विशेष कैंप लगाये जायेगे ।

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